पुस्तकालयों को जनोन्मुख बनाने के लिए सरकार का प्रयास : अशोक गाडेकर
पुस्तकालयों को जनोन्मुख बनाने के लिए सरकार का प्रयास : अशोक गाडेकर
ग्रंथोत्सव जैसी गतिविधियों में विद्यार्थियों की भागीदारी बढ़ाना जरूरी : डॉ. रवींद्र ठाकुर
पुणे, जनवरी (जिमाका)
राज्य सरकार द्वारा पढ़ने की संस्कृति को बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ लागू की जा रही हैं। पढ़ने की संस्कृति एक जन आंदोलन होनी चाहिए। सरकार ग्रंथालय को जनोन्मुख बनाने का प्रयास कर रही है। यह विचार प्रभारी ग्रंथालय संचालक अशोक गाडेकर ने व्यक्त किए। वह उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, पुस्तकालय निदेशालय, मुंबई और जिला ग्रंथालय अधिकारी, पुणे की ओर से कोथरुड में आयोजित पुस्तक महोत्सव के उद्घाटन पर बोल रहे थे। इस अवसर पर जिला सूचना अधिकारी डॉ. रवींद्र ठाकुर, जिला ग्रंथालय अधिकारी श्रेया गोखले, शासकीय विभागीय ग्रंथालय के ग्रंथपाल सुरेश रिद्दीवाडे, लेखिका मंगला गोडबोले, गांधी स्मारक कार्यवाह राजन अनवर, जिला ग्रंथालय संघ कार्यवाह सोपान पवार, ग्रंथमित्र धोंडिबा सुतार आदि उपस्थित थे।
श्री गाडेकर ने कहा कि पुणे एक शैक्षिक केंद्र और ज्ञान का शहर है। सरकार ने राज्य में पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ‘वाचन संकल्प महाराष्ट्र’ पहल शुरू की है। इस पहल के तहत युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कॉलेजों में विभिन्न गतिविधियां लागू की गईं। छात्रों की भागीदारी को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ लागू की जा रही हैं। हालाँकि सोशल मीडिया के युग में माध्यम बदल गया है, फिर भी पढ़ने की संस्कृति विकसित हो रही है। राज्य के 43 सरकारी ग्रंथालयों की ई-ग्रंथालय प्रणाली विकसित की जा रही है और अब तक 38 लाख पुस्तकें ई-ग्रंथालय के माध्यम से उपलब्ध करायी जा चुकी हैं। राज्य की 327 ‘ए’ श्रेणी के ग्रंथालय को ई-ग्रंथालय सिस्टम से जोड़ा जाएगा। सरकार पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक है और इसके लिए लोगों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। ग्रंथालयों को पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करायी जा रही है। जल्द ही ग्राम पंचायत क्षेत्र में ग्रंथालयों का आधुनिकीकरण किया जाएगा और इसके लिए प्रत्येक ग्रंथालय को 2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
जिला सूचना अधिकारी डॉ. रवींद्र ठाकुर ने कहा कि ग्रंथोत्सव जैसी गतिविधियों में विद्यार्थियों की भागीदारी बढ़ाना जरूरी है। मोबाइल फोन के युग में बच्चों को पढ़ने की संस्कृति का महत्व समझाने के लिए पढ़ाई के अलावा किताबें पढ़ने की आदत डालना भी जरूरी है। सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी प्राप्त होती है, लेकिन पढ़ने के माध्यम से प्राप्त ज्ञान हमेशा स्मृति में रहता है। अपने इलाके में कम से कम पांच लोगों को ग्रंथोत्सव देखने के लिए प्रोत्साहित करें। कम से कम एक या दो किताबें खरीदकर अपने घर में रखें।
श्रीमती मंगला गोडबोले ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि सरकार की गतिविधियों की पूर्व घोषणा की जानी चाहिए। अतः सरकार की गतिविधियाँ अधिक सफल होंगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि साहित्य अकादमी द्वारा मुद्रित पुस्तकें सभी के लिए उपलब्ध होनी चाहिए। महाराष्ट्र सरकार द्वारा पुरस्कृत पुस्तकें ग्रंथालय में उपलब्ध होनी चाहिए। राष्ट्रीयस्तर पर प्रशंसित पुस्तकों के सूचना बोर्ड ग्रंथालय में लगाए जाने चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मोबाइल फोन के युग में भी पढ़ने की संस्कृति विकसित होगी।
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