पुणे, मई (जिमाका)
जिला परिषद के तत्कालीन जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भगवान अंतू पवार के खिलाफ वित्तीय भ्रष्टाचार, यौन उत्पीड़न की अनेक शिकायतें प्राप्त हुई थीं। इन लंबित शिकायतों पर राज्य सरकार के स्वास्थ्य सेवा आयुक्तालय ने संज्ञान लिया और संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों की एक समिति द्वारा महाराष्ट्र सिविल सेवा नियमों के अनुसार उन्हें निलंबित करने का निर्णय लेने के बाद निलंबित कर दिया गया है। यह स्पष्टीकरण स्वास्थ्य विभाग की ओर से किया गया है। डॉ. पवार को बर्खास्त नहीं बल्कि निलंबित किया गया है।

निलंबन की अवधि के दौरान जांच अधिक निष्पक्षता से की जा सके, इसके लिए उन्हें नंदुरबार में मुख्यालय दिया गया है। इस जांच के दौरान उन्हें और संबंधित शिकायतकर्ताओं को अपनी बात रखने का पूरा मौका है। डॉ. भगवान पवार के खिलाफ संविदा विभाग की महिलाओं की यौन शोषण की कई शिकायतें मिली थीं।
इसके अलावा अनियमित कामकाज, अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार, उन्हें मानसिक और वित्तीय परेशानी पहुंचाने समेत वित्तीय घोटालों के गंभीर आरोप सरकार को प्राप्त हुए थे। लगातार मिल रही शिकायतों के चलते 29 अप्रैल को स्वास्थ्य सेवा आयुक्तालय ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की, जिसमें संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी शामिल थे।

पवार के खिलाफ शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए निष्पक्ष जांच होने की दृष्टि से महाराष्ट्र सिविल सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1979 के नियम 4 (1) (ए) के प्रावधानों के तहत उनको निलंबित किया जाना आवश्यक है ऐसी सिफारिश समिति ने की थी। तदनुसार, उन्हें निलंबित कर दिया गया। उन पर जांच समिति द्वारा कई आरोप लगाये गये हैं। आगे विस्तृत पूछताछ और विभागीय जांच कराई जाएगी, इसमें किसी भी तरह का हस्तक्षेप न हो इसलिए डॉ. पवार को निलंबित किया गया है। यह स्पष्टीकरण स्वास्थ्य विभाग की ओर से किया गया है।

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