सात्यकी सावरकर पर अदालत की अवमानना के लिए कार्रवाई की जाए

सात्यकी सावरकर पर अदालत की अवमानना के लिए कार्रवाई की जाए
राहुल गांधी के वकील मिलिंद दत्तात्रेय पवार ने पुणे की अदालत में दायर किया आवेदन
पुणे, जुलाई (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर के विरुद्ध कथित मानहानि के मामले में सांसद एवं विपक्ष के नेता राहुल गांधी के विरुद्ध दायर मामले में शिकायतकर्ता सात्यकी सावरकर ने न्यायालय के स्पष्ट आदेशों का बार-बार उल्लंघन करने के कारण उन पर न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए। यह मांग करनेवाला आवेदन राहुल गांधी के वकील मिलिंद दत्तात्रेय पवार द्वारा 29 जुलाई 2025 को विशेष सांसद-विधायक प्रथम श्रेणी न्यायालय, पुणे में प्रस्तुत किया गया है।
मामले की सुनवाई माननीय न्यायाधीश श्री अमोल शिंदे की अदालत में चल रही है। वादी ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने लंदन में दिए गए अपने भाषण में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के बारे में गलत बयान दिया था। इसी आधार पर मानहानि का मुकदमा दायर किया गया है।
इस संबंध में, वादी ने अदालत में मामला दायर करते हुए संबंधित भाषण की सीडी और प्रतिलिपि प्रस्तुत की है। अदालत के स्पष्ट निर्देशों और बचाव पक्ष की बार-बार माँग के बावजूद, वादी सात्यकी सावरकर ने राहुल गांधी के मूल भाषणवाली सीडी और उसकी प्रमाणित प्रतिलिपि एडवांस वकील पवार को उपलब्ध नहीं कराई है।
वादी का यह कृत्य न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर रहा है तथा स्पष्ट आदेश का उल्लंघन कर रहा है। अतः राहुल गांधी के वकील ने अपनी अर्जी में मांग की है कि मुकदमा शुरू होने से पहले ही इस अशिष्ट एवं लापरवाहीपूर्ण व्यवहार को गंभीरता से लेते हुए न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई की जाए।
अर्जी में कहा गया है कि सात्यकी सावरकर के खिलाफ मानहानि का मामला केवल इसी एक मामले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक प्रतिशोध और व्यापक व्यवस्थित उत्पीड़न का हिस्सा प्रतीत होता है। कुछ व्यक्ति और संगठन, जिनकी आपराधिक पृष्ठभूमि है और जो अशिक्षित हैं, निरक्षर हैं, वे ऐसी विचारधाराओं से जुड़े हैं जो संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष व लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध हैं। विशेषकर, वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदुत्व विचारधाराओं से जुड़े हैं। ये विचारधाराएँ देश भर की विभिन्न अदालतों में झूठे मुकदमे दायर करके न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रही हैं।
राजनीतिक सभाओं या सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान, सत्तारूढ़ दल या कई महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों के नेताओं ने खुलेआम और बार-बार अत्यंत अपमानजनक, अश्लील, निम्नस्तरीय, अपमानजनक भाषा का प्रयोग करके स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी, स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू, स्वर्गीय राजीव गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और श्रीमती सोनिया गांधी के बारे में अश्लील आलोचना की है। ऐसे बयानों में अक्सर आपत्तिजनक, नाटकीय इशारे, उपहासपूर्ण इशारे और अनुचित शारीरिक गतिविधियां शामिल होती थीं। अनेक अवसरों पर ऐसे गंभीर और अपमानजनक उकसावे के बाद भी, कांग्रेस पार्टी के किसी भी नेता या कार्यकर्ता ने कभी भी बदले या द्वेष से झूठे मामले दर्ज करने का रास्ता नहीं चुना। संयम का यह रुख केवल श्री राहुल गांधी की सत्य और अहिंसा के गांधीवादी मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता तथा भारतीय संविधान और कानून के शासन के प्रति उनके गहरे सम्मान के कारण ही संभव हो पाया है। ऐसा भी आवेदन उल्लेख किया गया है।
श्री राहुल गांधी को भारतीय न्याय व्यवस्था और संविधान पर पूरा भरोसा है। उनका दृढ़ विश्वास है कि जब तक भारत का संविधान और न्यायपालिका जीवित, सशक्त और अक्षुण्ण हैं, कोई भी व्यक्ति या संगठन आम आदमी के मौलिक अधिकारों को नहीं छीन सकता। इसी विश्वास के आधार पर श्री राहुल गांधी ने लगातार आम आदमी से न डरने की अपील की है।
कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में श्री राहुल गांधी ने सदैव सत्य, अहिंसा और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों का पालन किया है। उन्होंने कभी किसी के प्रति द्वेष नहीं रखा और न ही बदला लेने की भावना रखी। वे सादा जीवन और उच्च विचारवाले व्यक्ति हैं और उन्होंने कभी भी विभाजनकारी राजनीति में भाग नहीं लिया है।
उन्होंने कभी भी राजनीतिक लाभ के लिए समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश नहीं की। उनका पूरा ध्यान और प्रयास हमेशा गरीबों और हाशिए पर पड़े वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित रहा। वर्तमान स्थिति में न्यायपालिका संविधान और लोकतंत्र की अंतिम संरक्षक के रूप में खड़ी है। इसका उल्लेख करना बहुत महत्वपूर्ण है।
हालाँकि, शिकायतकर्ता का आचरण इस चिंताजनक प्रवृत्ति को और पुष्ट करता प्रतीत होता है। इसके पीछे उद्देश्य न्याय प्राप्त करना नहीं, बल्कि श्री राहुल गांधी को उनके सार्वजनिक कर्तव्यों के निर्वहन से रोकना और उनके कार्य में बाधा डालना है। इस तरह की हरकतें स्पष्ट रूप से कानून के शासन और न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा के प्रति पूर्ण अवहेलना दर्शाती हैं। अतः शिकायतकर्ता माननीय न्यायालय के आदेशों का पालन न करके न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन कर रहा है।
शिकायतकर्ता, सात्यकी सावरकर, गोपाल गोडसे के पोते हैं। गोपाल और नाथूराम गोडसे महात्मा गांधी की हत्या के दोषी थे। स्वातंत्र्यवीर सावरकर और गोडसे बंधुओं के बीच घनिष्ठ संबंध ऐतिहासिक दस्तावेजों से स्पष्ट है। गोडसे और सावरकर, दोनों ही हिंदुत्व विचारधारा के समर्थक हैं और भारतीय संविधान के प्रति उनमें असहिष्णुता और अवमानना है।
दूसरी ओर, राहुल गांधी महात्मा गांधी के विचारों पर चलनेवाले, अहिंसा में विश्वास रखनेवाले और संविधान का पूरी निष्ठा से पालन करनेवाले नेता हैं। उन्होंने कभी किसी धर्म, जाति या विचारधारा से नफरत नहीं की। उन्हें किसी भी तरह से ऐसे झूठे मामलों में फंसाने का प्रयास असंवैधानिक और राजनीति से प्रेरित है। यह आरोप भी एडवोकेट पवार ने न्यायालय में आवेदन के माध्यम से किया है। श्री राहुल गांधी की ओर से दायर इस न्यायालय की अवमानना याचिका को स्वीकार कर लिया है तथा इस पर अगली सुनवाई 13 अगस्त 2025 को निश्चित की गई है।