01/07/2025

अनुवाद रोमंटिक लव को स्पिरिचुअल लव में परिवर्तित करता है और हमारी जिंदगी सफल बन जाती है : उल्हास पवार

Rashtra Bhasa

‘अंतरा एवं सोलेस’ पुस्तकों का लोकार्पण समारोह संपन्न

पुणे, जून (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा, पुणे एवं क्षितिज प्रकाशन, पुणे के संयुक्त तत्त्वावधान में उपरोक्त दो पुस्तकों का लोकार्पण समारोह शुक्रवार, 7 जून 2024 को महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा, पुणे के विद्यमान अध्यक्ष श्री उल्हास पवार की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
मंच पर अध्यक्ष श्री उल्हास पवार, विशेष अतिथि के रूप में सभा की कार्याध्यक्ष डा. नीला बोर्वणकर हिंदी आंदोलन परिवार के संस्थापक अध्यक्ष श्री संजय भारद्वाज, अतिथि आबेदा इनामदार महाविद्यालय की पूर्व प्रो. डा. नसरीन शेख तथा कवयित्री डा.पुष्पा गुजराथी उपस्थित थे। गुजराथी परिवार की ओर से मंचासीन मान्यवर तथा सभा के उपाध्यक्ष श्री पुरुषोत्तम पगारे एवं विश्वस्त प्रा. विरुपाक्ष अंकलकोटे को शाल, श्रीफल तथा पौधे का एक गमला देकर सम्मानित किया गया।

उपस्थित मान्यवरों ने दीप प्रज्ज्वलन किया और तद्नंतर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। श्री संजय भारद्वाज ने पुस्तक की विवेचना प्रस्तुत करते समय कहा कि बेटी तो माँ का स्वाभाविक अनुवाद होती है। दोनों संग्रहों की कविताओं में विविध रंग, पर्यावरण विमर्श, अध्यात्म की छटाएँ हैं।

अध्यक्ष श्री उल्हास पवार ने अध्यक्षीय मंतव्य में कहा कि एक भाषा का दूसरी भाषा में केवल शाब्दिक अनुवाद नहीं अपितु भावानुवाद होना चाहिए। अनुवाद के बारे में पूर्व गांधीवादी नेता एवं साहित्यिक स्व. बालासाहेब भारदे कहते थे कि भावानुवाद का अर्थ है कि एक आत्मा ने दूसरी आत्मा में प्रवेश किया हो और उसके बाद अपनी बात कही हो। ऐसा अनुवाद रोमंटिक लव को स्पिरिचुअल लव में परिवर्तित करता है और हमारी जिंदगी सफल बन जाती है।

डा. नीला बोर्वणकर ने अपने मंतव्य में सभा की अन्यान्य परीक्षाओं, स्पर्धाओं तथा द्वैमासिक राष्ट्रवाणी पत्रिका की जानकारी दी। ये कविताएं समुद्र के किनारे चुनी हुई यादों की सीपियाँ हैं। डा. पुष्पा ने अपनी पहली कहानी सभा की ‘ज्ञानदा’ में पढ़ी थी और तबसे उनका साहित्यिक प्रवास निरंतर शुरू है। कवयित्री का कवि मन काव्य के प्रति खिल उठा है। कविताओं में नारी मन बेचैन हो उठता है। द्रौपदी की पीड़ा को उचित शब्दों में बाँध दिया है। डा.गुजराथी की काव्य प्रतिभा को सलाम।

डा. नसरीन शेख ने कहा कि ये दो पुस्तकें फूलों के बुकेज् हैं। इसकी सुगंध से साहित्य खुशबूदार बना है। दो भाषाओं में लिखना आसान नहीं और सटिक शब्दों की रचना करना आसान काम नहीं होता। शब्दों का चयन हृदयस्पर्शी है। शब्द लाजिक एवं इमोशन में डूब जाते हैं। अगर आपको हमेशा खुश रहना है तो आप डीवाईन रेमीडी – दैवीय उपाय का उपयोग करें। अपनी सोच हमेशा सकारात्मक रखो। आपकी निराशा दूर हो जाएगी।

कार्यक्रम के लिए विविध क्षेत्र के गणमान्य, हिंदी प्रेमी, पूरा गुजराथी परिवार, उनके रिश्तेदार तथा महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा, पुणे के सचिव प्रा. रविकिरण गलंगे, सहसचिव श्रीपाद भोंग एवं स्पर्धा प्रबंधक सुश्री. सुनेत्रा गोंदकर उपस्थित थे।

कार्यक्रम का प्रास्ताविक सुश्री दीप्ति सिंह ने, स्वागत सुश्री नेहा एवं श्री सुजीत ने, हिंदी और अँग्रेजी में बहारदार सूत्र-संचालन सुश्री गौतमी चतुर्वेदी-पाण्डेय ने तो आभार ज्ञापन कु.रुद्र ने किया।

About The Author

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *