महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा देश में बच्चों के विकास और कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं का समावेश करते हुए महत्वपूर्ण अम्ब्रेला मिशन शुरू

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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा देश में बच्चों के विकास और कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं का समावेश करते हुए महत्वपूर्ण अम्ब्रेला मिशन शुरू

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बच्चों को सुरक्षित और संरक्षित वातावरण प्रदान करके उनके कल्याण को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है जो सुलभ, किफायती, विश्वसनीय और सभी प्रकार के भेदभाव से मुक्त हो। इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, मंत्रालय ने देश में बच्चों के विकास और कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं को शामिल करते हुए महत्वपूर्ण अम्ब्रेला मिशन शुरू किए हैं। हालांकि बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य देखभाल एवं विकास के लिए योजनाएं मिशन सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण 2.0 (मिशन पोषण 2.0) के माध्यम से कार्यान्वित की जाती हैं, वहीं बच्चों की सुरक्षा, संरक्षा और विकास के लिए योजनाएं मिशन वात्सल्य के माध्यम से कार्यान्वित की जाती हैं। इन मिशनों का मुख्य उद्देश्य लैंगिक समानता और बाल केंद्रित कानून, नीतियां एवं कार्यक्रम बनाने के लिए अंतर-मंत्रालयी और अंतर-क्षेत्रीय सामंजस्य को बढ़ावा देना है।

मिशन पोषण 2.0 एक एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम है। इस मिशन के अंतर्गत पोषण अभियान, आंगनबाड़ी सेवा योजना और किशोरियों के लिए योजना को जोड़ा गया है। इसका उद्देश्य पोषण सामग्री और डिलीवरी में रणनीतिक बदलाव और स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती और प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने वाली कार्यप्रणालियों को विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए एक समन्वित इकोसिस्टम के निर्माण के माध्यम से किशोरियों (14-18 वर्ष), गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के अलावा बच्चों (6 वर्ष तक) में कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करना है। पोषण 2.0 का उद्देश्य पूरक पोषण कार्यक्रम के तहत भोजन की गुणवत्ता और वितरण को अनुकूलित करना है। इस योजना को पारदर्शिता, जवाबदेही, आहार विविधता और गुणवत्ता, खाद्य सुदृढ़ीकरण, जमीनी स्तर पर अधिक से अधिक भागीदारी और प्रमुख रणनीतियों द्वारा समर्थित सेवाओं को अंतिम छोर तक प्रदान करने के माध्यम से कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिए तैयार किया गया है। पोषण 2.0 के तहत, ज्ञान की पारंपरिक प्रणालियों का लाभ उठाने और मोटे अनाज के उपयोग को लोकप्रिय बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।

पोषण 2.0 के प्रमुख घटकों में से एक प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) है और मंत्रालय ने आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के मानसिक एवं बौद्धिक प्रोत्साहन और विकास के लिए आयु के अनुसार उपयुक्त शिक्षण-अधिगम कार्यक्रम विकसित किए हैं। इसके अलावा, मिशन के तहत, प्रति वर्ष 40,000 आंगनबाड़ी केंद्रों यानी 5 वर्षों के दौरान 2 लाख चयनित सरकारी स्वामित्व वाले आंगनबाड़ी केंद्रों को बेहतर पोषण और ईसीसीई डिलीवरी हेतु मजबूत, उन्नत एवं कायाकल्प किया जाएगा।

पोषण अभियान के तहत, पहली बार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन उपलब्ध कराए गए हैं और आंगनबाड़ी केंद्रों को बच्चों के विकास की नियमित निगरानी को बढ़ावा देने के लिए ग्रोथ मॉनिटरिंग डिवाइस से लैस किया गया है। इस अभियान के तहत पोषण ट्रैकर के माध्यम से पोषण वितरण सहायता प्रणालियों को मजबूत बनाने और पारदर्शिता लाने के लिए आईटी प्रणालियों का लाभ उठाया गया है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मिशन शक्ति के अंतर्गत सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए ‘पालना’ नामक एक केंद्र प्रायोजित योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य बच्चों को डे केयर सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान करना है। ‘पालना’ के अंतर्गत मंत्रालय ने आंगनबाड़ी-सह-क्रेच (एडब्ल्यूसीसी) के माध्यम से बच्चों की देखभाल की निःशुल्क सेवाएं प्रदान की हैं। पालना घटक का उद्देश्य बच्चों (6 महीने से 6 वर्ष की आयु तक) के लिए सुरक्षित और संरक्षित वातावरण में गुणवत्तापूर्ण क्रेच सुविधा, पोषण सहायता, बच्चों के स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक विकास, ग्रोथ मॉनिटरिंग, ​​टीकाकरण और प्री-प्राइमरी शिक्षा प्रदान करना है।

मिशन वात्सल्य का उद्देश्य भारत में प्रत्येक बच्चे के लिए स्वस्थ और खुशहाल बचपन सुनिश्चित करना; बच्चों के विकास के लिए एक संवेदनशील, सहायक और समन्वित इकोसिस्टम को बढ़ावा देना; देश भर में जरूरतमंद और कठिन परिस्थितियों वाले बच्चों के लिए सेवाएं प्रदान करने में सहायता प्रदान करना; विभिन्न पृष्ठभूमियों के बच्चों के समग्र विकास के लिए संदर्भ-आधारित समाधान विकसित करना; किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 के दायित्व को पूरा करने में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की सहायता करना और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना है।

मिशन वात्सल्य के अंतर्गत आने वाले घटकों में वैधानिक निकाय; सेवा वितरण संरचनाएं; संस्थागत देखभाल सेवाएं; गैर-संस्थागत समुदाय आधारित देखभाल; आपातकालीन आउटरीच सेवाएं; प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण शामिल हैं।

यह जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।

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