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महिला सशक्तिकरण में महापुरुषों का योगदान : डॉ. प्रशांत मुले

महिला सशक्तिकरण में महापुरुषों का योगदान : डॉ. प्रशांत मुले

महिला सशक्तिकरण में महापुरुषों का योगदान : डॉ. प्रशांत मुले

महिला सशक्तिकरण में महापुरुषों का योगदान : डॉ. प्रशांत मुले
अण्णासाहेब मगर महाविद्यालय में विश्व महिला दिवस मनाया गया

मांजरी, मार्च (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
आज महिलाएं हर क्षेत्र में प्रभावी ढंग से अपनी पहचान बना रही हैं, इसका श्रेय महापुरुषों को जाता है। महात्मा ज्योतिराव फुले ने महिलाओं को चूल्हे-बच्चों की चौकट में से बाहर निकालकर उनके हाथों में कलम लेकर उन्हें सक्षम बनाने के लिए महात्मा ज्योतिराव फुले महिला शिक्षा का उद्धार किया और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने संविधान के माध्यम से इन महिलाओं के अधिकारों को समर्थन देने का काम किया है। सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार देने का काम डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान ने किया है। यह विचार अण्णासाहेब मगर महाविद्यालय के उपप्राचार्य डॉ. प्रशांत मुले ने व्यक्त किए।

IMG-20250308-WA0015-300x220 महिला सशक्तिकरण में महापुरुषों का योगदान : डॉ. प्रशांत मुले
पुणे जिला शिक्षण मंडल के अण्णासाहेब मगर महाविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के प्राचार्य एवं सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय प्रबंधन परिषद सदस्य डॉ. नितिन घोरपड़े के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ महिला स्टाफ द्वारा महाविद्यालय परिसर में पौधारोपण कर किया गया, तब वे बोल रहे थे। इस अवसर पर यहां व्यावसायिक विभाग के उपप्राचार्य प्रा. अनिल जगताप, कनिष्ठ महाविद्यालय के उपप्राचार्य प्रा विलास शिंदे और महाविद्यालय के सभी अध्यापकगण और महिलाकर्मी प्रमुख रूप से उपस्थित थी।

महाविद्यालय में महिलाओं को बढ़ावा देनेवाले कार्यक्रमों से महिलाओं को ऊर्जा मिलती है। यह विचार डॉ. शुभांगी औटी ने अपने मनोगत में व्यक्त किए।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कॉलेज की महिलाकर्मियों ने विभिन्न कलाओं का प्रदर्शन किया। इसमें राशि के अनुसार व्यक्तित्व के बारे में मजेदार कहानियां डॉ. सविता कुलकर्णी, प्रा. नाजनीन मनेर, डॉ. अश्विनी घोगरे, प्रा संगीता देवकर ने बताया।
डॉ. टापरे मैडम ने शकुंतला देवी की प्रेरक सच्ची कहानी बताई, जिन्होंने तीन साल की उम्र तक पढ़ाई की, लेकिन गणित में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। डॉ. सुनीता दानाई, डॉ. शितल जगताप, प्रा. अर्चना श्रीचिपा, डॉ. सुनीता कुंजीर, प्रा. सीमा शेरकर ने नोबेल पुरस्कार विजेता महिलाओं की जीवनियों पर अध्ययन किया तो डॉ. वंदना सोनवले, प्रा. दिपाली माली, प्रा. पल्लवी भोसले, प्रा. ऋतुजा आबनावे, प्रा. भाग्यश्री जगदाले, प्रा. स्नेहल शिंदे, प्रा. मनीषा जरक ने महिलाओं के बारे में कविताएं प्रस्तुत की गईं।
डॉ. शुभांगी औटी, प्रा.अकोलकर, प्रा. प्रियंका लांडगे ने सुरीली आवाज में गीत प्रस्तुत किए। प्रा. सुनीता सायकर, प्रा. वसुधा हलदकर, प्रा. विघ्नेश्वरी, प्रा. विजयालक्ष्मी मेहकरे, प्रा. अर्चना शितोले, प्रा. मनीषा सुरवसे, प्रा. स्नेहल दुधाने ने रावणरचित शिवमहात्म्य स्तोत्र रावण नृत्य के माध्यम से योग के महत्व को दर्शाया।

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