पत्थर जैसे शासकों को उखाड़ फेंककर महिलाओं के हितों की रक्षा करनेवालों को चुनें : शरद पवार
पत्थर जैसे शासकों को उखाड़ फेंककर महिलाओं के हितों की रक्षा करनेवालों को चुनें : शरद पवार
हड़पसर, नवंबर (हड़सपर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
एक तरफ प्यारी बहना योजना लागू की जा रही है, दूसरी तरफ राज्य में महिलाओं पर अत्याचार बढ़ गया है। पिछले साल राज्य में करीब 67 हजार महिलाओं के साथ अत्याचार हुआ। 13 हजार लड़कियां गुम हो गई हैं। यह स्थिति राज्य के लिए अच्छी नहीं है, इसलिए अब महिलाओं के हितों की रक्षा करनेवाले को चुनें। यह अपील राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरदचंद्र पवार ने की।
हड़पसर विधानसभा चुनाव क्षेत्र महाविकास आघाडी के अधिकृत उम्मीदवार प्रशांत जगताप के प्रचार हेतु आयोजित सभा को संबोधित करते हुए वे बोल रहे थे। यहां उम्मीदवार प्रशांत जगताप, पूर्व सांसद वंदना चव्हाण, पार्टी के प्रभारी शहराध्यक्ष अंकुश काकडे, पूर्व राज्यमंत्री बालासाहेब शिवरकर, जिला अध्यक्ष जगन्नाथ शेवाले, पूर्व विधायक जयदेव गायकवाड, सुभाष वारे, दिलीप तुपे, रवींद्र मालवदकर, पूर्व नगरसेवक योगेश ससाणे, निलेश मगर, बंडू गायकवाड, विजय देशमुख, पूर्व नगरसेविका रत्नप्रभा जगताप, प्राची आल्हाट, पुणे शहर शिवसेना ठाकरे गुट शहर प्रमुख संजय मोरे, उपशहर प्रमुख समीर तुपे, नितिन गावड़े, महेंद्र बनकर, दत्ता खवले, प्रवीण तुपे, कांग्रेस युवा नेता इमरान शेख, दिलीप शंकर तुपे, मोहसीन शेख, पल्लवी प्रशांत सुरसे, अनिल तुपे, नमेश बाबर, सक्षणा सलगर, कुमार तुपे आदि उपस्थित थे।
श्री पवार ने कहा कि राज्य में कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सरकार के दौरान किसानों के लिए कई फैसले लिए गए। इससे कृषि में सुधार हुआ और फल उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई, परंतु वर्तमान भ्रष्ट सरकार के कारण किसान दुखी हैं।
राज्य में अब तक 20 हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं। पिछले छह माह में यह संख्या बढ़कर 1267 हो गयी है। भारी बारिश के कारण किसानों की फसल बर्बाद हो गई है। हालाँकि, कर्ज उतना ही है। शासकों को किसानों के प्रति आस्था नहीं है।
सरकार ने युवाओं की भी उपेक्षा की है। युवाओं के हाथों को काम न होने से राज्य में बेरोजगारी बढ़ी है। विकास सूचकांक में भी राज्य गिरा है और महाराष्ट्र देश में आठवें स्थान पर है। इस दौरान पवार ने आलोचना करते हुए कहा कि इसके लिए मौजूदा शासक जिम्मेदार हैं, इसलिए इन शासकों को पत्थरों की तरह उखाड़ फेंकने की अपील श्री पवार ने की।
हड़पसर के लिए एक अलग नगरपालिका की आवश्यकता
हड़पसर पुणे में सामाजिक आंदोलन का केंद्र रहा है। अण्णासाहेब मगर, रामभाऊ तुपे जैसे नेताओं ने आम आदमी के कल्याण के लिए सामाजिक कार्य किए, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हड़पसर का विकास जैसा होना चाहिए था उस तरह हुआ नहीं है। इसके लिए आनेवाले समय में हड़पसर की अलग व्यवस्था बनानी होगी और स्वतंत्र रूप से नगर पालिका बनानी होगी।
महापौर के रूप में प्रशांत जगताप का काम प्रभावशाली है। तुरही बजानेवाला आपके पक्ष में आपके हित में रहनेवाला है। वह है जो आपकी सुख दुख में शामिल होगा और स्नेह बरसाएगा तो आनेवाली 20 तारीख को तुरही बजानेवाला इंसान चुनाव चिन्ह के सामने का बटन दबाकर प्रशांत जगताप को चुनने की अपील करता हूं।
महाविकास आघाड़ी का अंकुश
छह महीने पहले लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगी ‘अबकी बार चारशे पार’ का नारा लगा रहे थे। सरकार चलाने के लिए 300 सांसद काफी हैं। इसके बावजूद, यह सोचने के बाद कि उन्हें 400 पार क्यों करना है तब एहसास हुआ कि डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर द्वारा दिये गये संविधान को बदलना है। ऐसे बयान उनके कई सांसदों और नेताओं ने दिये थे। बीजेपी और मोदी की इस साजिश को नाकाम करने के लिए हम सभी लोगों ने एक साथ आकर इंडिया आघाड़ी की स्थापना की। लोकसभा ने उन्हें ढाई सौ के अंदर पहुंचा दिया।
प्रशांत जगताप ने कहा कि, हम पवार साहब को उम्र, जाति और धर्म के दायरे में नहीं बांध सकते। विधायकों ने पितृतुल्य शरद पवार को धोखा देकर गद्दारी की है, इसलिए यह गद्दारी बनाम स्वाभिमान, निष्क्रियता बनाम विकास की लड़ाई है। हड़पसर को हम ट्रैफिक जाम, पानी की कमी, अपराध मुक्त बनाना चाहते हैं। मैं मुलशी बांध से तीन टीएमसी पानी लाकर हड़पसर की पानी की समस्या का समाधान करूंगा। यहां मेट्रो मार्ग, भैरोबनाला में दो मंजिला फ्लाईओवर का निर्माण करके, एक मंजिल पर मेट्रो और दूसरी मंजिल पर यातायात का विकल्प होगा। कात्रज चौक पर ग्रेड सेपरेटर और फ्लाईओवर का निर्माण करके यातायात की भीड़ को हल करने का प्रयास करेंगे। कालभैरवनाथ की जयंती व यात्रा फिर से शुरू की जाएगी, इसलिए आइए, 20 तारीख को तुरही बजानेवाला इंसान चुनाव चिन्ह के सामने का बटन दबाकर मुझे भारी बहुमत से जिताइए।
इस अवसर पर बालासाहेब शिवरकर, संजय मोरे, समीर तुपे, योगेश ससाणे, विजय देशमुख, दिलीप आबा तुपे, सलक्षणा सलगर, हेमा पिंपले ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
प्रास्ताविक प्रवीण तुपे ने किया। सूत्र संचालन शैलेंद्र बेल्हेकर और आभार प्रदर्शन निलेश मगर ने किया।
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