क्या सिर्फ यशवंत सहकारी चीनी मिल की जमीन बेचने के लिए चुनाव कराया जा रहा है? आम आदमी पार्टी का सवाल ?

हड़पसर, फरवरी (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
पिछले 10-15 सालों से यशवंत सहकारी चीनी कारखाना बंद पड़ा है और इस दौरान बीजेपी-शिवसेना और फिर महाविकास सरकार आने के बावजूद किसी ने भी कारखाने को शुरू करने की कोशिश नहीं की। अब भाजपा और सरकार में शामिल अन्य दल अचानक कैसे जाग गये? इस क्षेत्र के अधिकांश राजनीतिक अभिजात वर्ग अब भाजपा में चले गए हैं और कुछ भाजपा की राह पर हैं, इसलिए इस कारखाने में भाजपा का दबदबा होने की उम्मीद है, इसलिए कारखाना चुनाव की योजना बनाई जा रही है। यह सवाल आम आदमी पार्टी ने उठाया है।
इस क्षेत्र के किसी भी राजनेता को इस फैक्ट्री को दोबारा खोलने की कोई इच्छा नहीं है, अब वे केवल फैक्ट्री के स्वामित्ववाली जमीन को बेचकर उसकी दलाली करके पैसा कमाना चाहते हैं। यह मुर्दे की खोपड़ी से मक्खन खाने के समान है। फैक्ट्री के सभी सदस्यों द्वारा इस पर विचार करना चाहिए और इस पर ध्यान देकर इन राजनेताओं का जो उनका मंसूबा है उसे बिल्कुल भी पूरा नहीं होने देना चाहिए। इतने वर्षों से बंद पड़ी फैक्ट्री सिर्फ राजनीतिक लाभ और जमीन बेचकर दलाली खाने के लिए शुरू किया गया नाटक है। नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए। अगर अदानी और अन्य उद्योगपतियों का कर्ज माफ किया जा सकता है तो फैक्ट्री का कर्ज किसान का कर्ज है, इसलिए पूरा माफ किया जाना चाहिए।
-सचिन कोतवाल
उपाध्यक्ष- आम आदमी पार्टी पुणे शहर
आम आदमी पार्टी की निम्नलिखित मांगें इस प्रकार हैं :
यदि फैक्ट्री के स्वामित्व वाली भूमि बेची जाती है तो…
– सबसे पहले मजदूरों का बकाया भुगतान किया जाये।
– फिर सदस्यों के बकाया बिल का भुगतान करें।
– बचे हुए पैसे से कम क्षमता पर फैक्ट्री शुरू की जाए और किसी निजी कंपनी को किराए पर चलाने दी जाए। स्वामित्व किसानों का ही रहना चाहिए।