30/07/2025

भाई दूज : अटूट बंधन का प्रतीक

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भाई दूज : अटूट बंधन का प्रतीक

भाई दूज का पर्व हर भाई और बहन के जीवन में एक विशेष महत्व रखता है। यह वह समय होता है जब बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों की सुरक्षा और खुशियों का संकल्प लेते हैं। यह त्यौहार न केवल हमारी सांस्कृतिक परंपराओं का हिस्सा है, बल्कि यह जीवन के उस अटूट बंधन का प्रतीक है जिसमें प्रेम, विश्वास और समर्पण के सभी रंग घुले होते हैं।
बचपन से लेकर बड़े होने तक भाई-बहन का रिश्ता अनगिनत यादों से भरा होता है। छोटी-छोटी शरारतें, एक-दूसरे के साथ किए गए खेल, पढ़ाई में मदद करना और मुश्किल समय में एक-दूसरे का सहारा बनना- ये सब इस रिश्ते की मिठास को और भी गहरा बनाते हैं। जब बहन भाई को तिलक लगाकर उसका मंगलमय भविष्य की कामना करती है, तो यह केवल एक रस्म नहीं होती, यह उस अटूट विश्वास की पुष्टि होती है कि चाहे कुछ भी हो जाए, वे एक-दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे।
भाई के लिए बहन का प्यार निस्वार्थ होता है और भाई के लिए बहन की चिंता उसकी आत्मीयता का प्रमाण है। भाई दूज के दिन जब भाई अपनी बहन के घर जाता है और बहन उसे प्रेम से भोजन कराती है, तो यह एक ऐसा क्षण होता है जिसमें उनकी सारी बातें, शिकायतें और खुशियाँ समेटी होती हैं। यह वह समय होता है जब दोनों अतीत की यादों में खो जाते हैं और आने वाले भविष्य के लिए एक नई ऊर्जा से भर जाते हैं।
आज के इस आधुनिक युग में जहाँ समय की कमी और दूरी रिश्तों में एक फासला बनाती है, भाई दूज का पर्व हमें याद दिलाता है कि हमारे रिश्तों की जड़ें कितनी गहरी हैं। यह पर्व हमें यह एहसास दिलाता है कि चाहे समय कितना भी बदल जाए, भाई-बहन के इस पवित्र बंधन का महत्व हमेशा अमिट रहेगा।
इस भाई दूज पर, हर भाई-बहन के रिश्ते में प्यार, अपनापन और खुशियाँ हमेशा बनी रहें, यही मेरी दिली कामना है। भाई बहन का यह रिश्ता युगों-युगों तक ऐसे ही प्रेम और स्नेह से सजा रहे।
भाई दूज की हार्दिक शुभकामनायें!

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श्री चाँद शेख (पुणे)

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