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लाइनमैन : महावितरण के ‘प्रकाशदूत’!

लाइनमैन : महावितरण के ‘प्रकाशदूत’!

लाइनमैन : महावितरण के ‘प्रकाशदूत’!

लाइनमैन : महावितरण के ‘प्रकाशदूत’!

जिस प्रकार बिजली का बटन दबाने पर एक साधारण बल्ब जलता है, उसी प्रकार कारखाने की मशीनरी भी चलती है, लेकिन बिजली के इस एक बटन के पीछे बहुत बड़ी बिजली यंत्रणा है। इस यंत्रणा में अदृश्य रहनेवाली बिजली को सुचारू रखने का कार्य प्रत्यक्ष रूप से करते हैं लाइनमैन। जो वास्तव में सुचारू विद्युत आपूर्ति के आधारस्तंभ हैं। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार 4 मार्च, यह दिवस लाइनमैन दिवस के रूप में देशभर में मनाया जा रहा है। इन लाइनमैन के कार्यों के के बारे में यानी महावितरण के जनमित्र पर आधारित यह लेख…

विद्युत आपूर्ति बाधित होती है तब शिकायतकर्ता बिजली आने का इंतजार करते हैं, लेकिन इस प्रतीक्षा अवधि के दौरान, बहुत से लोग उन परिस्थितियों के बारे में नहीं जानते हैं और महावितरण के इंजीनियरों और जनमित्रों को विभिन्न बाधाओं का सामना करते हुए दिन-रात काम करना पड़ता है। इसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते हैं, परंतु इंजीनियर व जनमित्र विपरीत परिस्थितियों में भी बिजली सेवा उपलब्ध कराने के लिए उनके संघर्ष व अथक प्रयासों को समझें, तो यह उनके कर्तव्य पालन के प्रयासों के साथ वास्तविक न्याय देने जैसे होगा। बिजली निर्मिती के बाद पारेषण, वितरण जैसे चरणों में उपभोक्ताओं के दरवाजे तक बिजली की आपूर्ति की जाती है। घनी आबादीवाले महानगरों से लेकर सुदूर घाटियों तक सभी प्रकार के उपभोक्ताओं को सुचारू बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए महावितरण के इंजीनियरों और जन मित्रों को सतर्क रहना पड़ता है।

Mahavitaran-Prakashdoot-2-146x300 लाइनमैन : महावितरण के ‘प्रकाशदूत’!
बिजली दिखाई नहीं देती है। विद्युत प्रणालियों में काम करने का कितने वर्षों का अनुभव रहने पर भी आप बिजली से दोस्ती नहीं कर सकते, इसलिए किसी क्षण पर अनजाने में हुई गलती भी मौत का कारण बन सकती है। बिजली आपूर्ति बाधित होने के बाद इंजीनियरों और जनमित्रों को बेहद विपरीत परिस्थितियों और खतरनाक चुनौतियों का सामना करते हुए रात-रात भर बिजली आपूर्ति सुचारू करने का कर्तव्य निभाना पड़ता है। बिजली आपूर्ति बाधित होने पर वो पूर्ववत होने तक बिजली उपभोक्ताओं के लिए प्रतिक्षा समय बिजली आने तक का इंतजार करना वे नहीं चाहते हैं। इतनी बिजली की आवश्यकता हर किसी के दैनिक जीवन में उत्पन्न हो गई है। बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए आम तौर पर गर्मी से मानसून तक 8 से 9 महीने की अवधि बहुत चुनौतीपूर्ण व कठिन होती है। चिलचिलाती गर्मी, अत्यधिक गर्म बिजली प्रणाली, बिजली की बढ़ती मांग, उसके बाद तूफान के बाद, मानसून पूर्व भारी बारिश और उसके बाद मानसून की छुटपुट बारिश, बाढ़ जैसी प्राकृतिक प्रतिकूल परिस्थितियों में सुचारू बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए महावितरण के प्रकाशदूत तैयार हैं।

पिछले दो-तीन वर्षों में, महाराष्ट्र में आए ‘निसर्ग’ और ‘तौक्ते’ चक्रवात, राज्य के विभिन्न स्थानों में बाढ़ स्थिति और खतरनाक कोविड-19 महामारी के कारण बिजली क्षेत्र को बहुत कठिन स्थिति का सामना करना पड़ा। फिर भी ऐसी स्थिति में महावितरण के प्रत्येक जनमित्र ने बिजली उपभोक्ताओं को प्रकाश में रखने के लिए निरंतर, अथक कर्तव्य निभाया है। दरअसल महावितरण के पुरुष व महिला तकनीकी कर्मचारी 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुचारू रखने के साथ-साथ विभिन्न अन्य ग्राहक सेवाएं प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही बकाया बिजली बिल की वसूली, बकाएदारों की बिजली काटना, बिजली चोरी के खिलाफ कार्रवाई आदि जैसे महत्वपूर्ण कार्य करने पड़ते हैं। महावितरण के ग्राहक संख्या में हर साल लगभग 10 लाख जुड़ रहे हैं। इसके साथ ही बिजली की मांग भी करीब 10 फीसदी बढ़ रही है।

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वर्ष 1993 में मराठवाड़ा के किल्लारी क्षेत्र में आया भूकंप हो या वर्ष 2009 में कोंकण में आया ‘फयान’ चक्रवात हो, ऐसी अनेक भयानक प्राकृतिक आपदाओं में महावितरण के प्रकाश दूतों ने अंधेरे में रहनेवाले लाखों बिजली उपभोक्ताओं को रोशनी देने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी है। वर्ष 2014 में पूरे महाराष्ट्र में भारी ओलावृष्टि के कारण बिजली व्यवस्था को अभूतपूर्व क्षति हुई थी, लेकिन चौबीस घंटे काम करके इस यंत्रणा को खड़ा करने और बिजली आपूर्ति सुचारू करने में प्रकाश दूत सफल रहे। समय आने पर बाढ़ में नाव से जाकर या नदी में तैरकर जाकर बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने साहस दिखाकर बिजली आपूर्ति शुरू करने का कर्तव्य प्रकाशदूत हर साल निभाते हैं, इसकी पुष्टि कई जिलों में हुई है। बिजली की आपूर्ति बाधित होने के बाद वह सुचारू करने हेतु कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। वैसे ही मेहनत घाटी के पहाड़ी इलाकों में नए बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए ‘प्रकाशदूतों’ को करनी पड़ती है। केवल महावितरण के ग्राहकों के लिए नहीं बल्कि मुंबई शहर में वर्ष 2006 के जलप्रलय में जाकर बिजली की आपूर्ति को सुचारू से करने में महावितरण के प्रकाशदूतों ने बहुमूल्य योगदान दिया है।

इसके बाद पिछले दो-तीन वर्षों में ‘निसर्ग’ और ‘तौक्ते’ चक्रवात से तबाह हुई बिजली व्यवस्था को रिकॉर्ड समय में बहाल किया गया। साथ ही कोविड-19 में लगे कर्फ्यू के कारण हर ग्राहक के घर को रोशनी में रखने में जनमित्र ने बेहद विपरीत परिस्थितियों में बहुत बड़ा योगदान दिया है। विद्युत व्यवस्था का क्षेत्र बहुत बड़ा है, इसलिए जनमित्र को रात हो या दिन, गर्मी हो, तूफान हो या बारिश, सभी परिस्थितियों में बाधित विद्युत आपूर्ति को सुचारू करने के लिए संभावित खतरों से बचते हुए अपना कर्तव्य निभाना पड़ता है।
खतरा यह है कि जाने-अनजाने में गलती करने पर बिजली माफ नहीं करती और सीधे मौत के दरवाजे तक ले जाती है इसलिए, ऐसी बिजली प्रणालियों का रखरखाव और मरम्मत कार्य साहसपूर्ण और कभी-कभी जोखिम भरा होता है, इसीलिए बिजली आपूर्ति बाधित होने पर उसे सुचारू करने के लिए संघर्षरत रहनेवाले ‘प्रकाशदूतों’ को सम्मानपूर्व सलाम !

Nishikant-Raut-263x300 लाइनमैन : महावितरण के ‘प्रकाशदूत’!श्री निशिकांत राउत

(उप मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, महावितरण, पुणे)

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