अण्णासाहेब मगर महाविद्यालय में मराठी भाषा को अभिजात दर्जा मिलने पर किया गया ग्रंथ प्रदर्शनी का आयोजन
अण्णासाहेब मगर महाविद्यालय में मराठी भाषा को अभिजात दर्जा मिलने पर किया गया ग्रंथ प्रदर्शनी का आयोजन
मांजरी, अक्टूबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
पुणे जिल्हा शिक्षण मंडल के अण्णासाहेब मगर महाविद्यालय की ओर से मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा मिलने पर ग्रंथ प्रदर्शनी आयोजित करके एक विशेष सम्मान समारोह मनाया गया।
उक्त प्रदर्शन में गाथासप्तशती, लीलाचरित्र, ज्ञानेश्वरी, तुकारामांची गाथा, महात्मा फुले समग्र वाड्मय, संत साहित्य जैसी कई ग्रंथ रखे गए ताकि छात्र इन ग्रंथों को देख सकें। इस ग्रंथ प्रदर्शन का उद्घाटन महाराष्ट्र सूचना प्रौद्योगिकी सहायता केंद्र के अध्यक्ष यशवंत शितोले के शुभ प्रभाव किया गया। उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए मराठी भाषा की समृद्धि पर प्रकाश डाला और डिजिटल युग में किताबें पढ़ने में रुचि कैसे पैदा की जाए, इस पर चर्चा की।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नितिन घोरपडे ने भाषा को अभिजात दर्जा कैसे दिया जाता है, इसकी जानकारी दी। उन्होंने डेढ़ से दो हजार साल पहले की मराठी भाषा कैसी थी, यह उन्होंने अपने अंदाज में उपस्थितों को समझाया।
मराठी विभाग के प्रमुख डॉ. प्रवीण ससाणे ने मराठी भाषा की संरचना व सांस्कृतिक महत्व पर विस्तृत वर्णन करते हुए विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने उपस्थितों को कुछ दिलचस्प बातें बताईं, जिसने दर्शकों का ध्यान खींचा।
कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता थी, जिसमें 153 छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस प्रतियोगिता में छात्रा श्रावणी वेदपाठक व अश्विनी जाधव विजेता रहीं, जिन्हें डॉ. लतेश निकम व डॉ. संकपाल के शुभ हाथों ग्रंथ देकर सम्मानित किया गया।
ग्रंथ प्रदर्शनी को उत्कृष्ट प्रतिक्रिया मिली। इसमें उपस्थित प्रोफेसरों, सहायक प्रोफेसरों, कर्मचारियों और छात्रों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इस कार्यक्रम से मराठी भाषा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ेगी और छात्रों में पढ़ने के प्रति रुचि निर्माण होगी। इस ग्रंथ सम्मान समारोह के कारण मराठी भाषा का सम्मान बढ़ा है और इससे छात्रों के बीच भाषा में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद मिलेगी।
उपप्राचार्य डॉ. प्रशांत मुले, उपप्राचार्य डॉ.अनिल जगता, डॉ.गंगाराम सातव, डॉ.सविता कुलकर्णी, डॉ.टिलेकर, सूरज काले, डॉ. वंदना सोनवले, ज्योति धोत्रे आदि ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
सहायक ग्रंथपाल पवन कर्डक, जीवन शेलके, साधना कालभोर, जालिंदर मोरे, रेखा जंबे, भिसे प्रणाली, अक्षय कोकरे व अशोक शेकडे ने इस प्रदर्शनी को बहुमूल्य योगदान दिया। कार्यक्रम की प्रस्तावना ग्रंथपाल डॉ. दत्तात्रय संकपाल ने की।
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