शहर के निकट जमीनों की सीबीआई जांच की जाए : अमोल तुपे
क्रांति शेतकरी संघर्ष समिति की पुरजोर मांग
हड़पसर, सितंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
पुणे शहर के निकट के सभी गाँवों में हुए और वर्तमान में चल रहे ज़मीन के लेन-देन की सीबीआई द्वारा गहन जाँच होनी चाहिए, साथ ही इन लेन-देन में शामिल निर्माण क्षेत्र के बिल्डरों और राजनीतिक नेताओं की भी जाँच होनी चाहिए अन्यथा, गाँवों के सभी ठगे गए किसान सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। यह चेतावनी क्रांति शेतकरी संघर्ष समिति के संस्थापक अध्यक्ष अमोल तुपे ने दी है।
वर्तमान में पुणे एक अंतर्राष्ट्रीय शहर के रूप में उभर रहा है इसलिए, पुणे शहर के आसपास के सभी गाँवों में अपनी टाउनशिप बनाने के लिए गाँवों के किसानों की कृषि भूमि खरीदने के लिए बिल्डरों के बीच ज़बरदस्त प्रतिस्पर्धा चल रही है। अज्ञानता का फ़ायदा उठाकर, लेन-देन करते समय अनुबंध में उन बिंदुओं को तय कर लिया जाता है, जिसमें वास्तविक लेन-देन में, अनुबंध का आदान-प्रदान करके किसानों के साथ धोखाधड़ी की जाती है और उन्हें बाधा पहुँचाकर उनकी पुश्तैनी कृषि भूमि को बहुत कम दामों पर बेचने के लिए मजबूर किया जाता है।
श्री तुपे ने बताया कि शुरुआत में, ये बिल्डर गाँव के कुछ प्रमुख राजनीतिक हस्तियों के साथ मिलीभगत करके गाँव के छोटे, ज़रूरतमंद किसानों को अपनी ज़मीन बेचने के लिए मजबूर करते हैं। इसके अलावा, जो किसान इन बिल्डरों को अपनी ज़मीन बेचने से इनकार करते हैं, उन्हें बाधित करके और कुछ बड़े राजनीतिक नेताओं का नाम लेकर उन्हें अपनी पुश्तैनी ज़मीन डराकर बेचने पर मजबूर किया जाता है।
चूँकि इन बिल्डरों के बड़े राजनेताओं से आर्थिक संबंध हैं, इसलिए स्थानीय किसान बिल्डरों की धमकी के डर से अपनी ज़मीनें बेच रहे हैं। बिल्डरों के ऐसे अजीबोगरीब लेन-देन के कारण, किसान अपनी बरसों से बचाई हुई ज़मीनें औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं।
श्री तुपे ने बताया कि इन गाँवों के किसानों का मुख्य व्यवसाय कृषि है और उनके पास आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है इसलिए, अगर इन गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई गई, तो यहाँ के किसान बेरोजगार हो जाएँगे, ऐसी आशंका है, इसलिए सरकार से हमारी मांग है कि उक्त मामले की सीबीआई से जाँच कराई जाए।
