प्रत्‍येक परिवार में वृद्धजनों का सम्‍मान होना चाहिए : डॉ. भीमराय मेत्री

प्रत्‍येक परिवार में वृद्धजनों का सम्‍मान होना चाहिए : डॉ. भीमराय मेत्री

हिंदी विश्‍वविद्यालय में ‘वृद्धों के कल्याण, सशक्तिकरण एवं सुरक्षा का देशज दृष्टिकोण ‘ विषय पर संगोष्ठी उद्घाटित

वर्धा, मार्च (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के वर्धा समाज कार्य संस्थान की ओर से राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अनुदानित ‘वृद्धों के कल्याण, सशक्तिकरण एवं सुरक्षा का देशज दृष्टिकोण’ विषय पर दो दिवसीय (19 एवं 20 मार्च) क्षेत्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन  समारोह में अध्‍यक्ष उद्बोधन देते हुए कुलपति डॉ. भीमराय मेत्री ने कहा कि प्रत्‍येक परिवार में वृद्धजनों का सम्‍मान होना चाहिए। नई पीढी को वृद्धों के अनुभवों का लाभ लेते हुए उनके कल्‍याण, सशक्तिकरण एवं सुरक्षा पर ध्‍यान देना चाहिए।
संगोष्ठी का उद्घाटन मंगलवार, 19 मार्च को कस्तूरबा सभागार में किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. विजेंद्र कुमार, संगोष्‍ठी के संयोजक वर्धा समाज कार्य संस्‍थान के निदेशक प्रो. बंशीधर पाण्‍डेय तथा सह-संयोजक एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. के बालराजु मंच पर उपस्थित थे। संगोष्‍ठी में विभिन्‍न राज्‍यों से 150 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए। कुलपति डॉ. भीमराय मेत्री ने कहा कि बदलते परिदृश्‍य में वृद्धों की देखभाल की दृष्‍टी से अनेक प्रकार की चुनौतियां हैं। उनका कल्‍याण एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है। उनकी सामाजिक सहभागिता और निर्णय प्रक्रिया में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि 2020 के आकड़ो के अनुसार 60 वर्ष की आयु के लोगों की संख्‍या 149 मिलियन है जो 2050 तक दुगनी हो जाएगी। शहरीकरण के कारण 2.5 करोड लोग शहरों की तरफ आ रहे हैं और संयुक्‍त परिवार की संस्‍कृति को बाधा पहुँच रही है। कुलपति ने कहा कि संगोष्‍ठी के माध्‍यम से वृद्धजनों के कल्‍याण के लिए नीति नियम बनाने में मदत मिलेगी।
  मुख्य अतिथि प्रो. विजेंद्र कुमार ने कहा कि युवाओं में वृद्धों के प्रति कर्तव्‍य का भाव जगाने की आवश्‍यकता है। वृद्धों की बढ़ती संख्‍या सभी के लिए खतरे की घट्टी है। हमें अधिकार के साथ-साथ कर्तव्‍य का पालन करते हुए वृद्धों के अनुभवों का लाभ लेना चाहिए। उन्‍होंने विभिन्‍न कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि हाल के दिनों में तलाक की संख्‍या बढ रही है। हमें अपने पारिवारिक मूल स्‍वभाव को नहीं भूलना चाहिए और वृद्धों की मानसिक और मनोविज्ञानिक समस्‍या का समाधान करना चाहिए।
प्रास्‍ताविकी एवं अतिथियों का स्‍वागत करते हुए संगोष्‍ठी के संयोजक प्रो. बंशीधर पाण्‍डेय ने कहा कि संगोष्‍ठी के बहाने  वृद्धों के कल्याण, सशक्तिकरण एवं सुरक्षा का देशज दृष्टिकोण पर विद्वानों, शोधार्थियों, अभ्‍यासकर्ताओं, हितधारकों एवं हितरक्षकों के बीच परस्‍पर संवाद स्‍थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। वृद्धजनों के कल्‍याण के संबंध में उपयुक्‍त कार्यनीतियां, रणनीतियां और कार्यक्रमों का विकास करने की दृष्‍टी से संगोष्‍ठी मे विमर्श किया जाएगा।
            कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्‍ज्‍वलन, कुलगीत एवं डॉ. जगदीश नारायण तिवारी द्वारा प्रस्‍तुत मंगलाचरण से किया गया। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्रोफेसर डॉ. शिव सिंह बघेल ने किया तथा एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. के बालराजु ने आभार माना। कार्यक्रम का समापन राष्‍ट्रगान से किया गया। इस अवसर पर अधिष्‍ठाता, विभागाध्‍यक्ष, अध्‍यापक, प्रतिभागी, शोधा‍र्थी, विद्यार्थी एवं मुद्रित व इलेक्‍ट्रॉनिक माध्‍यम के प्रतिनिधि बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे।
उद्घाटन सत्र के बाद हिंदी विवि के साहित्‍य विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. अखिलेश कुमार दुबे की अध्‍यक्षता में आयोजित सत्र में मातृ सेवा संघ, नागपुर की प्रो. ज्योति निसवडे, गुरु घासीदास विश्‍वविद्यालय बिलासपुर की प्रो. सष्मिता पटेल, इग्नू नई दिल्‍ली के जी. महेश, ए.एस.बी.एन., वर्धा के अमरीन लाला, अनिकेत समाज कार्य महाविद्यालय, वर्धा के डॉ. लोकेश नंदेश्‍वर ने संगोष्‍ठी के विषय पर विमर्श किया।
*बुधवार, 20 मार्च को होगा समापन
            संगोष्ठी का संपूर्ति सत्र 20 मार्च को अपराह्न 03 बजे होगा। इस अवसर पर विवि के कुलसचिव डॉ. धरवेश कठेरिया स्वागत और समापन भाषण करेंगे। सत्र के सह-संयोजक डॉ. के बालराजु प्रतिवेदन प्रस्‍तुत करेंगे। सत्र का संचालन डॉ. मिथिलेश कुमार तिवारी करेंगे तथा डॉ. शिव सिंह बघेल धन्‍यवाद ज्ञापित करेंगे।
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