विकास या विनाश युवा शक्ति पर निर्भर
युवा शक्ति शब्द सुनते ही हमारे सोच-विचारो में जो छवि उभरकर आती है वह होती है, वर्तमान में देश-दुनिया और आस-पड़ोस में घटित घटनाओं में युवाओं की सहभागिता एवं उसका समाज पर बढ़ता प्रभाव, यह हमें दर्शाता है कि युवाशक्ति किस दिशा की ओर अग्रसर है। जन्म से बच्चों की उचित देखभाल, संस्कारशील व्यवहार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शुद्ध आचरण से ही युवाओं में सकारात्मक ऊर्जा शक्ति का संचार होता है तथा प्रशासन द्वारा उन्हें शिक्षा अनुरुप रोजगार, व्यवसाय के बेहतर मौके मिल सके, इसके लिए उपाय-योजना बनाना एक अच्छी सरकार का लक्ष्य होता है, तभी देश की युवा शक्ति खुद को सक्षम साबित कर देश को विश्वशक्ति बनाने में कारगर सिद्ध होगी, यन्यथा यही युवा शक्ति असुविधा, समस्याओं और संघर्ष के वजह से देश में विनाश का कारण भी सिद्ध हो सकती है।
हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस स्वामी विवेकानन्द जी के जयंती के उपलक्ष पर संपूर्ण देश में मनाया जाता है। युवाशक्ति में वह ताकत होती है, जो असंभव को संभव बना सकती है, सिर्फ उन्हें योग्य दिशा मिलनी चाहिए। युवाओं के शिक्षा और कला-गुणों पर ही उनका पूरा करियर और भविष्य निर्भर होता है, एक वर्ष की क्षति भी उन्हें जिंदगी में पीछे धकेल देती है, प्रतिस्पर्धा बढ़ती जाती है एवं जीवन संघर्ष अधिक तेज होता जाता है। प्रत्येक युवा में कुछ सपने होते हैं, और उन सपनों को पूरा करने की जिद्द और मेहनत ही उन्हें सफल बनाती है, परंतु सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, यह युवाओं को समझना होगा।
शिक्षित युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, महंगाई, हर जगह शिफारस, राजनीतिक हस्तक्षेप, अपराध का बढ़ता ग्राफ, नशाखोरी, धोखधड़ी, नैसर्गिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन, मिलावटखोरी, सोशल मीडिया की लत, दुर्व्यवहार, संस्कारहीन आचरण, अश्लील-अभद्र भाषा प्रयोग, स्वार्थवृत्ति ने जीवन संघर्षमय कर दिया है। बेरोजगारी का देश में ये आलम है कि बड़ी संख्या में उच्च शिक्षित युवा भी चपरासी बनने के लिए संघर्ष करता नजर आता है। हर साल बड़ी संख्या में कर्मचारी वर्ग सेवानिवृत्त होते हैं, परंतु कई विभागों में दशकों तक नई भर्तियां होते हुए नजर नहीं आती और दूसरी ओर हर साल शिक्षा जरूर महंगी होती जाती है। सामाजिक समस्याओं, बीमारियों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है, पर्यावरण का विनाश होने के कारण प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोतरी हुई है, जिससे हर साल बड़ी संख्या में जान-माल की क्षति होकर देश को अरबों डॉलर का नुकसान होता है।
अभिभावक बच्चों के सामने बुजुर्गों से अमानवीय व्यवहार करते है, और अपने बच्चों से खुद के लिए आदर्श व्यवहार की कामना करते है। बच्चों को बेहतर पोषक वातावरण देना अभिभावक का परम कर्तव्य है और युवा शक्ति को बेहतर जीवन के लिए आवश्यक मौके देना सरकार का काम है, देश के सर्वांगीण विकास के लिए यह बहुत जरूरी है। आज देश में कुछ मुद्दे नए विषय को जन्म दे रहे हैं, जैसे- हर धर्म हमें शांति, एकता, मानवता का संदेश देता है, फिर लोगो के दिलो में लोभ, द्वेष, और बार-बार समाज में मानवता शर्मसार क्यों हो रही है? युवाओं में अपराध वृत्ति क्यों बढ़ रही है? लोग पढ़े-लिखे जागरूक है तो धोखाधड़ी, अत्याचार क्यों बढ़ रहे हैं? छोटी-छोटी बात पर आपा खोकर अनुचित कदम क्यों उठाते है? अभिभावक बच्चों की खूब तारीफ करते हैं, उन्हें बेहतर सुख-सुविधा दे रहे हैं, तो फिर समाज में संस्कारों की होली क्यों जल रही है? अगर हम बच्चों को अच्छे और स्वादिष्ट आहार दे रहे हैं, अच्छी परवरिश दे रहे है तो बच्चे बीमार और कमजोर क्यों हो रहे हैं? सोशल मीडिया और नशे के आदी क्यों हो रहे हैं? वर्तमान में युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य समस्या और आत्महत्या का प्रमाण काफी बढ़ा है, जिसके लिए वर्तमान प्रणाली, वातावरण दोषी है।
जिस देश की युवा शक्ति को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और रोजगार के बेहतर विकल्प मौजूद है, विश्व में वही देश विकसित हुए है। हमारे देश में आज भी बड़े पैमाने पर पलायन का दौर चल ही रहा है, गांव के लोग शहर में जाते हैं, शहर के लोग महानगरों में जाते हैं और महानगर के लोग विदेश में बेहतर विकल्प की तलाश में जाते हैं। देश में केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा अनुरूप रोजगार या बेहतर जीवन के लिए आवश्यक धनोपार्जन के मौके सबको मुफ्त मिलनी चाहिए, इसके अलावा कुछ भी मुफ्त न मिले तो भी युवाशक्ति आत्मनिर्भर बनकर अपनी क्षमता के दम पर हर चीज, हर मुकाम हासिल कर सकती है। आजकल अगर पढ़-लिखकर उचित योग्यता अनुसार काम ना मिले तो सपने चकनाचूर हो जाते हैं, और यह सपने सिर्फ उन युवाओं के ही नहीं, बल्कि उससे जुड़े हर व्यक्ति के एव उस परिवार के सपने टूटते हैं, तब इतने बरसों की शिक्षा पर भी सवाल खड़े होते हैं कि, क्या शिक्षा, मेहनत, पैसा और समय गवाकर हमने गलत कर दिया है? काबिल युवा होकर भी हमारा भविष्य अगर अंधकारमय नजर आने लगे तो फिर उच्च शिक्षा का क्या महत्व है? देश में हर साल, हर राज्य से लाखो युवा कला, वाणिज्य, विज्ञान, अभियांत्रिकी, प्रबंधन जैसे हर विषय क्षेत्र की पदवी प्राप्त कर काम के लिए बाहर निकलते हैं, लेकिन उनमें से कितने युवा अपने कैरियर के लक्ष्य को हासिल कर पाते हैं?
सरकारी भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षा के नाम पर बेरोजगार युवाओं से अत्यधिक आवेदन शुल्क भी बहुत बड़ी समस्या बन गई है, जिस देश में 80 करोड़ से ज्यादातर गरीब आबादी को अनाज मुफ्त बांटा जाता है, वहां बड़ी मुश्किल से भरण पोषण करने वाले सामान्य परिवार के युवाओं के लिए हर बार यह शुल्क जुटाना बहुत बड़ी कठिनाई बनकर उभरती हैं, जिसके कारण कई प्रतिभावान युवा प्रतियोगी परीक्षा के लिए आवेदन भी नहीं कर पाते है। उदाहरण के लिए महाराष्ट्र राज्य सरकार के अनेक विभाग की पद भर्ती हेतु विज्ञापन में आरक्षित वर्ग के लिए 900 रुपये आवेदन शुल्क तो ओपन वर्ग के लिए 1000 रूपए शुल्क रखा जाता है, जिससे हर बार राज्य सरकार के पास सैकड़ो करोड़ की रकम जमा होती है। सरकार ने गरीब बेरोजगारों को ध्यान में रखकर इस समस्या को गंभीर रूप से देखना चाहिए।
नशा, अपराध और झूठा दिखावा इंसान को बर्बाद कर देता है, ऊपर से आजकल का फैशन और सोशल मीडिया की लत ने जीवन वैसे ही खराब कर रखा है, आज अधिकतर युवाओं के रोल मॉडल रील लाइफ के लोग हैं, जबकि उनके आदर्श देश पर मर-मिटने वाले जवान होने चाहिए, देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ी, वैज्ञानिक होने चाहिए। जिन आदर्श समाज सुधारक और महान क्रांतिकारियों ने हमें आजादी दिलाई, मानवता और देश को बचाएं रखा, आज उन्हें हम बस जयंती या पुण्यतिथि के दिन कुछ पल के लिए याद करते है। जबकि युवाओं ने महान शख्सियतों के जीवन कार्य से प्रेरणा लेनी चाहिए। हर पल, हर वक्त युवाओं ने अपने आपको बेहतर बनाने के लिए प्रयत्नशील होना चाहिए, जिंदगी में कामयाब होने के लिए संघर्ष करते रहना चाहिए, हमारा व्यवहार कभी भी किसी अन्य के दुःख का कारण न बने यह ध्यान रख कर आगे बढ़ना है। सरकार ने युवा शक्ति को ध्यान में रखकर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के उपाय-योजनाओं को लागू करना चाहिए। हर साल, हर क्षेत्र में लगातार भर्तियां, साथ ही गांव, दुर्गम क्षेत्र, हर ओर नवनवीन प्रशिक्षण केंद्र की उपलब्धता समय की मांग है। सिफारिश, राजनीतिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार पर पूर्णतः अंकुश होना ही चाहिए, ताकि देश की युवा पीढ़ी बेहतर कल का निर्माण कर देश को प्रगति पथ पर ले जा सके और तभी राष्ट्रहित में युवा शक्ति का बेहतर सहभाग साबित होगा।
डॉ. प्रितम भि. गेडाम
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