21/06/2025

मगरपट्टा सिटी में पहली बार प्राकृत भाषा के शिविर का आयोजन

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मगरपट्टा सिटी में पहली बार प्राकृत भाषा के शिविर का आयोजन

हड़पसर, मई (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन एवं अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन शास्त्री परिषद के संयुक्त तत्वावधान में संपूर्ण भारतवर्ष में प्राकृत भाषा के संवर्धन के लिए और प्राकृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्राकृत विद्या शिक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में श्री चंद्र प्रभु चैत्यालय मगरपट्टा सिटी, पुणे में यह शिविर 18 मई से 25 मई तक चलेगा। 18 मई को शिविर के उद्घाटन सत्र में परमपूज्य आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के चित्र का अनावरण डॉ. विपिन जैन एवं श्रीमती निरुपमा जी द्वारा किया गया। दीप प्रज्ज्वलन श्रीमती विमला जी जैन द्वारा किया गया। मंगल कलश श्री सुभाष जैन श्रीमती गुणमाला माला जी जैन द्वारा स्थापित किया गया। जिनवाणी स्थापना श्रीमती अलका पाटनी द्वारा की गई। मंगलाचरण णमोकार मंत्र एवं प्राकृत स्तुति के साथ हुई।

शिविर की कुलाधिपति विदुषी डॉ. नीलम जैन जी ने प्राकृत भाषा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि धर्म की मूलभाषा प्राकृत को भी आत्मसात करना आवश्यक है। प्राचीन जैन आगम ग्रंथों के प्राकृत भाषा में लिखे गए हैं। हमारे प्राचीनतम शिलालेख भी इसी भाषा में है। भगवान महावीर ने इसमें उपदेश दिए, जैन आगम प्राकृत भाषा में संकलित हैं और खारवेल का प्रसिद्ध हाथीगुंफा शिलालेख इसका साक्षात प्रमाण है।

हमें अपनी प्राचीन भाषा का ज्ञान होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष भारत सरकार ने भी प्राकृत भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है।

स्थानीय विद्वान श्री यू.के.जैन जी ने बताया कि प्राकृत भाषा जैन धर्म की ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति की भी धरोहर है।
प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन की प्रचार मंत्री एवं क्षेत्रीय संयोजक डॉ. ममता जैन ने प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन संस्था का परिचय देते हुए बताया यह शिविर न केवल प्राकृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक सशक्त कदम है, बल्कि युवा पीढ़ी को जैन साहित्य और संस्कृति से जोड़ने का एक सुंदर प्रयास भी है।

आयोजकों का आभार व्यक्त करते हुए समाज से अपील की कि वे इस शिविर का अधिकाधिक लाभ लें और प्राचीन जैन साहित्य एवं भाषा की समझ विकसित करें।

शिविर संयोजक एवं सह संयोजक श्री अक्षय जैन श्री बसंत जैन, श्रीमती स्मिता जैन श्रीमती नीमा कठारी द्वारा प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन की ओर से भेजी गई पाठ्यसमग्री, लेखन सामग्री शिविर किट प्रदान की गई। सभी ने शिविर में उत्साहपूर्वक रजिस्ट्रेशन कराया।

इस अवसर पर हड़पसर, अमनोरा, केशवनगर से आए अनेक प्राकृत प्रेमियों, अतिथियों एवं प्रतिभागियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को सफल बनाया। उद्घाटन सत्र का समापन प्राकृताचार्य आचार्य श्री सुनील सागर जी द्वारा लिखित भारदी थुदि के सामूहिक सस्वर वाचन से किया गया।

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