पिंपरी-चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत भूमि के बदले में 6.25 प्रतिशत वापस लौटाने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के प्रयासों से पिंपरी-चिंचवडकरों की मांग पूरी
पुणे, मार्च (जिमाका)
पिंपरी-चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण ने अपनी स्थापना के बाद से (14 मार्च 1973 से 31 दिसंबर 1983 इस अवधि के दौरान) जिन किसानों की जमीन प्राधिकरण के लिए अधिग्रहीत की है, ऐसी अधिग्रहीत ज़मीनों के लिए संबंधित भूमि मालिकों को 6.25% प्रतिशत के रूप में भूमि वापसी करने को राज्य कैबिनेट की 11 मार्च की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने पिंपरी चिंचवड़ प्राधिकरण क्षेत्र के नागरिकों की मांग को ध्यान में रखते हुए जमीन वापसी की अनुवर्ती की थी।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, विकास प्राधिकरण के माध्यम से भूमि मालिकों को लौटाई जानेवाली 6.25 प्रतिशत विकसित भूमि यदि संभव हो तो उस गांव की भूमि अधिग्रहित की गई है वहां दी जाएगी। यदि उस गांव में उतनी जमीन उपलब्ध नहीं है तो उसे उपलब्धता के अनुसार दूसरे गांव में वितरित किया जायेगा। वर्ष 1972 से 1983 इस कालखंड के बीच अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा जिन किसानों को मिल चुका है। उन्हें इस निर्णय के अनुसार 6.25 प्रतिशत भूमि मुआवजा करने से पहले उन्होंने उस सीमा तक भूमि मुआवजे की राशि सव्याज (ब्याज की रकम जिलाधिकारी कार्यालय निर्धारित करेगा, उसके अनुसार, जिस तारीख से मुआवजा लिया गया होगा, उस तारीख से ऐसी 6.25 प्रतिशत भूमि का कब्जा करने की तारीख समय सीमा तक) प्राधिकरण को वापस करना होगा।
ऐसी भूमि की वापसी की स्थिति में उक्त भूखण्ड हेतु 2 मैट क्षेत्र निर्देशांक निःशुल्क स्वीकृत किया गया है। संयुक्त विकास नियंत्रण और प्रोत्साहित नियमन में तालिका नं. 6 जी में 2 मैट क्षेत्र निर्देशांक पूरी तरह से मुक्त नहीं है। इसमें मूल 1.10 मैट क्षेत्र निर्देशांक मुफ़्त जायज है। इसके अलावा 0.50 और 0.40 मैट क्षेत्र निर्देशांक क्रमशः प्रीमियम और टीडीआर के रूप में भुगतान करने का प्रावधान है। इस मामले में 2 मैट क्षेत्र निर्देशांक मुफ्त दिए जाने हैं, इसलिए इस मामले के लिए ही महाराष्ट्र क्षेत्रीय योजना और शहर रचना 1966 की धारा 37 (1 कक) के तहत कार्रवाई करते हुए इस प्रावधान को तुरंत लागू करने के लिए इस अधिनियम की धारा 154 के तहत निर्देश जारी करने की भी मंजूरी दी गई है।
जिन किसानों को सरकार के इस फैसले का फायदा उठाना चाहते हैं उन्हें सबसे पहले अदालत में दायर सभी याचिकाएं/मुकदमे बिना शर्त वापस लेना अनिवार्य होगा। प्राधिकरण इस आदेश के अनुसार भू-स्वामियों को लौटाई गई जमीन को किसी अन्य व्यक्ति को राज्य सरकार की पूर्व अनुमति से, किसी भी प्रकार की राशि प्राधिकरण को न देते हुए हस्तांतरित हो सकता है, इसके लिए प्रस्ताव प्राधिकरण इसकी जांच करके अपनी प्रतिक्रिया के साथ इसे पूर्व अनुमोदन के लिए सरकार को प्रस्तुत करना होगा, लेकिन ऐसे किसी अन्य व्यक्ति को उक्त भूमि सरकार की पूर्व अनुमति के बिना और नियमानुसार अनर्जित राशि का निर्धारित भाग प्राधिकरण को भुगतान किये बिना हस्तांतरित नहीं की जायेगी।
तत्कालीन पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण की स्थापना 14 मार्च 1972 को हुई थी। उस समय चिंचवड़, आकुर्डी, निगड़ी, भोसरी, वाकड, थेरगांव, रावेत, रहाटणी, मोशी, चिखली गांवों के स्थानीय किसानों की जमीनें अधिग्रहीत की गईं। इन अधिग्रहीत भूमियों के अनुसरण में राज्य सरकार ने 3 मार्च 1990 के सरकारी निर्णय के अनुसार नियम एवं शर्तों के अनुसार अर्जित भूमि के भू-धारकों को 12.5 प्रतिशत भूमि वापस करने की योजना नियम एवं शर्तें के अनुसार लागू की। साथ ही दिनांक 15 सितम्बर 1993 के सरकारी निर्णय के अनुसार 1 जनवरी 1984 के बाद अर्जित की गई भूमि स्वामियों को भी 12.5 प्रतिशत भूमि लौटाने की योजना भी लागू की गयी। वर्ष 1984 से पहले जिन किसानों की भूमि अधिग्रहीत की गयी थी और जिन्होंने प्राधिकरण को कब्जा दे दिया है, उन किसानों को 12.5 प्रतिशत भूमि वापसी का लाभ नहीं मिलने के कारण इस योजना को लागू करने की मांग भी संबंधित भूमि स्वामियों एवं जन प्रतिनिधियों द्वारा की गयी थी। नागरिकों की पुरानी मांग पूरी हो रही है। शहर के विकास के लिए जमीन देनेवाले नागरिकों को इस फैसले से फायदा होगा।
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