पूर्व वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी मध्य रेल पुणे सत्येंद्र सिंह को ‘विद्यावाचस्पति सारस्वत’ सम्मान प्राप्त
पुणे, अप्रैल (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
पं. दीनदयाल उपाध्याय हिंदी विद्यापीठ, वृंदावन धाम, मथुरा (उ.प्र.) द्वारा श्री सत्येंद्र सिंह, पूर्व वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी मध्य रेल पुणे को 2024 के विद्यावाचस्पति सारस्वत सम्मान प्रदान किया गया है। यह सम्मान उनके हिंदी लेखन, साहित्य साधना एवं समाजसेवा के क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के आधार पर किए गए शोधकार्यों, सामाजिक कार्यों के लिए प्रदान किया गया है।
मथुरा में 1949 में जन्मे श्री सत्येंद्र सिंह ने अपने कार्यकलाप का श्रीगणेश श्रीकृष्ण-जन्मस्थान-सेवासंघ, मथुरा से 1969 में किया और सेवासंघ से प्रकाशित पत्रिका श्रीकृष्ण-संदेश में सन् 1970 में उनकी पहली कहानी प्रकाशित हुई। तत्पश्चात् वे 1972 में रेलवे के हिंदी विभाग में नियुक्त हुए। उन्होंने झांसी, जबलपुर, मुंबई मंडल व मुख्यालय, कोल्हापुर (आयकर विभाग में प्रतिनियुक्ति पर), सोलापुर व पुणे मंडलों पर कार्य किया और जहां भी रहे वहां विभागीय पत्रिकाओं का संपादन किया। मध्य रेल के पुणे मंडल से वे वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए।
विभागीय पत्रिकाओं के अलावा दैनिक विश्वमित्र मुंबई, दैनिक हिंदुस्तान व वामा, बयान नई दिल्ली, चर्वणा आगरा, मानक रश्मि लखनऊ, साहित्य समीर दस्तक भोपाल, मुस्कान एक अहसास मुंबई, तुलसी साहित्य धारा मथुरा, युवा प्रवर्तक, ऑनलाइन पत्रिका इटारसी, हिंदी आंदोलन परिवार पुणे की पत्रिका हम लोग, महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति पुणे की समिति संवाद और हिंदी साप्ताहिक हड़पसर एक्सप्रेस पुणे में प्रकाशित हुई हैं। वे प्रगतिशील लेखक संघ व जनवादी लेखक संघ व अन्य साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े रहे। आकाशवाणी जबलपुर, सांगली, झांसी, छतरपुर व पुणे से उनकी रचनाओं का प्रसारण हुआ। अपने झांसी के कार्यकाल में सांस्कृतिक अकादमी के सचिव रहे और कई अंतरमंडलीय स्पर्धाओं में भाग लिया और उत्कृष्ट निर्देशक के रूप में सम्मान प्राप्त किया।
बुंदेलखंड महोत्सव की पत्रिका बुंदेलखंड दर्पण में झांसी इतिहास के परिप्रेक्ष्य में, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा प्रकाशित पत्रिका समन्वय दक्षिण अंक 3 में तमिल भाषा और साहित्य और रेल मंत्रालय रेलवे बोर्ड के राजभाषा विभाग द्वारा प्रकाशित रेल राजभाषा में विश्व में हिंदी स्थिति व चुनौती नामक उनके आलेख भी प्रकाशित हुए हैं।
उनका प्रकाशित कृतियां हैं- कविता संग्रह – एक मुट्ठी आसमान, कविता संग्रह- फ़र्क पड़ता है, साझा कहानी संग्रह-नवांकुर सं. ईश्वरानंद आर्य, साझा लघुकथा संग्रह, साहित्य क्षितिज, सं.वीनू जमुआर, सुधा भारद्वाज, साझा लघुकथा संग्रह, दस्तक, सं. डा. दिनेश पाठक शशि, आचार्य नीरज शास्त्री, साझा कविता संग्रह- लोक मैत्रेय, सं. मणिमोहन चवरे, साझा कविता संग्रह- धरा से गगन तक-2, प्र.सं. विजय तावारी।
साथ ही उन्होंने तीन शोधग्रंथों यथा राजभाषा अमृत – लेखक के.पी. सत्यानंदन, भाषा की उत्पत्ति, वाद और सिद्धांत – लेखक डॉ. एस.सुब्रम्हण्यम, भारतीय रेल के हिंदी सेवी- संपादक डॉ. दिनेश पाठक शशि के संपादन व प्रकाशन में भी योगदान किया है।
उन्हें पं. हरप्रसाद पाठक -स्मृति बाल साहित्य पुरस्कार समिति, मथुरा द्वारा श्री श्याम श्रोत्रिय स्मृति साहित्य पुरस्कार 2020 भी मिल चुका है।
उन्होंने झांसी व पुणे में प्रोन्नत रेलवे अधिकारी एसोसिएशन के सचिव के रूप में कार्य किया। संप्रति वे हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे, महाराष्ट्र राजभाषा प्रचार समिति, पुणे से जुडे हुए हैं। अखिल भारतीय वरिष्ठ नागरिक कान्फेडरेशन मुंबई से पैट्रन के रूप में जुडे हैं। महाराष्ट्र ज्येष्ठ नागरिक महासंघ, ऑल इंडिया रिटायर्ड रेलवेमैन फेडरेशन से भी जुडे हुए हैं। वे ज्येष्ठ नागरिक संघ, जांभुलवाडी रोड, आंबेगांव खुर्द के आजीवन सदस्य और ज्येष्ठ नागरिक सेवासंघ वाघजाईनगर, आंबेगांव खुर्द, पुणे के सचिव के रूप में कार्यरत हैं। साथ ही हिंदी साप्ताहिक हडपसर एक्सप्रेस से प्रतिनिधि के रूप में जुड़े हुए हैं।
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