सोलापुर जिले के अकलुज की सुमित्रा ग्रामीण पतसंस्था में सैकड़ों करोड़ का घोटाला!
सहकारिता और राजस्व विभाग ज़िम्मेदार, किसान महासंघ महासंघ के अध्यक्ष विट्ठल राजे पवार का गंभीर आरोप

क्या केंद्रीय, राज्य सहकारिता मंत्री, प्रमुख सचिव सहकारिता, शासन प्रशासन, गृह विभाग गंभीरता से संज्ञान लेंगे?
आप कैसे कह सकते हैं कि अगर सहकारिता आयुक्त ही जनता की जमापूंजी से संस्थाओं को मदद पहुँचाने के लिए ज़िम्मेदार है, तो राज्य का सहकारिता आज पचास प्रतिशत ख़त्म हो चुका है, बचेगा भी या नहीं, इसकी गिनती नहीं की जा सकती

पुणे, सितंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
शरद जोशी विचारमंच किसान महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विट्ठल राजे पवार ने गंभीर आरोप लगाया है कि सोलापुर जिले के मालशिरस-अकलुज स्थित सुमित्रा गैर-कृषि ग्रामीण सहकारी पतसंस्था शाखा समिति में सैकड़ों करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है।

संगठन के वक्तव्य के मुख्य बिंदु :
फर्जी ऋण और झूठे दस्तावेज : बिना किसी गारंटर या उधारकर्ता के 29 लाख रुपये के फर्जी दस्तावेज बनाकर श्रमिक राजेंद्र नागणे की संपत्ति को अवैध रूप से जब्त करने का प्रयास कर रही प्रभारी मंडल अधिकारी मणिषा लकडे-तेम को फोरजी फेरफार में हेराफेरी कर तलाठी और मंडल अधिकारी गोट्याला करने के कारण सोलापुर जिलाधिकारी ने प्रभारी मंडल अधिकारी मनीषा लकडे-तेम को सस्पेंड किया है।

मिलीभगत से भ्रष्टाचार : ऋण संस्था के निदेशक मंडल, वसूली अधिकारी, बोर्ड अधिकारी, तलाठी और राजस्व विभाग के अधिकारियों ने फर्जी वसूली प्रमाण पत्र और फर्जी परिवर्तन रिकॉर्ड तैयार करने की साजिश रची।

आयुक्त पर सीधा आरोप : सहकारिता आयुक्त दीपक टावरे ने बिना उचित जाँच किए भ्रष्टाचार को दबाने की कोशिश की। इस कारण संगठन ने मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री और संभागीय आयुक्त के समक्ष अपनी असहमति दर्ज कराई।

बड़े पैमाने पर वित्तीय गबन : 2001-03 में किसानों और मजदूरों के नाम पर फर्जी ऋण वितरण। 2009-12 के बाद, निधि डेल नेटवर्क और एलएमएल मार्केटिंग के माध्यम से झूठे वसूली प्रमाण पत्र तैयार करके मनी लॉन्ड्रिंग।

गंभीर परिणाम : किसानों और मज़दूरों के आधार कार्ड का दुरुपयोग करके उन्हें जबरन कर्ज़दार दिखाया गया। इससे आत्महत्याओं की संख्या में वृद्धि हुई।

संगठन की सहकारीता सचिव, महसूल सचिव और पोलीस महासंचालक प्रशासन के पास न्याय की मांग :
1. महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1960 की धारा 78 और 88 के तहत जांच।
2. एसीबी, एसआईटी और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच।
3. निदेशक मंडल, अधिकारियों और राजस्व अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज किए गए।
4. ऋण संस्थाओं में भ्रष्ट वसूली अधिकारियों की नियुक्तियां रद्द की जाएं।

संगठनात्मक चेतावनी :
-अगर 15 दिनों के भीतर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो किसान संघ महासंघ द्वारा सहकारिता आयुक्तालय पुणे से एक विशाल किसान-महिला मार्च निकाला जाएगा। जमाकर्ताओं और 500/800 बिना कर्जदारों को न्याय मिलने तक यह लड़ाई जारी रहेगी। संगठन के अध्यक्ष विट्ठल राजे पवार का बयान : बड़ा सवाल यह है कि सहकारिता आयुक्त दीपक टावरे सहकारिता के रक्षक हैं या भ्रष्टाचार के भक्षक। जमाकर्ताओं की गाढ़ी कमाई बचाना सरकार की प्राथमिक ज़िम्मेदारी है। अगर जाँच में देरी हुई, तो और भी निष्पाप लोंगो की आत्महत्या का डर है, तो पीड़ितों को न्याय नहीं मिलेगा।

-इस अवसर पर उपस्थित विट्ठल राजे पवार, चाँद शेख, माणिक सुपनार, डॉ. भारती चव्हाण, अनिल भड़वलकर, दीपक फाल्के, यशवंत बांगर, हीरामन बंदल, महेश गिरी, भाग्यवंत नायकूडे आदि पदाधिकारी।
प्रेस और जनता से अपील : संबंधित मामले में पूरी जाँच और ठोस कार्रवाई होने तक संगठन कानूनी और लोकतांत्रिक तरीकों से लड़ाई जारी रखेगा।
यह जानकारी शरद जोशी मंच किसान संगठन महासंघ राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संयोजक विट्ठल राजे पवार द्वारा दी गई है।

 

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