समाज का दर्पण है फोटोग्राफी : डॉ. सुधाकर चव्हाण

समाज का दर्पण है फोटोग्राफी : डॉ. सुधाकर चव्हाण

समाज का दर्पण है फोटोग्राफी : डॉ. सुधाकर चव्हाण

समाज का दर्पण है फोटोग्राफी : डॉ. सुधाकर चव्हाण

लोनी कालभोर, अक्टूबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
कोई भी कला समाज की अच्छाइयों और बुराइयों को ज्यों का त्यों दर्शाती है। यह विचार वरिष्ठ भारतीय पारंपरिक कला विद्वान डॉ. सुधाकर चव्हाण ने व्यक्त किए।

एमआईटी कला, डिजाइन व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमआईटी एडीटी) के स्कूल ऑफ फाइन एंड एप्लाइड आर्ट्स के छात्रों द्वारा भारतीय पारंपरिक अध्ययन (आईटीएस) विषय के अंतर्गत बनाई गई पेंटिंग और फोटोग्राफी प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसर पर वे पर बोल रहे थे।

इस अवसर पर एमआईटी एडीटी के कुलपति व कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. डॉ. मंगेश कराड, कार्यकारी निदेशक प्रो. ज्योति ढाकने-कराड, प्रो. कुलपति डॉ. अनंत चक्रदेव, विभागाध्यक्ष डॉ. मिलिंद ढोबले के साथ अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

IMG-20241016-WA0002-300x200 समाज का दर्पण है फोटोग्राफी : डॉ. सुधाकर चव्हाण
प्रदर्शनी में 150 से अधिक छात्रों द्वारा तैयार की गई 250 से ज्यादा पेंटिंग्स और तस्वीरों का संग्रह दिखाया गया, जिसमें भारतीय पारंपरिक कला की विविध शैलियों को प्रदर्शित किया गया। डॉ. चव्हाण ने छात्रों द्वारा बनाई गई छवियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी कलाकृतियों ने ऐसा महसूस कराया जैसे दर्शक खुद उन स्थानों का दौरा कर रहे हों। फोटोग्राफी समाज का दर्पण होती है।

यह कला प्रदर्शनी छात्रों की हालिया भारत यात्रा का परिणाम है, जहां उन्होंने विभिन्न पारंपरिक कला रूपों का गहराई से अध्ययन किया। भुज (गुजरात), भीलवाड़ा (राजस्थान) और खजुराहो (मध्य प्रदेश) में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कलाकारों के साथ कार्यशालाएं आयोजित की गईं। प्रदर्शनी में रोगन कला, लिपन कला, चमड़ा कला, मिट्टी के बर्तन, अजरक प्रिंट, फड़ कला और खजुराहो के मंदिरों का सजीव चित्रण शामिल था।

यह प्रदर्शनी छात्रों और शिक्षकों से अभूतपूर्व प्रशंसा प्राप्त कर चुकी है और जल्द ही इसे पुणे के केंद्रीय क्षेत्र में कला प्रेमियों के लिए आयोजित किया जाएगा।

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