शिक्षा समाज का महत्वपूर्ण स्तंभ है तो शिक्षक उस स्तंभ की जड़ हैं : प्राचार्य शरद कांदे

शिक्षा समाज का महत्वपूर्ण स्तंभ है तो शिक्षक उस स्तंभ की जड़ हैं : प्राचार्य शरद कांदे

शिक्षा समाज का महत्वपूर्ण स्तंभ है तो शिक्षक उस स्तंभ की जड़ हैं : प्राचार्य शरद कांदे

शिक्षा समाज का महत्वपूर्ण स्तंभ है तो शिक्षक उस स्तंभ की जड़ हैं : प्राचार्य शरद कांदे

कोंढवा, सितंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
शिक्षा समाज का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं तो शिक्षक उस स्तंभ की जड़ हैं। शिक्षक छात्रों को जीवन में सफल बनाने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करते हैं। शिक्षक छात्रों के व्यक्तित्व को आकार देते हैं, चरित्र का निर्माण करते हैं और अच्छे नागरिक बनने में मदद करते हैं।

के.जी. इंस्टीट्यूट के ट्रिनिटी पॉलिटेक्निक में शिक्षक दिन बड़े उत्साह में मनाया गया, तब वे बोल रहे थे। इस अवसर पर यहां संस्था के संस्थापक श्री कल्याणराव जाधव, संकुल संचालक समीर कल्ला, विभाग प्रमुख प्रा. प्रतीक्षा सणस, प्रा. हनुमंत इंगले, प्रा.भैरवनाथ जाधव, प्रा. युवराज पवार, प्रा.स्मिता जगताप, अध्यापकगणों के साथ छात्र उपस्थित थे।

आगे बोलते हुए प्राचार्य डॉ. शरद कांदे ने कहा कि यह डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करने का दिन है। डॉ. राधाकृष्णन का जीवन और कार्य हमारे लिए प्रेरणा है। गुरु-शिष्य रिश्ते का यह योग्य दिन है।

शिक्षक दिवस के अवसर पर हर विभाग ने कक्षा को सजाने से लेकर शिक्षकों को उपहार और फूल देकर उनकी सराहना करके शिक्षक दिवस मनाया। इस अवसर पर मनोरंजक खेलों में प्रतिस्पर्धा के बाद विजेताओं को प्राचार्य द्वारा पुरस्कार दिए गए।

इसके अलावा विशाल करडभाजे (टीवाई इलेक्ट्रिकल) ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की बेहतरीन तस्वीर बनाकर सभी का दिल जीत लिया। उन्हें सर्वश्रेष्ठ चित्रकार के लिए प्रथम पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। वहीं आरती शिर्के की रंगोली आकर्षण का केंद्र रही। साथ ही इस कार्यक्रम में आलिया इनामदार ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन कार्यों की समीक्षा की।

इस अवसर पर यहां संस्था के संस्थापक श्री कल्याणराव जाधव, संकुल संचालक समीर कल्ला, विभाग प्रमुख प्रा.प्रतीक्षा सणस ने भी उपस्थितों को संबोधित किया।

कार्यक्रम का नियोजन और आयोजन तृतीय वर्ष के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा उनकी कक्षा शिक्षिका प्रोफेसर योगिता जाधव के मार्गदर्शन में किया गया था। कार्यक्रम के नियोजन में तुषार हंबर्डे व आयुष्य कुकडे का बहुमूल्य योगदान रहा।

कार्यक्रम का सूत्र-संचालन श्रेया चव्हाण और आभार प्रदर्शन साक्षी गोरे ने किया।

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