12/07/2025

कला के माध्यम से शैक्षिक परिवर्तन : ‘एमआईटी एडीटी’ विश्वविद्यालय की सराहनीय पहल

MIT Kala

हड़पसर, मई (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
एमआईटी आर्ट डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फाइन एंड एप्लाइड आर्ट्स (एसओएफए), राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस), छात्र कल्याण विभाग और स्कूल ऑफ होलिस्टिक डेवलपमेंट, पुणे के सहयोग से अनिकेत सेवाभावी संस्था, पुणे में चार दिन ‘कला के माध्यम से शैक्षिक परिवर्तन’ इस प्रशंसा गतिविधि का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।

प्रो. सुशील कुमार कुंभार एवं प्रो. उत्तम जनवड़े के मार्गदर्शन में इस पहल में एमआईटी सोफा के छात्रों के साथ-साथ अनिकेत सेवाभावी संस्था के विशेष विकलांगतावाले 55 बच्चों की उत्साही भागीदारी देखी गई, जिन्होंने संस्था के परिसर में एक जीवंत भित्ति चित्र बनाने के लिए संयुक्त रूप से काम किया। इस पहल का उद्देश्य अनिकेत सेवाभावी संस्था को सुंदर बनाना और इन भित्ति चित्रों के माध्यम से एक अच्छा संदेश देना था।

इस पहल ने न केवल कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए एक मंच प्रदान किया बल्कि विकलांग व्यक्तियों के लिए सामाजिक एकीकरण और सशक्तिकरण के महत्व पर भी प्रकाश डाला। एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष और कुलपति प्रो.डॉ. मंगेश कराड ने अनिकेत सेवाभावी संस्था की पहल के व्यापक प्रभाव पर टिप्पणी की और छात्रों और संकाय के प्रयासों की भी सराहना की।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए एमआईटी सोफा के प्रिंसिपल और डीन डॉ. मिलिंद ढोबले ने कहा कि यह पहल कला से परे प्रत्येक व्यक्ति की अद्वितीय क्षमताओं को समझने और जोड़ने के बारे में है। हमें निश्चित रूप से उस काम पर गर्व है जो हमारे छात्र सामाजिक जिम्मेदारी बनाए रखने में कर रहे हैं।
छात्र कल्याण विभाग के अध्यक्ष प्रो.डॉ. सूरज भोयर ने छात्रों द्वारा दिखाई गई सामाजिक प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनिकेत सेवाभावी संस्था के बच्चों के साथ जो ख़ुशी सांझा की है वह दिल को छूनेवाली थी।
इस सफल पहल को अनिकेत संस्था की निदेशक कल्पना वर्पे और ट्रस्टी राजश्री जंगले, सुहास जंगले, गणेश तनपुरे का बहुमूल्य समर्थन मिला।

सहानुभूति और आपसी सम्मान का संगम
अनिकेत सेवाभावी संस्था की दीवारों पर भित्ति चित्र एकता, रचनात्मकता और कला की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतीक हैं। एमआईटी-सोफा के प्रतिभागी छात्रों और अनिकेत सेवाभावी संस्था के बच्चों ने न केवल कला का सृजन किया है, बल्कि सहानुभूति और पारस्परिक सम्मान का संगम भी बनाया है।

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