आत्मविश्वास तथा आत्मसंतोष की अनुभूति प्राप्त कराता है ट्रेकिंग : डॉ. अनिल पाटिल
हड़पसर, जुलाई (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
मानसून का मतलब है, ना किसी की मान, ना किसी की सुन, बस बारिश में भीग और मस्ती में झूम… यह चार बोल गुनगुनाते हुए ट्रैकिंग का पूरा लुफ्त उठाते हुए रविवार की मानसून ट्रैकिंग कब पूरी हुई यह पता चला ही नहीं। हम कई सालों से ट्रैकिंग पर जाते रहे हैं लेकिन इस बार ट्रैकिंग थोड़ी मुश्किल थी… तेज़ बारिश हो रही थी… भयानक बहती हवा, गरजते बादल, हर तरफ अंधेरा और इतनी बुरी स्थिति में भी हमने चूल्हे पर मिसल बनाने का फैसला किया था। गीली लकड़ी, जमीन गीली, माचिस बॉक्स गीला होने की स्थिति में भी मिसल बनाने की योजना बनाई और ऐसी विपरीत परिस्थितियों में हमने इसे बना ही लिया। इन शब्दों में ट्रैकर्स ने अपनी ट्रैकिंग का अनुभव बताया।
डॉ. अनिल आत्माराम पाटिल की अगुवाई में उनके ट्रैकिंग ग्रुप के सदस्य योगेंद्र गायकवाड, रामचंद्र दास, निलेश खंडालकर, अनिता सुतार, ममता सुतार, अश्विनी हरणवाल, रेणु माता, डॉक्टर अमोल पवार, पवार मैडम, श्री सोमनाथ अडसूल आदि ट्रैकर्स ट्रैकिंग का अनुभव उठा रहे हैं। पिछले सात वर्षों से यह ट्रैकिंग ग्रुप नियमित रूप से प्रत्येक रविवार को ट्रैकिंग के लिए कानिफनाथ गढ़, दिवे घाट और मल्हारगढ़ आदि जगहों पर जाकर ट्रैकिंग का लुफ्त उठाते हैं।
हम प्रकृति से बहुत कुछ सीख सकते हैं, विशेषकर प्रकृति हमें विपरीत परिस्थितियों से उबरना सिखाया है। ट्रैकिंग एक टीम बनने व स्वीकृति की भावना को प्रोत्साहित करने में भी मदद कर सकती है। अपने परिवार और प्रियजनों के साथ ट्रैकिंग करने से प्यार व विश्वास के बंधन को मजबूत करने में बहुत मदद मिलती है क्योंकि आप ट्रैकिंग में आनेवाली बाधाओं से निपटने के दौरान एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जानते हैं। ट्रैकिंग के दौरान मनुष्य जुझारु एवं निडर बनता है। मिल कर काम करने से उसमें सहयोग की भावना भी विकसित होती हैं। ट्रैकिंग रास्ते के नयनाभिराम दृश्य व्यक्ति की सारी थकान हर लेते हैं। व्यक्ति सब कुछ भूलकर प्रकृति की गोंद में आत्मविश्वास तथा आत्मसंतोष की अनुभूति प्राप्त करता है। यह विचार डॉ. अनिल पाटिल व वर्षा पाटिल ने व्यक्त किए।
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