भारत में एआई क्रांति
भारत में एआई क्रांति
विकसित भारत का भविष्य
प्रस्तावना
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(एआई) में उल्लेखनीय परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। भारत के इतिहास में पहली बार, सरकार सक्रिय रूप से एक एआई इकोसिस्टम को स्वरुप दे रही है, जहाँ कंप्यूटिंग पावर, जीपीयू और अनुसंधान के अवसर वहनीय कीमत पर उपलब्ध हैं।
पहले के समय की तुलना में, भारत में अब एआई ना तो कुछ विशेष लोगों तक सीमित है और ना ही इसमें वैश्विक तकनीकी दिग्गजों का वर्चस्व है। दूरदर्शी नीतियों के माध्यम से, मोदी सरकार छात्रों, स्टार्टअप्स और इनोवेटर्स को विश्व स्तरीय एआई अवसंरचना के साथ सशक्त बना रही है, जिससे वास्तव में समान अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। इंडिया एआई मिशन और एआई के लिए उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना जैसी पहल देश के एआई इकोसिस्टम को मजबूत कर रही है, जिससे इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में नवाचार और आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।
ये प्रयास 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं, जहां भारत आर्थिक विकास, शासन और सामाजिक प्रगति के लिए अत्याधुनिक तकनीक का लाभ उठाते हुए एक वैश्विक एआई पावरहाउस बनने की आकांक्षा रखता है।
एआई कंम्पयूट और सेमीकंडक्टर अवसंरचना
भारत अपनी बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था का सहयोग करने के लिए तेजी से एक मजबूत एआई कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर अवसरंचना ढांचे का निर्माण कर रहा है। वर्ष 2024 में इंडियाएआई मिशन की अनुमति के साथ, सरकार ने एआई क्षमताओं को मजबूत करने के लिए पांच वर्षों में 10,300 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इस मिशन का एक प्रमुख केंद्र 18,693 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (जीपीयू) से लैस एक उच्च-स्तरीय सामान्य कंप्यूटिंग सुविधा का विकास है, जो इसे वैश्विक स्तर पर सबसे व्यापक एआई कंप्यूट अवसंरचना में से एक बनाता है। यह क्षमता ओपन-सोर्स एआई मॉडल डीप सीक की तुलना में लगभग नौ गुना और चैटजीपीटी द्वारा संचालित क्षमता का लगभग दो-तिहाई है।
प्रमुख घटनाक्रम निम्नलिखित हैं:
- एआई कंप्यूट अवसंरचना को बढ़ाना: मिशन के शुरुआती चरण में पहले ही 10,000 जीपीयू उपलब्ध कराए जा चुके हैं, शेष इकाइयों को जल्द ही जोड़ा जाएगा। इससे भारतीय भाषाओं और संदर्भों के अनुरूप स्वदेशी एआई समाधान सृजित करना संभव होगा।
- उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग तक खुली पहुंच: भारत ने एक ओपन जीपीयू मार्केटप्लेस की शुरुआत करने में भी अग्रणी भूमिका निभाई है, जिससे स्टार्टअप, शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग सुलभ हुई है। कई देशों के तुलना में जहाँ एआई अवसंरचना को बड़ी कंपनियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, यह पहल सुनिश्चित करती है कि छोटे खिलाड़ियों को भी नवाचार करने का अवसर मिले।
- मजबूत जीपीयू आपूर्ति श्रृंखला: सरकार ने जीपीयू की आपूर्ति के लिए 10 कंपनियों का चयन किया है, जिससे एक मजबूत और विविध आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित होगी।
- स्वदेशी जीपीयू क्षमताएँ: घरेलू क्षमताओं को और मज़बूत करने के लिए, भारत का लक्ष्य अगले तीन से पाँच वर्षों के भीतर अपना खुद का जीपीयू विकसित करना है, जिससे आयातित तकनीक पर निर्भरता कम होगी।
- किफ़ायती कंप्यूट पहुंच : जल्द ही एक नई सरल कंप्यूट सुविधा शुरू की जाएगी, जिससे शोधकर्ताओं और स्टार्टअप को 100 रुपए प्रति घंटे की अत्यधिक रियायती दर पर जीपीयू पावर का उपयोग करने की अनुमति मिलेगी, जबकि वैश्विक लागत 2.5 अमेरिकी डॉलर से 3 अमेरिकी डॉलर प्रति घंटे है।
- सेमीकंडक्टर विनिर्माण को मज़बूत करना: भारत सेमीकंडक्टर विनिर्माण में वृद्धि कर रहा है, जिसके अंतर्गत पाँच सेमीकंडक्टर संयंत्र निर्माणाधीन हैं। ये विकास न केवल एआई नवाचार का सहयोग करेंगे बल्कि वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भारत की स्थिति को भी मज़बूत करेंगे।
खुले डेटा और उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) के साथ एआई को आगे बढ़ाना
एआई विकास में डेटा के महत्व को पहचानते हुए, मोदी सरकार ने उच्च गुणवत्ता वाले, गैर-व्यक्तिगत डेटासेट तक निर्बाध पहुँच प्रदान करने के लिए इंडियाएआई डेटासेट प्लेटफ़ॉर्म शुरू किया है। यह प्लेटफ़ॉर्म अज्ञात डेटा का सबसे बड़ा संग्रह रखेगा, जो भारतीय स्टार्टअप और शोधकर्ताओं को उन्नत एआई एप्लिकेशन विकसित करने में सशक्त बनाएगा। विविध और प्रचुर डेटासेट सुनिश्चित करके, यह पहल प्रमुख क्षेत्रों में एआई-संचालित समाधानों को आगे बढ़ाएगी, जिससे नवाचार और सटीकता बढ़ेगी।
- ओपन डेटा पहुंच के लिए इंडियाएआई डेटासेट प्लेटफ़ॉर्म: यह प्लेटफ़ॉर्म भारतीय स्टार्टअप और शोधकर्ताओं को उच्च-गुणवत्ता वाले, अज्ञात डेटासेट के एकीकृत भंडार तक पहुँचने में सक्षम करेगा, जिससे एआई नवाचार में बाधाएं कम होंगी।
- विविध डेटा के साथ एआई मॉडल की सटीकता को बढ़ावा देना: बड़े पैमाने पर, गैर-व्यक्तिगत डेटासेट प्रदान करके, यह पहल पूर्वाग्रहों को कम करने और कृषि, मौसम पूर्वानुमान और यातायात प्रबंधन जैसे डोमेन में एआई अनुप्रयोगों की विश्वसनीयता में सुधार करने में सहायता करेगी।
- उत्कृष्टता केंद्र: सरकार ने नई दिल्ली में स्वास्थ्य सेवा, कृषि और सतत शहरों में तीन एआई उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित किए हैं। बजट 2025 में 500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शिक्षा में एआई के लिए एक नए सीओई की घोषणा की गई, जिससे यह चौथा ऐसा केंद्र बना।
- एआई-संचालित उद्योगों के लिए कौशल: कौशल के लिए पाँच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों की योजनाएं बनाई गई हैं, जो युवाओं को उद्योग-प्रासंगिक विशेषज्ञता से लैस करेंगे। ये केंद्र विनिर्माण और एआई नवाचार में ‘मेक फॉर इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ दृष्टिकोण का सहयोग करने के लिए वैश्विक भागीदारों के सहयोग से स्थापित किए जाएंगे।
भारत के एआई मॉडल और भाषा प्रौद्योगिकियां
सरकार भारत के अपने आधारभूत मॉडलों के विकास में सहायता कर रही है, जिसमें बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) और भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप समस्या-विशिष्ट एआई समाधान शामिल हैं। एआई अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए, कई उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।
- भारत के आधारभूत बड़े भाषा मॉडल: इंडियाएआई ने प्रस्ताव आमंत्रित करके एलएलएम और छोटे भाषा मॉडल (एसएलएम) सहित स्वदेशी आधारभूत एआई मॉडल विकसित करने की पहल शुरू की है।
- डिजिटल इंडिया भाषानी: एआई-आधारित भाषा अनुवाद प्लेटफ़ॉर्म जिसे भारतीय भाषाओं में इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं तक आसान पहुँच को सक्षम करने के लिए बनाया गया है, जिसमें आवाज़-आधारित पहुँच शामिल है, और भारतीय भाषाओं में सामग्री निर्माण का सहयोग करता है।
- भारतजेन: विश्व की पहली सरकारी-वित्तपोषित मल्टीमॉडल एलएलएम पहल, भारतजेन को वर्ष 2024 में दिल्ली में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य भाषा, भाषण और कंप्यूटर विज़न में आधारभूत मॉडल के माध्यम से सार्वजनिक सेवा वितरण और नागरिक जुड़ाव को बढ़ाना है। भारतजेन में भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के एआई शोधकर्ताओं का एक संघ शामिल है।
- सर्वम-1 एआई मॉडल: भारतीय भाषाओं के लिए अनुकूलित एक बड़ा भाषा मॉडल, सर्वम-1 में 2 बिलियन पैरामीटर हैं और यह दस प्रमुख भारतीय भाषाओं का समर्थन करता है। इसे भाषा अनुवाद, पाठ सारांश और सामग्री निर्माण जैसे अनुप्रयोगों के लिए निर्मित किया गया है।
- चित्रलेखा: एआई4 भारत द्वारा विकसित एक ओपन-सोर्स वीडियो ट्रांसक्रिएशन प्लेटफ़ॉर्म, चित्रलेखा उपयोगकर्ताओं को विभिन्न भारतीय भाषाओं में ऑडियो ट्रांसक्रिप्ट बनाने और संपादित करने में सक्षम बनाता है।
- हनुमान एवरेस्ट 1.0: एसएमएल द्वारा विकसित एक बहुभाषी एआई सिस्टम, एवरेस्ट 1.0 35 भारतीय भाषाओं में कार्य करता है, जिसे 90 तक विस्तारित करने की योजना है।
डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के साथ एआई एकीकरण I
भारत के डिजिटल जन अवसंरचना (डीपीआई) ने सार्वजनिक वित्त पोषण को निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाले नवाचार के साथ जोड़कर डिजिटल नवाचार को फिर से परिभाषित किया है। आधार, ;यूपीआई और डिजिलॉकर जैसे प्लेटफ़ॉर्म नींव के रूप में काम करते हैं, जबकि निजी संस्थाएँ उनके ऊपर एप्लिकेशन-विशिष्ट समाधान बनाती हैं। इस मॉडल को अब एआई के साथ बढ़ाया जा रहा है, जो वित्तीय और शासन प्लेटफ़ॉर्म में कुशल समाधानों को एकीकृत करता है। भारत के डीपीआई की वैश्विक अपील जी 20 शिखर सम्मेलन में स्पष्ट थी, जहां कई देशों ने इसी तरह के ढांचे को अपनाने में रुचि व्यक्त की। भारत की यूपीआई भुगतान प्रणाली को जापान का पेटेंट अनुदान इसकी मापनीयता को और रेखांकित करता है।
महाकुंभ 2025 के लिए, एआई-संचालित डीपीआई समाधानों ने दुनिया की सबसे बड़ी मानव सभा के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रयागराज में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए एआई-संचालित साधनों ने वास्तविक समय में रेलवे यात्रियों की आवाजाही की निगरानी की। भाषिणी द्वारा संचालित कुंभ सहायक चैटबॉट ने वॉयस-आधारित खोई-खोई सेवाएँ, वास्तविक समय में अनुवाद और बहुभाषी सहायता सक्षम की। भारतीय रेलवे और यूपी पुलिस के साथ इसके एकीकरण ने संचार को सुव्यवस्थित किया, जिससे त्वरित समस्या समाधान सुनिश्चित हुआ। डीपीआई के साथ एआई का लाभ उठाकर, महाकुंभ 2025 ने तकनीक-सक्षम, समावेशी और कुशल कार्यक्रम प्रबंधन के लिए एक वैश्विक मानक स्थापित किया।
एआई प्रतिभा और कार्यबल विकास
भारत का कार्यबल इसकी डिजिटल क्रांति के केंद्र में है। भारत हर सप्ताह एक ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) जोड़ रहा है, जिससे वैश्विक आरएंडडी और तकनीकी विकास के लिए एक बेहतरीन गंतव्य के रूप में इसकी स्थिति मजबूत हो रही है। हालांकि, इस वृद्धि को बनाए रखने के लिए शिक्षा और कौशल विकास में निरंतर निवेश की आवश्यकता होगी। सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के साथ संरेखित करते हुए एआई, 5जी और सेमीकंडक्टर डिज़ाइन को शामिल करने के लिए विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में बदलाव करके इस चुनौती का समाधान कर रही है। इससे स्नातकों के नौकरी के लिए तैयार कौशल हासिल करना सुनिश्चित किया जा सकेगा, जिससे शिक्षा और रोजगार के बीच अंतराल का समय कम हो।
- एआई टैलेंट संसाधन और एआई शिक्षा: इंडियाएआई फ्यूचर स्किल्स पहल के तहत, एआई शिक्षा को स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों में विस्तारित किया जा रहा है। शीर्ष 50 एनआईआरई -रैंक वाले संस्थानों में एआई पर शोध करने वाले पूर्णकालिक पीएचडी विद्वानों को फेलोशिप प्रदान की जा रही है। पहुँच को बढ़ाने के लिए, दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में डेटा और एआई प्रयोगशाला स्थापित किए जा रहे हैं, जिसमें एनआईईएलआईटी दिल्ली में पहले से ही एक मॉडल इंडियाएआई डेटा लैब स्थापित है।
- वैश्विक एआई कौशल पैठ में भारत पहले स्थान : स्टैनफोर्ड एआई सूचंकाक 2024 के अनुसार, भारत 2.8 के प्राप्तांक के साथ एआई कौशल पैठ में विश्व स्तर पर पहले स्थान पर है, और अमेरिका (2.2) और जर्मनी (1.9) से आगे है। 2016 से भारत में एआई प्रतिभा सार में 263 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसने देश को एक प्रमुख एआई केंद्र के रूप में स्थान दिया है। भारत महिलाओं के लिए एआई कौशल प्रवेश में भी अग्रणी है, जिसका प्राप्तांक 1.7 है, जो अमेरिका (1.2) और इज़राइल (0.9) से आगे है।
- एआई नवाचार: भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली डेवलपर जनसंख्या के रूप में उभरा है और जीआईटीएचयूबी पर सार्वजनिक जनरेटिव एआई परियोजनाओं में दूसरे स्थान पर है। देश में दुनिया की 16 प्रतिशत एआई प्रतिभाएँ हैं, जो एआई नवाचार और अपनाने में इसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
- एआई प्रतिभा केंद्र: व्हीबॉक्स द्वारा भारत कौशल रिपोर्ट 2024 का अनुमान है कि भारत का एआई उद्योग 2025 तक 45 प्रतिशत सीएजीआर के साथ 28.8 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। एआई-कुशल कार्यबल में 2016 से 2023 तक 14 गुना वृद्धि देखी गई है, जिससे भारत सिंगापुर, फ़िनलैंड, आयरलैंड और कनाडा के साथ शीर्ष पाँच सबसे तेज़ी से बढ़ते एआई प्रतिभा केंद्रों में से एक बन गया है। भारत में एआई पेशेवरों की मांग 2026 तक 1 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
एआई अपनाना और उद्योग विकास
वैश्विक मंदी के बावजूद भारत के जनरेटिव एआई (जेनएआई) इकोसिस्टम ने उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। देश का एआई परिदृश्य प्रयोगात्मक उपयोग के मामलों से लेकर स्केलेबल, उत्पादन-तैयार समाधानों तक विकसित हो रहा है, जो इसकी बढ़ती परिपक्वता को दर्शाता है।
- एआई निवेश को प्राथमिकता देने वाले व्यवसाय: बीसीजी के अनुसार, 80 प्रतिशत भारतीय कंपनियाँ एआई को एक मुख्य रणनीतिक प्राथमिकता मानती हैं, जो वैश्विक औसत 75 प्रतिशत से अधिक है। इसके अतिरिक्त, 69 प्रतिशत ने 2025 में अपने तकनीकी निवेश को बढ़ाने की योजना बनाई है, जिसमें से एक तिहाई एआई पहलों के लिए 25 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक आवंटित करेंगे।
- जेनएआई स्टार्टअप फंडिंग: नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ सॉफ़्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज़ (नैसकॉम) की नवंबर 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय जेनएआई स्टार्टअप फंडिंग तिमाही-दर-तिमाही छह गुना से अधिक बढ़ी है, जो कि दूसरी तिमाही वित्तीय वर्ष 2025 में 51 मिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गई, जो कि बी2बी और एजेंटिक एआई स्टार्टअप द्वारा संचालित है।
- कार्यस्थलों में एआई का रूपांतरण: रैंडस्टैड एआई और इक्विटी रिपोर्ट 2024 में कहा गया है कि 2024 में 10 में से सात भारतीय कर्मचारियों ने कार्यस्थल पर एआई का उपयोग किया, जबकि एक साल पहले 10 में से पाँच ने इसका उपयोग किया था, जो कार्यस्थलों में एआई के तेजी से एकीकरण को दर्शाता है।
- एआई छोटे और मध्यम व्यवसायों (एसएमबी) को सशक्त बना रहा है: एआई -संचालित प्रौद्योगिकियां एसएमबी को कुशलतापूर्वक स्केल करने, ग्राहक अनुभव को वैयक्तिकृत करने और संचालन को अनुकूलित करने में मदद कर रही हैं। सेल्सफोर्स के अनुसार, एआई का उपयोग करने वाले 78 प्रतिशत भारतीय एसएमबी ने राजस्व वृद्धि की जानकारी दी है, जबकि 93 प्रतिशत ने कहा कि एआई ने राजस्व बढ़ाने में योगदान दिया है।
- भारत की एआई अर्थव्यवस्था का तेजी से विस्तार: बीसीजी-नैसकॉम रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत के एआई बाजार में 25-35 प्रतिशत की सीएजीआर से वृद्धि होने का अनुमान है, जो नवाचार और रोजगार सृजन की इसकी क्षमता को मजबूत करता है। जबकि एआई नियमित कार्यों को स्वचालित करता है, यह एक साथ डेटा विज्ञान, मशीन लर्निंग और एआई-संचालित अनुप्रयोगों में नए अवसर पैदा कर रहा है।
- एआई स्टार्टअप सहयोगी इकोसिस्टम: भारत 520+ टेक इनक्यूबेटर और एक्सेलेरेटर होस्ट करता है, जो सक्रिय कार्यक्रमों में वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है। इनमें से 42 प्रतिशत पिछले पांच वर्षों में स्थापित किए गए थे, जो भारतीय स्टार्टअप की उभरती जरूरतों को पूरा करते हैं। टी-हब मैथ जैसे एआई-केंद्रित त्वरक उत्पाद विकास, व्यापार रणनीति और स्केलिंग में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। 2024 की शुरुआत में, मैथ ने 60 से अधिक स्टार्टअप का समर्थन किया, जिनमें से पांच ने सक्रिय रूप से वित्तीय सहयोग पर चर्चा की, जिससे भारत के बढ़ते एआई स्टार्टअप परिदृश्य पर प्रकाश डाला गया।
एक व्यावहारिक एआई विनियमन दृष्टिकोण
भारत का व्यावहारिक एआई विनियमन नवाचार और उत्तरदायिता को संतुलित करता है, अत्यधिक विनियमन से दूर रहता है जो विकास को बाधित कर सकता है और अनियंत्रित बाजार-संचालित शासन जो एकाधिकार पैदा कर सकता है। केवल कानून पर निर्भर रहने के बजाय, भारत एआई-संचालित सुरक्षा उपायों में निवेश कर रहा है, डीप फेक, गोपनीयता जोखिम और साइबर सुरक्षा खतरों के लिए समाधान विकसित करने के लिए शीर्ष विश्वविद्यालयों और आईआईटी को वित्त पोषित कर रहा है। यह तकनीकी-विधि दृष्टिकोण एआई समावेशी विकास के लिए एक शक्ति बनी रहने, एक ऐसे इकोसिस्टम को प्रोत्साहन देने जहां नवाचार को प्रोत्साहन मिले, जबकि नैतिक चिंताओं को सक्रिय रूप से संबोधित करने को सुनिश्चित करता है।
निष्कर्ष
रणनीतिक सरकारी पहलों के आधार पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता में भारत की तीव्र प्रगति ने देश को वैश्विक एआई शक्तिकेंद्र के रूप में स्थापित किया है। एआई कंप्यूट अवसंरचना का विस्तार करके, स्वदेशी एआई मॉडल को प्रोत्साहन देकर, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना ढांचे को बढ़ाकर और प्रतिभा विकास में निवेश करके, भारत एक समावेशी और नवाचार-संचालित इकोसिस्टम निर्मित कर रहा है। खुले डेटा पर जोर, उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग तक सस्ती पहुंच और स्थानीय जरूरतों के अनुरूप एआई -संचालित समाधान यह सुनिश्चित करते हैं कि एआई के लाभ व्यवसायों, शोधकर्ताओं और नागरिकों तक समान रूप से पहुंचें। जैसे-जैसे उद्योगों में एआई अपनाने की गति बढ़ रही है, भारत का सक्रिय दृष्टिकोण न केवल इसकी डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है, बल्कि महत्वपूर्ण तकनीकों में आत्मनिर्भरता का मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है। भविष्य के लिए एक स्पष्ट दृष्टि के साथ, भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक एआई परिदृश्य को स्वरुप देते हुए एआई नवाचार में अग्रणी बनने के लिए तैयार है।
स्रोत: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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