01/08/2025

अहंकार पर नियंत्रण पाकर हम जी सकते हैं बेहतर और समाधानी जीवन

Ego Day

अहंकार पर नियंत्रण पाकर हम जी सकते हैं बेहतर और समाधानी जीवन
11 मई, ‘विश्व अहंकार जागरूकता’ दिवस पर विशेष

अहंकार मानसिक स्वास्थ्य की ऐसी स्थिति है जो मनुष्य के जीवन के हर पल को प्रभावित करती है। एक हद तक यह प्रेरित करती है, लेकिन लगातार इसके बढ़ने से समस्याओं का अंबार लग जाता है, जो खुद को ही नहीं अपितु आसपास के जुड़े लोगों के जीवन को भी बुरी तरह से अस्तव्यस्त करती है। केवल स्वार्थ या मैं, मेरा विचार करना हमें मानसिक सुख से दूर करता है। इतिहास गवाह है कि इस अहंकार की भेट में राजपाट, शोहरत, दौलत लूट गए। अधिकतम युद्धों का अहंकार मुख्य कारण रहा। रोजाना अनगिनत जिंदगियां तबाह हो जाती हैं और इसी अहंकार के कारण आवेश में अनुचित निर्णय लेकर जीवन की सुख-शांति छीन लेते हैं। हमारी छोटी सी अनमोल जिंदगी है इसे खुलकर सुख-शांति से जीना चाहिए, निराशा और क्रोध में इसे व्यर्थ गवाना नहीं चाहिए, वक्त निकल जाने के बाद आखिर में जीवन में पछतावे के अलावा कुछ नहीं रहता। रिसर्च से पता चला है कि हमारे अधिकांश दुखों के लिए जिम्मेदार अदृश्य अहंकारी मन से प्रभावित होना हो सकता है, जिसमें श्रेष्ठता, हीनता, पूर्वाग्रह, दूसरों का मूल्यांकन, चालाकी, क्रोध, ईर्ष्या, भय, आक्रोश, व्यसन, तनाव, हिंसा, नस्लवाद, लिंगवाद, प्रशंसा, अनुमोदन, प्रतिक्रियावादी होना, सहानुभूति की कमी, अकेलापन, निराशा, झूठा प्रचार, धार्मिक और जनजातीय युद्ध आदि की झूठी भावनाएं शामिल हैं। इस प्रकार के सभी नकारात्मक और विनाशकारी गुणों का हमारे व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक संबंधों और समग्र विश्व पर गंभीर परिणाम पड़ता है। कई लोग जो ईगोमेनिया अर्थात अहंकारोन्माद से पीड़ित हैं, जो मानसिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार का एक रूप है, उन्हें यह भी पता नहीं होता कि वे इस मानसिक स्थिति का अनुभव कर रहे हैं।

हर साल 11 मई को विश्व अहंकार जागरूकता दिवस दुनियाभर में मनाया जाता है। अहंकार जागरूकता आंदोलन और विश्व अहंकार जागरूकता दिवस की स्थापना 2018 में इस मानसिक स्थिति से पीड़ित सभी लोगों की सहायता करने और दूसरों को दुर्व्यवहार के इस अदृश्य रूप के प्रभावों का अनुभव करने से रोकने के लिए की गई थी। इस दिवस का उद्देश्य अहंकार से जुड़े मुद्दों को उजागर करना है, सभी को जागरूक होने, अपनी जागरूकता बढ़ाने और आत्म-केंद्रित या अहंकारी व्यवहार के खिलाफ बोलने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसका लक्ष्य यह समझना है कि अहंकार किस प्रकार क्रोध, पूर्वाग्रह और हिंसा जैसे नकारात्मक व्यवहारों को जन्म दे सकता है। यह दिवस अहंकार से प्रेरित व्यवहार जैसे क्रोध, आक्रोश और हिंसा के नकारात्मक परिणामों पर प्रकाश डालता है, तथा व्यक्तियों को ऐसी प्रवृत्तियों को चुनौती देने और उन पर काबू पाने के लिए प्रोत्साहित करता है। अहंकार की इस मानसिक स्थिति पर प्रत्येक व्यक्ति को काबू पाना होगा।

अहंकार स्वस्थ और अस्वस्थ दोनों प्रकार का होता है, एक स्वस्थ अहंकार मनुष्य को अपनी ताकत और कमजोरियों को समझने में मदद करता है, जिससे अधिक यथार्थवादी लक्ष्य और अधिक सकारात्मक आत्म-छवि प्राप्त होती है, जो प्रेरणा और लचीलेपन के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। अपने विचारों, भावनाओं और व्यवहारों पर नियमित रूप से चिंतन करने से हमको यह पहचानने में मदद मिल सकती है कि कब हमारा अहंकार हमारे निर्णय लेने को प्रभावित कर रहा है, साथ ही दूसरों के दृष्टिकोण को समझना और स्वीकार करना हमें अपने अहंकार को नियंत्रित करने और उनकी प्रेरणाओं के बारे में धारणा बनाने से बचने में मदद कर सकता है। आत्म-सुधार के लिए प्रयास करना हमको अधिक सुरक्षित और स्वस्थ अहंकार बनाने में मदद कर सकता है। स्वस्थ अहंकार वाले व्यक्ति मुश्किल परिस्थितियों से निपटने में बेहतर ढंग से सक्षम होते हैं, वे सक्रिय मुकाबला रणनीतियों के उपयोग को प्रोत्साहित कर रचनात्मक तरीके से तनाव से निपटने की क्षमता को बढ़ाते हैं।

अस्वस्थ अहंकार हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। जो लोग स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ समझते हैं, दूसरों के प्रति सहानुभूति की कमी दिखाते हैं तथा दूसरों के दृष्टिकोण का सम्मान नहीं करते, यह अस्वस्थ अहंकार के लक्षण हैं। अत्यधिक अहंकार के कारण आलोचना को स्वीकार करने में कठिनाई हो सकती है तथा सहानुभूति की कमी हो सकती है, जिससे रिश्तों में तनाव आ सकता है तथा मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अहंकार व्यक्ति को आलोचना के प्रति अतिसंवेदनशील बना सकता है, नकारात्मक प्रतिक्रिया से आसानी से उत्तेजित हो सकता है तथा आत्म-विनाश के लिए प्रवृत्त कर सकता है या दूसरों को नुकसान पहुंचा सकता है। अस्वस्थ अहंकार, आलोचना को सहना, संघर्ष में शामिल होना तथा सीमाओं को स्वीकार करना कठिन बनाकर दीर्घकालिक तनाव पैदा कर सकता है। अक्रियाशील अहंकार वाले व्यक्ति अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए इनकार, टालमटोल या मादक द्रव्यों के सेवन जैसे अनुपयुक्त मुकाबला तंत्रों का सहारा ले सकते हैं। अहंकार निर्णय क्षमता को प्रभावित कर सकता है तथा आवेगपूर्ण या अविवेकपूर्ण निर्णय लेने की ओर ले जा सकता है, जिसका स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

जब अहंकार हमारे बस में होता है या अहंकार से हम समयानुसार परिवर्तनशील व लचीले होते हैं तब अहंकार हमें नया कुछ ज्ञान देता है, जिंदगी में कुछ सिखाता है, हम अपनी गलतियों से सीखकर खुद में बदलाव लाते हैं, कमजोरियों को स्वीकारते हैं, परंतु जब यह अहंकार हमारे आपे से बाहर हो जाता है तब यह मनुष्य का अहंकार विनाश की ओर प्रगति का स्रोत है, कभी-कभी अहंकार पाप और अपराध का कारण भी बनता है। हमें सफल होने से हम खुद नहीं रोकते बल्कि हमारा अहंकार रोकता है, कुछ लोग अपने अहंकार की वजह से बहुत अनमोल रिश्ते खो देते हैं। अहंकार हमको यह महसूस नहीं होने देता कि हम गलत हैं, अहंकार और ईर्ष्या करने वाले लोगों को कभी मन की शांति नहीं मिलती। अहंकार हमारे दिमाग और मन से भी ऊपर हैं या तो हम अपने दिमाग पर राज करें या यह हमारे दिमाग पर राज करेगा। अहंकारी इंसान को न तो अपनी भूलें नजर आती हैं ना ही दूसरों की अच्छी बातें।

हम अपने अहंकार को स्वस्थ बनाएं रखने के लिए और अपने अहंकार को नियंत्रित करने के लिए, इसके मूल कारणों को समझने पर ध्यान केन्द्रित करें, विनम्रता का अभ्यास करें, तथा सहानुभूति और आत्म-जागरूकता विकसित करें। इसमें अपनी ताकत और कमजोरियों को स्वीकार करना, अपनी आलोचना को भी बुद्धिमानी से सहजतापूर्वक स्वीकार करना और दूसरों की भलाई को प्राथमिकता देना शामिल है। अपने साथ ही औरों के लिए बेहतर सोच होना जरुरी है, जीवन में कार्य करते हुए अपने ध्येय सिद्धि हेतु लक्ष्य की स्थापना करना, ध्यान साधना, सकारात्मक आत्म-चर्चा करना, अपना ध्यान व्यक्तिगत लाभ से हटाकर सार्थक अनुभवों पर केन्द्रित करके, हम अहंकार के प्रभाव को कम कर सकते हैं और अधिक संतुलित तथा संतुष्टिदायक जीवन जी सकते हैं। स्वस्थ अहंकार एक अच्छी चीज है क्योंकि यह हमारा आत्मविश्वास बढ़ाता है, हमें अपने डर का सामना करने या उस पर काबू पाने के लिए प्रेरित करता है, लेकिन जब अहंकार और घमंड नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं, तो वे हमें नष्ट कर देते हैं। अहंकार और गर्व पर हमेशा नियंत्रण रखें, इससे कुछ नया सीखें, इसे झूठ, दिखावा, लड़ाई, प्रतिस्पर्धा का माध्यम न बनायें। जब हमारी नम्रता हमारे अहंकार पर हावी हो जाएगी तो हम एक अच्छे इंसान बन जायेंगे।
आप अहंकार छोड़ दीजिये, सुखों की अनुभूति होना प्रारंभ हो जाएगा। – महात्मा गांधी

Dr.-Pritam-Gedam-260x300 अहंकार पर नियंत्रण पाकर हम जी सकते हैं बेहतर और समाधानी जीवन

लेखक – डॉ. प्रितम भि. गेडाम
मोबाइल और व्हॉट्सप क्र. 08237417041
ई-मेल : prit00786@gmail.com

About The Author

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed