समाज परिवर्तन का माध्यम बने डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय : मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

विद्यार्थी डॉ. आंबेडकर के विचारों को अपनाकर लक्ष्य प्राप्त करें : मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण गवई
डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय का हीरक महोत्सव उत्साह से सम्पन्न
नागपुर, अगस्त (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा अपेक्षित शैक्षणिक दर्जा प्राप्त करते हुए डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय ने वंचित समाज के लिए शिक्षा के द्वार खोले और उनके जीवन में परिवर्तन लाया। 60 वर्षों की गौरवशाली परंपरा वाले इस महाविद्यालय ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की यात्रा को विस्तारित कर नई ऊंचाइयों को प्राप्त किया है। यह विश्वास व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपेक्षा जताई कि यह महाविद्यालय समाज परिवर्तन का माध्यम बने।
दीक्षाभूमि स्मारक समिति द्वारा संचालित डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय के हीरक महोत्सव समारोह में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण गवई मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। दीक्षाभूमि स्मारक समिति के अध्यक्ष भदंत आर्य नागार्जुन सुरई ससाई अध्यक्षता कर रहे थे। सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट, मुंबई उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति चंद्रशेखर, दीक्षाभूमि स्मारक समिति के सदस्य डॉ. कमलताई गवई, सुधीर फुलझेले, राजेंद्र गवई, प्रदीप आगलावे आदि इस अवसर पर उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा दिए गए समानता का राज्य, अवसर की समानता, और प्रत्येक व्यक्ति को सपना देखने का अधिकार तथा उसे साकार करने की व्यवस्था जैसे विचारों की परंपरा को आगे बढ़ाना आवश्यक है। बाबासाहेब का धम्म परिवर्तन का महान कार्य इसी भूमि पर हुआ। डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय ने वंचित समाज के लिए शिक्षा के द्वार खोलकर उनके जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया है। बाबासाहेब द्वारा अपेक्षित शैक्षणिक दर्जा इस महाविद्यालय ने प्राप्त किया है। पद्मश्री दादासाहेब गायकवाड़, पूर्व राज्यपाल दादासाहेब गवई, सदानंद फुलझेले आदि के अथक प्रयासों से केवल 5 कक्षाएं, 5 शिक्षक और 300 छात्रों से शुरू हुई इस महाविद्यालय की यात्रा हीरक महोत्सव वर्ष में 6 हजार छात्रों, 50 कक्षाओं और 40 प्राध्यापकों के गौरवपूर्ण स्तर पर पहुंची है। महाविद्यालय ने विभिन्न शैक्षणिक मानकों में उत्कृष्ट कार्य किया है तथा महाविद्यालय की विभिन्न शाखाओं में प्रवेश पाने के लिए छात्रों में प्रतिस्पर्धा रहती है, ऐसा गौरवोद्गार भी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने व्यक्त किया।
विद्यार्थी डॉ. आंबेडकर के विचारों को अपनाकर लक्ष्य प्राप्त करें : मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण गवई ने कहा कि स्वयं का विकास करते हुए समाज के पिछड़े वर्गों को आगे बढ़ाने के महान विचार भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने भारतीयों को दिए। इन विचारों को अपनाकर छात्रों को अपना लक्ष्य प्राप्त करना चाहिए। डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय की स्थापना और विकास में दादासाहेब गायकवाड़, दादासाहेब गवई, दादासाहेब कुंभारे, सदानंद फुलझेले का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, यह बताते हुए उन्होंने महाविद्यालय की यात्रा की विभिन्न स्मृतियों को साझा किया। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों को अपनाना और उनके मार्ग पर चलना ही उन व्यक्तियों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने अपना जीवन डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय के लिए समर्पित किया।
उन्होंने यह भी स्मरण किया कि 1981 में धम्म परिवर्तन के रजत महोत्सव वर्ष में जब मुंबई से डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की अस्थियां नागपुर आईं, तो यहां की जनता ने उसका उत्साहपूर्वक स्वागत किया, जो इस शहर की सर्वधर्म समभाव की पहचान है। रजत महोत्सव धम्म परिवर्तन समारोह के लिए कवि सुरेश भट द्वारा रचित “भीम वंदना” का वाचन करके उन्होंने अपने भाषण का समापन किया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भदंत आर्य नागार्जुन सुरई ससाई के हाथों मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई का सत्कार किया गया। डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय के पांच छात्रों को, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है, मुख्यमंत्री श्री फडणवीस और मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई के हाथों सम्मानित किया गया।
डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. दीपा पाणेकर ने प्रास्ताविक और आभार प्रदर्शन किया जबकि प्राध्यापक डॉ. विद्या चोरपगार ने कार्यक्रम का संचालन किया।