हृदय में स्नेह की ज्योति जलाएं…
हृदय में स्नेह की ज्योति जलाएं…
भारतीय संस्कृति में वर्ष भर विभिन्न त्यौहारों का अपना एक अनोखा महत्व होता है। दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जो सभी को बहुत पसंद होता है! अश्विन कृ .11 बजे से दिवाली शुरू होती है। रमा एकादशी और गोवत्स द्वादशी अर्थात वसुबारस से हर कोई आनंदोत्सव का त्यौहार मनाने के लिए उत्साहित हो जाता है।
विक्रम संवत्सर का नया वर्ष दीपावली पाडवा से प्रारंभ होता है। इसी दिन से दीप उत्सव का प्रारंभ होता है। दीपक जलते ही अंधेरा दूर हो जाता है और परिसर रोशन हो जाता है। उसी प्रकार यदि हमारे अंदर प्रेम की लौ जल जाए तो हमारे मन की अशांति दूर हो जाती है और त्याग एवं समर्पण की भावना प्रबल हो जाती है। यह तभी संभव है जब हमारा हृदय शुद्ध हो। हृदय को शुद्ध करने के लिए विवेक और सामाजिक चेतना आवश्यक है।
यदि हमारा विवेक जागृत होता रहेगा तो मन की पवित्रता के कारण आत्म प्रकाश के चारों ओर पड़ा हुआ कालिख का आवरण हट जायेगा और आत्म प्रकाश उज्ज्वल हो जायेगा तथा उसमें से हमारे अन्तःकरण के दीपक जगमगाने लगेंगे। आइए अच्छे लक्ष्य के साथ दूरी का दीपक जलाएं। घृणा, ईर्ष्या, अज्ञान, अवसाद को दूर कर मन के द्वार खोलने चाहिए तभी हृदय में स्नेह की ज्योति जल सकती है।
स्नेह और सत्य की चेतना का दीपक सदैव जलता रहे तो निश्चित ही वसुबारस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, बलिप्रतिपदा, पाड़वा, भाईदूज के माध्यम से उत्साह का निर्माण होकर खुशियां दोगुनी हो जाएंगी। इस अवसर पर हम प्रार्थना करें कि आनेवाले समय में विश्व किसी भी महामारी से मुक्त हो, सभी को सुख, समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य एवं दीर्घायु प्रदान हो।
दीपावली पर्व की शुभकामनाएँ।
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