छात्रों, असफलता को सफलता की सीढ़ी बनाएँ : राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े की अपील
‘एमआईटी एडीटी’ विश्वविद्यालय का आठवाँ दीक्षांत समारोह उत्साह में संपन्न
लोनी कालभोर, नवंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
विद्यार्थी आत्मनिर्भर और विकसित भारत की रीढ़ हैं। उन्हें पाठ्यपुस्तकों से हटकर ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जो उनमें पूर्ववर्ती गुरुकुल पद्धति का समग्र दृष्टिकोण विकसित करे, उन्हें समाज के प्रति संवेदनशील बनाए, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखे और सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करे क्योंकि, शिक्षा का अंतिम लक्ष्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं है; प्राप्त ज्ञान का उपयोग समाज की भलाई के लिए करना, देश की प्रगति के लिए स्वयं को समर्पित करना – यही सच्ची शिक्षा की सफलता है।असफलता अंत नहीं, बल्कि एक नई यात्रा की शुरुआत है। इसलिए, असफलता को सफलता की सीढ़ी बनाएँ और अपने ज्ञान, उपलब्धियों और संवेदनशीलता की शक्ति से भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाएँ। यह अपील राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने की।
पुणे के विश्वराजबाग स्थित एमआईटी आर्ट, डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय (एमआईटी-एडीटी) के 8वें दीक्षांत समारोह में वे बोल रहे थे। इस अवसर पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के निदेशक प्रो. डॉ. लक्ष्मीधर बेहरा, एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के कार्याध्यक्ष और प्र-कुलपति प्रो.डॉ. मंगेश टी. कराड,भारत सरकार की प्रौद्योगिकी, नवाचार, ऊष्मायन और उद्यमिता क्षेत्र के राष्ट्रीय विशेषज्ञ सलाहकार परिषद के अध्यक्ष श्री रामानन रामनाथन,’भारत के ग्लास मैन’ के रूप में परिचित ‘गोल्ड प्लस ग्लास इंडस्ट्रीज’ के चेयरमैन श्री सुभाष त्यागी, एसएसपीएल समूह की प्रबंध निदेशक और राष्ट्रीय रियल एस्टेट विकास परिषद (नारेडको) की राष्ट्रीय अध्यक्ष स्मिता पाटिल,कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. सुनीता कराड, ज्योति ढाकने-कराड, डॉ. विनायक घैसास, कुलगुरू प्रा.डॉ.राजेश एस., प्रोवोस्ट डॉ. सयाली गणकर, प्र-कुलगुरू डॉ. रामचंद्र पुजेरी, डॉ. मोहित दुबे, कुलसचिव डॉ. महेश चोपड़े, परीक्षा नियंत्रक डॉ. ज्ञानदेव नीलवर्ण और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
डॉ. लक्ष्मीधर बेहरा ने कहा कि भारतीय परंपरा में सुख अपने भीतर ही पाया जाता है। उन्होंने कहा कि भगवद्गीता हमें संतुष्ट रहने की शिक्षा देती है। भारत केवल अनुभवात्मक शिक्षा के माध्यम से ही आत्मनिर्भर बन सकता है।
रामानन रामनाथन ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत द्वारा बनाई गई वैश्विक स्थिति और भविष्य में शोध की आवश्यकता पर प्रकाश डाला तथा छात्रों को शोध के लिए प्रोत्साहित किया।
स्मिता पाटिल ने राष्ट्रीय रियल एस्टेट विकास परिषद के कार्यों की जानकारी देते हुए एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के शैक्षणिक कार्यों की प्रशंसा की और स्नातक छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
कांच निर्माण में रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं – सुभाष त्यागी
मैं छात्र जीवन में पढ़ाई में तो अच्छा नहीं था, लेकिन मुझमें कड़ी मेहनत करने की ज़बरदस्त इच्छाशक्ति थी। उसी इच्छाशक्ति की बदौलत आज गोल्ड प्लस ग्लास इंडस्ट्रीज का सालाना टर्नओवर 10 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा है और यह 4 हज़ार से ज़्यादा लोगों को रोज़गार देने में सक्षम है। भारत को वर्तमान में प्रतिदिन 1 लाख टन कांच की आवश्यकता है, लेकिन उत्पादन केवल 20 हजार टन है। इसलिए, कांच निर्माण क्षेत्र में अनुसंधान और रोजगार सृजन की अपार संभावनाएँ हैं, ऐसा ‘ग्लास मैन ऑफ इंडिया’ सुभाष त्यागी ने कहा। उन्होंने यह भी कहा कि आज प्राप्त डी.लिट की उपाधि ने उनके आत्मविश्वास को और मज़बूत किया है।
एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय ने छात्रों को मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करके कला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विभिन्न मोर्चों पर हमेशा खुद को साबित किया है। इसके कारण, विश्वविद्यालय ने एनएएसी रैंकिंग, एनआईआरएफ और क्यूएस रैंकिंग में जगह बनाकर वैश्विक स्तर पर नाम कमाया है। संस्थापक अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. विश्वनाथ दा. कराड के मार्गदर्शन में, एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय अब अपने ‘2.0’ मिशन पर है, जिसके माध्यम से वह ऐसे छात्रों को तैयार करने का प्रयास करेगा जो देश में शीर्ष स्थान प्राप्त करके भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगे।”आज स्नातक होनेवाले सभी छात्रों को अपने क्षेत्र में अग्रणी होना चाहिए और भारत को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए।”
— प्रा. डॉ. मंगेश तु. कराड,
कार्याध्यक्ष तथा प्र-कुलपती,
एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय, पुणे

डॉ. मंगेश कराड को गणमान्य व्यक्तियों के साथ किया गया सम्मानित
श्री रामानन रामनाथन को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय द्वारा ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ (डी.एससी.) की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। ‘ग्लास मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से विख्यात श्री सुभाष त्यागी को उनके औद्योगिक नेतृत्व के लिए ‘डॉक्टर ऑफ लेटर्स’ (डी.लिट.) की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही, पूर्व छात्र संघ द्वारा डॉ. मंगेश कराड को ‘आर्किटेक्ट ऑफ एक्सीलेंस’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कुल 3334 छात्रों को प्रदान की गई डिग्री
राष्ट्रगान और विश्व शांति की प्रार्थना के साथ शुरू हुए इस कार्यक्रम में राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े के शुभ हाथों से 21 पीएचडी उपाधियाँ, 21 स्वर्ण पदक और 195 रैंक धारक प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। साथ ही विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने कुल 3,334 छात्रों को उपाधियाँ प्रदान कीं।
इस कार्यक्रम में देश भर से 8,000 से ज़्यादा लोग शामिल हुए, जिनमें अभिभावक और छात्र भी शामिल थे। राजदंड के साथ निकाली गई भव्य शोभायात्रा ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा।
कार्यक्रम का समापन ‘पसायदान’ के साथ हुआ। कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन प्रोवोस्ट डॉ. सायाली गणकर ने किया, जबकि कार्यक्रम का संचालन प्रो. स्नेहा वाघटकर, प्रो. स्वप्निल शिरसाठ और डॉ. अशोक घुगे ने किया।
