भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे में चौथी साइबर-फिजिकल सिस्टम में प्रौद्योगिकी नवाचार कार्यशाला का आयोजन किया गया
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे में 13 मई को चौथी साइबर-फिजिकल सिस्टम में प्रौद्योगिकी नवाचार (टीआईपीएस) कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह एक द्विवार्षिक कार्यशाला है जिसमें 25 प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र (टीआईएच) में से प्रत्येक अपनी प्रगति और उपलब्धियों को प्रदर्शित करता है। यह सरकार, स्टार्टअप, निवेशकों, शिक्षाविदों और उद्योग सहित सभी हितधारकों के लिए बातचीत करने, विचारों का आदान-प्रदान करने और साइबर-फिजिकल सिस्टम डोमेन में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विकास को देखने का एक मंच है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. अभय करंदीकर ने इस कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में कहा कि साइबर-भौतिक प्रणालियां एक ऐसे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं जो तेजी से व्यापक होती जा रही डिजिटल दुनिया में और अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही हैं और निकट भविष्य में हमारी अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को आगे बढ़ाएंगी। उन्होंने आगे यह भी बताया कि 25 प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र अनूठी पहल के माध्यम से विशेष प्रौद्योगिकियों का निर्माण कर रहे हैं।
बाएं से: 1. डॉ. एकता कपूर 2. डॉ. क्रिस गोपालकृष्णन 3. प्रो. अभय करंदीकर 4. प्रो. शिरीष केदारे 5. प्रो. रामगोपाल राव
प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में स्थित हैं। अनुसंधान एवं विकास के लिए एक लचीला वातावरण प्रदान करते हुए, ये टीआईएच प्रौद्योगिकी विकास और बदलाव को आगे बढ़ाने, मानव संसाधन और कौशल विकास को बढ़ावा देने, उद्यमिता और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने और साइबर भौतिक प्रणालियों (सीपीएस) में अंतरराष्ट्रीय सहयोगी अनुसंधान प्रयासों को सुविधाजनक बनाने के लिए समर्पित हैं। इस अवसर पर कुछ केंद्रों की बेहतरीन प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया। इनमें आईआईटी बॉम्बे के टीआईएच से फसल और मिट्टी के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए स्मार्ट आईओटी समाधान और मधुमेह की प्रारंभिक चेतावनी तथा प्रबंधन के लिए स्मार्ट पैच; आईआईटी कानपुर के सी3आई केंद्र से साइबर खतरों की 24X7 निगरानी के लिए आईटी-ओटी सुरक्षा संचालन केंद्र और शहरों में विकास अधिकार प्रमाणपत्रों (डीआरसी) के सुरक्षित, पारदर्शी और छेड़छाड़-रोधी भंडारण तथा प्रबंधन के लिए ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी-आधारित प्रणाली; आईआईटी मद्रास के प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन से दूरदराज के क्षेत्रों में मोतियाबिंद सर्जरी के लिए 5जी लैब और मानकीकरण प्रभाव लैब तथा अनुकूलित मोबाइल सर्जिकल यूनिट; आईआईटी हैदराबाद के तिहान फाउंडेशन से मानचित्र-आधारित संचालन वाले स्वायत्त वाहन; आईआईटी रोपड़ के अवध फाउंडेशन का पशुधन के व्यवहार की निगरानी के लिए जैव विविधता सेंसर और एआई – संचालित पशुधन प्रबंधन सीपीएस शामिल हैं।
इस दो दिवसीय कार्यशाला के माध्यम से इन केंद्रों ने एक-दूसरे की सफलताओं और असफलताओं की कहानियों से बहुत कुछ सीखा। इस कार्यशाला में निवेशकों की एक पिच और तकनीकी प्रदर्शनी भी शामिल थी जिसके जरिए फंडिंग के लिए उद्यमी पूंजीपतियों और नए निवेशकों के सामने उत्पादों और प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया गया। इसमें नवाचार केंद्रों द्वारा विकसित अत्याधुनिक विशेष प्रौद्योगिकियों को भी प्रदर्शन किया गया।
प्रो. अभय करंदीकर, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि इस क्षेत्र में उद्योग, संकाय, छात्रों और निवेशकों को एक साथ लाने का यह अनूठा मॉडल डीप-टेक स्टार्टअप के इकोसिस्टम को उत्प्रेरित करने में मदद कर सकता है। यह नए और उभरते क्षेत्रों में नवाचारों को सफलतापूर्वक चलाने के लिए ऐसे केंद्रों और स्पोक मॉडल के लिए खाका तैयार कर सकता है और भारत को इस क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बना सकता है।
डॉ. क्रिस गोपालकृष्णन, अध्यक्ष, मिशन गवर्निंग बोर्ड, एनएम-आईसीपीएस ने संस्थानों में उत्पाद और प्रौद्योगिकी बनाने के लिए सांस्कृतिक परिवर्तन की आवश्यकता को रेखांकित किया ताकि उद्योगों के अनुसंधान एवं विकास को इन संस्थानों में स्थानांतरित किया जा सके। प्रोफेसर रामगोपाल राव, अध्यक्ष, वैज्ञानिक सलाहकार समिति, एनएम-आईसीपीएस; प्रोफेसर शिरीष केदारे, निदेशक आईआईटी बॉम्बे; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और प्रौद्योगिकी प्रचार केंद्रों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ आईआईटी बॉम्बे के संकाय तथा छात्रों और उद्यम पूंजीपतियों ने भी इस दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह की शोभा बढ़ाई।
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