महाराष्ट्र के पालघर में वाढवण बंदरगाह के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

महाराष्ट्र के पालघर में वाढवण बंदरगाह के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

महाराष्ट्र के पालघर में वाढवण बंदरगाह के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

महाराष्ट्र के गवर्नर सी.पी. राधाकृष्णन जी, हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे जी, केंद्रीय कैबिनेट में मेरे सहयोगी श्री राजीव रंजन सिंह जी, सर्बानंद सोनोवाल जी, महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस जी, अजीत दादा पवार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे अन्य सहयोगीगण, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री, अन्य महानुभाव और मेरे प्यारे भाइयों एवं बहनों!

आज संत सेनाजी महाराज यांची पुण्यतिथी. मी त्यांना नमन करतो। माझा सर्व लाडक्या बहिणी, आणि लाडक्या भावांना तुमच्या या सेवकाचा नमस्कार।

साथियों,

आज इस कार्यक्रम की चर्चा करने से पहले मैं अपने हृदय के भावों को व्यक्त करना चाहता हूं। जब 2013 में भारतीय जनता पार्टी ने मुझे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में निश्चित किया तो मैंने सबसे पहला काम किया था– रायगढ़ के किले पर जाकर के छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के सामने बैठकर के प्रार्थना की थी। एक भक्त अपने आराध्य देव को जिस प्रकार से प्रार्थना करता है, उस भक्ति भाव से आशीर्वाद लेकर के मैंने राष्ट्रीय सेवा की एक नई यात्रा का आरंभ किया था। पिछले दिनों सिंधुदुर्ग में जो हुआ, मेरे लिए, मेरे सभी साथियों के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज ये सिर्फ नाम नहीं है। हमारे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज ये सिर्फ राजा, महाराजा, राजपुरुष मात्र नहीं है, हमारे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य देव हैं। और मैं आज सर झुकाकर के मेरे आराध्य देव छत्रपति शिवाजी महाराज की, उनके चरणों में मस्तक रखकर के माफी मांगता हूं। हमारे संस्कार अलग हैं, हम वो लोग नहीं हैं, जो आए दिन भारत मां के महान सपूत इसी धरती के लाल वीर सावरकर को अनाप सनाप गालियां देते रहते हैं, अपमानित करते रहते हैं। देशभक्तों की भावनाओं को कुचलते हैं। उसके बावजूद भी, वीर सावरकर को गालियां देने के बावजूद भी माफी मांगने को जो तैयार नहीं है, अदालतों में जाकर के लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। इतने बड़े महान सपूत का अपमान करके जिनको पश्चाताप नहीं होता है, महाराष्ट्र की जनता उनके संस्कार को अब जान लें। और ये हमारे संस्कार हैं कि इस धरती पर आते ही आज मैंने पहला काम मेरे आराध्य देव छत्रपति शिवाजी महाराज, उनके चरणों में सर झुकाकर के  क्षमा मांगने का कर रहा हूं। और इतना ही नहीं जो-जो लोग छत्रपति शिवाजी महाराज को अपने आराध्य मानते हैं, उनके दिल को जो गहरी चोट पहुंची है, मैं ऐसे आराध्य देव की पूजा करने वालों से भी सर झुकाकर के क्षमा मांगता हूं। मेरे संस्कार अलग हैं। हमारे लिए हमारे आराध्य देव से बड़ा कुछ नहीं होता है।

साथियों,

आज का दिन महाराष्ट्र की विकास यात्रा का एक ऐतिहासिक दिन है। ये भारत की विकास यात्रा के लिए बहुत बड़ा दिन है। विकसित महाराष्ट्र, विकसित भारत के संकल्प का सबसे अहम हिस्सा है। इसीलिए, पिछले दस वर्ष हों, या अभी मेरी सरकार का तीसरा कार्यकाल महाराष्ट्र के लिए लगातार बड़े फैसले लिए गए हैं। महाराष्ट्र के पास विकास के लिए जरूरी सामर्थ्य भी है, संसाधन भी हैं। यहाँ समुद्र के तट भी हैं, इन तटों से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का सदियों पुराना इतिहास भी है। और यहाँ भविष्य की अपार संभावनाएं भी हैं। इन अवसरों का पूरा लाभ महाराष्ट्र को और देश को मिले, इसके लिए आज वाढवण पोर्ट की नींव रखी गई है। इस पोर्ट पर 76 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। ये देश का सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट होगा। ये देश ही नहीं, दुनिया के सबसे गहरे पोर्ट्स में से एक महत्वपूर्ण पोर्ट होगा। आज देश के सभी कंटेनर पोर्ट्स से जितने कंटेनर आते-जाते हैं, पूरे देश के, टोटल की मैं बात कर रहा हूं। आज जितने टोटल आते जाते हैं,  उससे ज्यादा कंटेनर का काम अकेले वाढवण पोर्ट पर होने वाला है। आप अंदाजा लगा सकते हैं, ये पोर्ट महाराष्ट्र और देश के व्यापार का, औद्योगिक प्रगति का कितना बड़ा केंद्र बनेगा। इस क्षेत्र की पहचान अब तक प्राचीन किलों, यानी फोर्ट से होती थी, अब इस क्षेत्र की पहचान आधुनिक पोर्ट से भी हुआ करेगी। मैं पालघर के लोगों को, महाराष्ट्र के लोगों को, देश के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हमारी सरकार ने 2-3 दिन पहले ही दिघी पोर्ट औद्योगिक क्षेत्र के विकास को भी मंजूरी दे दी है। यानि ये महाराष्ट्र के लोगों के लिए डबल खुशखबरी है। ये औद्योगिक क्षेत्र छत्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी रायगढ़ में विकसित होने वाला है। इसलिए, ये महाराष्ट्र की पहचान का, छत्रपति शिवाजी महाराज के सपनों का भी प्रतीक बनेगा। दिघी पोर्ट औद्योगिक क्षेत्र से पर्यटन और इको-रिसॉर्ट को भी बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

आज यहां मच्छीमार भाई-बहनों के लिए भी 700 करोड़ रुपए से ज्यादा की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया है। देश की अलग-अलग जगहों पर 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजनाओं का उद्घाटन भी यहीं से हुआ है। इन सब प्रोजेक्ट्स के लिए भी अपने मछुआरे भाई-बहनों को, आप सभी साथियों को बधाई देता हूँ। वाढवण पोर्ट हो, दिघी पोर्ट इंडस्ट्रियल एरिया का विकास हो, फिशरीज की योजनाएं हों, इतने बड़े-बड़े काम माता महालक्ष्मी देवी, माता जीवदानी और भगवान तुंगारेश्वर के आशीर्वाद से ही हो रहे हैं। माता महालक्ष्मी देवी, माता जीवदानी आणि, भगवान तुंगारेश्र्वर यांना माझे शतः शतः नमन!

साथियों,

एक समय था, जब भारत को विश्व के सबसे समृद्ध और सशक्त राष्ट्रों में गिना जाता था। भारत की इस समृद्धि का एक बड़ा आधार था- भारत का सामुद्रिक सामर्थ्य, हमारी इस ताकत को महाराष्ट्र से बेहतर और कौन जानेगा? छत्रपति शिवाजी महाराज, उन्होंने समुद्री व्यापार को, समुद्री शक्ति को एक नई ऊंचाई दी थी। उन्होंने नई नीतियाँ बनाईं, देश की प्रगति के लिए फैसले लिए। कभी हमारी ताकत इतनी थी कि दर्या सारंग कान्होजी आंग्रे पूरी ईस्ट इंडिया कंपनी पर भारी पड़े थे। लेकिन, आज़ादी के बाद उस विरासत पर ध्यान नहीं दिया गया। औद्योगिक विकास से लेकर व्यापार तक, भारत पीछे छूटता चला गया।

लेकिन साथियों,

अब ये भारत, नया भारत है। नया भारत इतिहास से सबक लेता है नया भारत अपने सामर्थ्य को पहचानता है, नया भारत अपने गौरव को पहचानता है, गुलामी की बेड़ियों के हर निशान को पीछे छोड़ते हुए नया भारत समुद्री इनफ्रास्ट्रक्चर में मील के नए पत्थर लगा रहा है।

साथियों,

पिछले एक दशक में भारत के समुद्री तटों पर विकास को अभूतपूर्व गति मिली है। हमने बन्दरगाहों को आधुनिक बनाया है। हमने जलमार्गों को विकसित किया है। जहाजों को बनाने का काम भारत में हो,  भारत के लोगों को रोजगार मिले, सरकार ने इस पर ज़ोर दिया है। इस दिशा में लाखों करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। आज इसके परिणाम भी हमें देखने को मिल रहे हैं। ज्यादातर पोर्ट की क्षमता पहले की तुलना में दोगुनी हो गई है, निजी निवेश भी बढ़ा है, जहाजों के आने-जाने के समय में भी कमी आई है। इसका लाभ किसे मिल रहा है? हमारे उद्योगों, हमारे व्यापारियों, जिनकी लागत कम हुई है। इसका लाभ हमारे युवाओं को मिल रहा है, जिन्हें नए अवसर मिल रहे हैं। इसका लाभ उन नाविकों को मिल रहा है, जिनकी सुविधाएं बढ़ी हैं।

साथियों,

आज वाढवण पोर्ट पर पूरी दुनिया की नजर है। दुनिया में वाढवण पोर्ट की बराबरी करने वाले, 20 मीटर जितनी गहराई वाले बहुत कम बंदरगाह हैं। इस पोर्ट पर हजारों जहाज आएंगे, कंटेनर आएंगे, इस पूरे क्षेत्र की आर्थिक तस्वीर बदल जाएगी। सरकार वाढवण पोर्ट को रेल और हाईवे कनेक्टिविटी से भी जोड़ेगी। कितने ही नए-नए व्यापार इस पोर्ट की वजह से यहां शुरू होंगे। यहां वेयरहाउसिंग के काम में बहुत तेजी आएगी और इसकी लोकेशन, ये तो सोने पर सुहागा है, वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे, सब कुछ बहुत पास है। पूरे साल यहां से कार्गो आएगा-जाएगा, और इसका सबसे ज्यादा लाभ आप लोगों को मिलेगा, मेरे महाराष्ट्र के भाई-बहनों को मिलेगा, मेरी नई पीढ़ी को मिलेगा।

साथियों,

महाराष्ट्र का विकास, ये मेरी बहुत बड़ी प्राथमिकता है। आज ‘मेक इन इंडिया’ का लाभ महाराष्ट्र को हो रहा है। आज आत्मनिर्भर भारत अभियान का लाभ महाराष्ट्र को हो रहा है। आज भारत की प्रगति में हमारा महाराष्ट्र बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है, लेकिन ये दुर्भाग्य है कि महाराष्ट्र विरोधी दलों ने आपके विकास, आपकी भलाई पर हमेशा ब्रेक लगाने की कोशिश की। मैं आज आपको इसका एक और उदाहरण देता हूं।

भाइयों और बहनों,

हमारे देश को वर्षों से दुनिया के साथ व्यापार के लिए एक बड़े और आधुनिक पोर्ट की जरूरत थी। महाराष्ट्र का पालघर ही इसके लिए सबसे उपयुक्त जगह है। ये पोर्ट हर मौसम में काम कर सकता है। लेकिन, इस प्रोजेक्ट को 60 वर्षों तक लटकाकर रखा गया। महाराष्ट्र और देश के लिए इतने जरूरी काम को कुछ लोग शुरू ही नहीं होने दे रहे थे। 2014 में आप सबने हमें दिल्ली में सेवा करने का मौका दिया, 2016 में जब हमारे साथी देवेन्द्र जी की सरकार आई, तब इस पर उन्होंने गंभीरता से काम शुरू करवाया। 2020 में यहाँ पोर्ट बनाने का फैसला भी कर लिया गया, लेकिन, उसके बाद सरकार बदल गई और ढाई साल तक फिर यहाँ कोई काम नहीं हुआ। आप मुझे बताइये, अकेले इस प्रोजेक्ट से यहाँ कई लाख करोड़ रुपए के निवेश का अनुमान है। यहाँ करीब 12 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे। महाराष्ट्र के इस विकास से आखिर किसे आपत्ति है? कौन लोग थे, जो महाराष्ट्र के विकास को ब्रेक लगा रहे थे? ये कौन लोग थे, जिनको महाराष्ट्र के नौजवानों को रोजगार मिले इससे एतराज था। पहले की उन सरकारों ने क्यों इस काम को आगे नहीं बढ़ने दिया? ये बात महाराष्ट्र की जनता को कभी भी भूलना नहीं चाहिए। सच्चाई ये है कि कुछ लोग महाराष्ट्र को पीछे रखना चाहते हैं, जबकि हमारे एनडीए की सरकार, यहां हमारी महायुति की सरकार, महाराष्ट्र को देश में सबसे आगे ले जाना चाहती है।

साथियों,

जब समुद्र से जुड़े अवसरों की बात होती है, तो इसमें सबसे अहम भागीदार हमारे मछुआरे भाई-बहन हैं। मच्छिमार बंधू भगिनींनो! आपल्या पांच शे सव्विस, मच्छीमारांची गावे कोळीवाडे, आणि 15 लाख मच्छिमारांच्या लोक-संख्येसह, महाराष्ट्राचे मत्स्यपालन क्षेत्रातील,  खूप मोठे आहे. अभी मैं पीएम मत्स्य सम्पदा के लाभार्थी साथियों से बात भी कर रहा था। इनके परिश्रम से 10 वर्षों में कैसे इस सेक्टर की तस्वीर बदली है, कैसे देश की योजनाओं से, सरकार के सेवाभाव से करोड़ों मछुआरों का जीवन बदल रहा है, ये आज हमें देखने को मिल रहा है। आपकी मेहनत ने कितना कमाल किया है, ये जानकर आपको भी खुशी होगी! आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बन गया है। 2014 में देश में 80 लाख टन मछली का ही उत्पादन होता था। आज करीब-करीब 170 लाख टन मछली का उत्पादन भारत कर रहा है। यानि सिर्फ 10 साल में मछली का उत्पादन आपने दोगुना कर दिया है। आज भारत का सी फूड निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है। 10 साल पहले देश से 20 हजार करोड़ रुपए से कम का झींगा निर्यात होता था। आज 40 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की झींगा निर्यात होता है। यानि झींगा का निर्यात भी आज दोगुने से ज्यादा हो गया है। हमने जो ब्लू रेवोल्यूशन स्कीम शुरू की थी, उसकी सफलता चारों तरफ दिख रही है। इस योजना से रोजगार के लाखों नए अवसर तैयार हुए हैं। आमच्या सरकारच्या निरंतर प्रयत्नांमुळे, कोट्यावधी मच्छीमारांचे उत्पन्न वाढले आहे, त्यांचा जीवन स्तर सुधारला आहे.

साथियों,

हमारी सरकार मछली उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए भी काम कर रही है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत हजारों महिलाओं को मदद दी गई है। आप भी जानते हैं कि मछली पकड़ने के लिए जाने वाले लोगों को अपने जीवन का खतरा भी उठाना पड़ता था। घर की महिलाएं, पूरा परिवार चिंता में जीता था। हम आधुनिक  टेक्नोलॉजी और सैटेलाइट की मदद से इन खतरों को भी कम कर रहे हैं। आज जो ये वेसल कम्यूनिकेशन सिस्टम शुरू हुआ है, वो तो हमारे मच्छीमार भाई-बहनों के लिए बहुत बड़ा वरदान होगा। सरकार, मछली पकड़ने वाले जहाजों पर एक लाख ट्रांसपोंडर लगाने जा रही है। इसकी मदद से हमारे मछुआरे साथी, अपने परिवारों से, बोट मालिकों से, फिशरीज डिपार्टमेंट से, समुद्र की सुरक्षा करने वालों से हमेशा जुड़े रहेंगे। चक्रवात के समय, समुद्र में किसी अनहोनी के समय, हमारे मछुआरे साथी, जब चाहें अपना संदेश सैटेलाइट की मदद से किनारे पार संबंधित लोगों को भेज पाएंगे। संकट के समय, आपका जीवन बचाना, आप तक सबसे पहले पहुंचना, सरकार की बहुत बड़ी प्राथमिकता है।

साथियों,

मच्छीमार भाई-बहनों के जहाज सुरक्षित लौट सकें, इसके लिए 110 से ज्यादा मच्छी बन्दरगाह और लैंडिंग सेंटर्स भी बनाए जा रहे हैं। कोल्ड चेन हो, प्रोसेसिंग की व्यवस्था हो, नाव के लिए लोन की योजना हो, या पीएम मत्स्य संपदा योजना हो, ये सारी योजनाएं मच्छीमार भाई-बहनों के हित के लिए ही बनाई गई हैं। हम तटीय गाँवों के विकास पर और ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। आपका सामर्थ्य बढ़ाने के लिए मच्छीमार सरकारी संस्थाओं को भी, सहकारी संस्थाओं को भी मजबूत बनाया जा रहा है।

साथियों,

पिछड़ों के लिए काम करना हो, या वंचितों को अवसर देना हो, बीजेपी और एनडीए सरकारों ने पूरे समर्पण भाव और ईमानदारी से काम किया है। आप देखिए, देश में इतने दशकों तक मच्छीमार भाई-बहनों और आदिवासियों की क्या स्थिति रही? पुरानी सरकारों की नीतियों में हमेशा इस समाज को हाशिये पर रखा गया। देश में इतना बड़ा आदिवासी बहुल क्षेत्र है। फिर भी आदिवासियों के कल्याण के लिए कभी एक विभाग तक नहीं बनाया गया। अलग जनजातीय मंत्रालय की स्थापना भाजपा एनडीए सरकार ने ही की थी। हमारी ही सरकार ने मछुआरों के कल्याण के लिए अलग मंत्रालय भी बनाया। हमेशा उपेक्षित रहे आदिवासी इलाकों को अब पीएम जनमन योजना का लाभ मिल रहा है। हमारा आदिवासी समाज, हमारा मच्छीमार समाज आज भारत की प्रगति में बड़ा योगदान दे रहा है।

साथियों,

आज मैं महायुति की सरकार की एक और बात के लिए विशेष रूप से सराहना करूंगा। Women led development में नारी सशक्तिकरण में महाराष्ट्र देश को दिशा दिखा रहा है। आज महाराष्ट्र में अनेक उच्च पदों पर महिलाएं बहुत ही शानदार काम कर रही हैं। राज्य के इतिहास में पहली बार मुख्य सचिव के रुप में सुजाता सौनिक जी राज्य प्रशासन का मार्गदर्शन कर रही हैं। पहली बार राज्य के पुलिस फोर्स की प्रमुख DGP रश्मि शुक्ला जी नेतृत्व कर रही हैं। पहली बार राज्य के Forest Force की प्रमुख के रुप में शोमिता बिस्वास जी lead कर रही हैं। पहली बार राज्य के कानून विभाग के प्रमुख के रूप में श्रीमती सुवर्णा केवले जी, बड़ी जिम्मेदारी संभाल रही हैं। इसी तरह राज्य के Principal Accountant General के रुप में जया भगत जी ने कमान संभाली हुई है। और मुंबई में Customs Department का नेतृत्व प्राची स्वरूप जी के हाथों में है। मुंबई की विशाल और मुश्किल भरे अंडरग्राउंड Metro-3 को Mumbai Metro की एमडी अश्विनी भिडे जी lead कर रही हैं। उच्च शिक्षा क्षेत्र में भी महाराष्ट्र में महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं। महाराष्ट्र हेल्थ यूनिवर्सिटी के कुलगुरू के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल डॉक्टर माधुरी कानिटकर जी नेतृत्व कर रही हैं। महाराष्ट्र के Skills University के पहले कुलगुरू के रुप में डॉक्टर अपूर्वा पालकर जी नयी पहल कर रही हैं। ऐसे कितने ही बड़े और बहुत जिम्मेदारी भरे पद हैं, जहां महाराष्ट्र में नारीशक्ति, अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है। इनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि 21वीं सदी की नारीशक्ति समाज को नई दिशा देने के लिए तैयार है। यही नारीशक्ति, विकसित भारत का बहुत बड़ा आधार है।

साथियों,

‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ ये NDA सरकार का मंत्र है। मुझे विश्वास है, आप सबके सहयोग से हम महाराष्ट्र को विकास की नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। आप महायुति सरकार पर अपना आशीर्वाद बनाए रखिए। एक बार फिर आप सभी को देश के सबसे बड़े पोर्ट के लिए,  अनेक-अनेक मच्छीमार भाइयों के लिए योजनाओं के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं, बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिये–

भारत माता की–जय

दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिये-

भारत माता की–जय,

आज आपके साथ समुंदर की हर लहरें भी अपना सुर जोड़ रही हैं-

भारत माता की–जय,

भारत माता की–जय,

भारत माता की–जय,

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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