योग साधना : एक सुखी और स्वस्थ जीवन

योग साधना : एक सुखी और स्वस्थ जीवन

योग साधना : एक सुखी और स्वस्थ जीवन

21 जून को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर महिला योगाभ्यासी वर्षा अनिल पाटिल ने योग साधना : एक सुखी और स्वस्थ जीवन पर अपने कुछ विचार व्यक्त करते हुए योग साधना को अपने जीवन में एक अलग स्थान देने के साथ-साथ उसे अपने नियमित जीवन का अहम हिस्सा बनाने की अपील की है।

योगाभ्यासी वर्षा अनिल पाटिल ने बताया कि योग हमारी भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। हमारे देश की पहचान है। योगा शरीर के स्वास्थ्य के लिए एक पारंपरिक अभ्यास है। पिछले तीन वर्षों से लगातार इस साधना का अभ्यास कर रही हूँ। योग हर व्यक्ति के लिए शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए एक बहुत ही आवश्यक व्यायाम है अगर हम पूरी ईमानदारी से इस साधना को विकसित करते हैं तो निश्चित रूप से इसका असर आपको अपने जीवन में दिखाई देगा इसमें कोई गुंजाइश नहीं है। योग का अर्थ है ध्यानधारणा और इससे योग में कोई उम्र की शर्त या बाधा नहीं होती। ये बात साबित हो चुकी है।

योगाभ्यास कुल 21 प्रकार के होते हैं, जिनमें से कम से कम दो से तीन प्रकार के योगाभ्यास यदि आप करोगे तो शरीर को अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने में बहुत बड़ी मदद होगी। तो आइए योग शुरू करें, योग का अभ्यास करें। शरीर के स्वास्थ्य के लिए योग और मन के स्वास्थ्य के लिए योग यानी ध्यानधारणा करना यह हम सभी के लिए समय की मांग बन गया है। तभी हम अपने स्वास्थ्य को मजबूत और अपने दिमाग को हमेशा स्वस्थ रख सकेंगे।

व्यायाम और शरीर के स्वास्थ्य के लिए कोई उम्र सीमा नहीं है। पचास साल की उम्र में भी शरीर की सेहत के लिहाज से यह शौक मैंने अवगत किया है। योग सभी उम्र के लोगों के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। योग से शक्ति, संतुलन और लचीलापन बढ़ता है। साथ ही अधिक ऊर्जा और बेहतर मनोदशा प्राप्त हो सकती है। तनाव प्रबंधन में योग आपको मदद करता है। योग बेहतर आत्म-देखभाल को बढ़ावा देता है।
योग के कुछ लाभ इस प्रकार हैं-
मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार करता है। तनाव का स्तर कम, लचीलापन बढ़ाता है, रक्तचाप कम करता है, फेफड़ों की क्षमता में सुधार, चिंता से राहत दिलाता है, पुराने पीठ दर्द से राहत दिलाता है, मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा को कम करता है, संतुलन की भावना में सुधार करता है, मजबूत हड्डियां, स्वस्थ वजन, हृदय रोगों का जोखिम कम करता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि –
योग और रोग प्रतिरोधक क्षमता एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। चूंकि योग शरीर की हर कोशिका को स्वस्थ और बेहतर बनाने की दिशा में काम करता है, इसलिए आपका शरीर अपने आप ही अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला बन जाता है, जिससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

– वर्षा अनिल पाटिल (योगाभ्यासी)

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