स्वारगेट बलात्कार कांड : महिला सुरक्षा की विफलता का ज्वलंत प्रमाण
स्वारगेट बलात्कार कांड : महिला सुरक्षा की विफलता का ज्वलंत प्रमाण
पुणे के स्वारगेट बस अड्डे पर घटित बलात्कार की यह घटना केवल एक युवती पर हुए अत्याचार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सम्पूर्ण नारी जाति की सुरक्षा पर उठता एक गंभीर प्रश्न है। शहर के मध्य में स्थित और अत्यंत व्यस्त इस स्थान पर ऐसा जघन्य अपराध घटित होना, हमारे प्रशासनिक तंत्र की घोर असफलता को दर्शाता है। यह घटना न केवल महिला सुरक्षा के सरकारी दावों की पोल खोलती है, बल्कि सामाजिक चेतना के क्षीण होते स्वरूप को भी उजागर करती है।
महिला सुरक्षा के अभाव का भयावह परिणाम
भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा का अधिकार प्रदान करता है, किंतु महिलाओं के लिए यह अधिकार केवल कागज़ों तक ही सीमित प्रतीत होता है। यदि सार्वजनिक स्थानों पर भी महिलाओं को भयमुक्त होकर जीवन व्यतीत करने की स्वतंत्रता नहीं है, तो यह सामाजिक तथा प्रशासनिक व्यवस्था की पराजय है। स्वारगेट जैसे अत्यधिक भीड़भाड़ वाले स्थान पर इस प्रकार का अपराध होना यह दर्शाता है कि अपराधियों के मन में अब कानून का कोई भय शेष नहीं रहा। महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध और प्रशासन की उदासीनता हमारी समाज व्यवस्था के पतन को दर्शाती है।
न्याय हेतु संगठित आवाज़ की आवश्यकता
इस वीभत्स घटना के विरोध में महिला जागर समिति (पुणे) एवं अन्य महिला संगठनों द्वारा धरणा-आंदोलन का आयोजन किया गया है। महिला सुरक्षा की अर्थी निकालकर इस असंवेदनशील व्यवस्था को झकझोरने का प्रयास किया जाएगा। यह सत्य है कि महिला सुरक्षा केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है, अपितु यह सम्पूर्ण समाज का दायित्व है। जब तक हम सभी एकजुट होकर महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों के विरोध में सशक्त आवाज़ नहीं उठाएंगे, तब तक परिस्थितियाँ नहीं बदलेंगी।
सरकार और पुलिस प्रशासन को महिला सुरक्षा के विषय में केवल भाषण और विज्ञापनों तक सीमित न रहकर, ठोस और प्रभावी उपाय लागू करने होंगे। निर्भया कांड के बाद भी, इतने वर्षों में स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया, यही इस घटना से सिद्ध होता है। महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्थलों पर अधिक सुरक्षा उपाय, कठोर कानून, शीघ्र न्यायिक प्रक्रिया तथा समाज की मानसिकता में आमूलचूल परिवर्तन अनिवार्य हो गया है।
इस हृदयविदारक घटना की घोर निंदा करते हुए, हमें यह संकल्प लेना होगा कि किसी भी महिला के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, उन्हें भयमुक्त जीवन प्रदान करने हेतु सतत प्रयासरत रहेंगे तथा प्रत्येक अपराधी को कठोरतम दंड दिलवाने हेतु संगठित होकर संघर्ष करेंगे। अन्यथा, ऐसी घटनाएँ बार-बार घटित होती रहेंगी और महिलाओं के मूलभूत अधिकारों पर निरंतर कुठाराघात होता रहेगा। अब समय आ गया है- केवल विरोध करने का नहीं, बल्कि परिस्थितियों को बदलने के लिए सशक्त और संगठित कदम उठाने कि जरूरत है।
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