मातृभाषा पर गर्व करते हुए अन्य भाषाओं का भी करें सम्मान : मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

नई दिल्ली, जुलाई (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
भाषा संवाद का एक प्रभावी माध्यम है और इसके माध्यम से ज्ञान का खजाना प्राप्त होता है। हर व्यक्ति को अपनी मातृभाषा पर गर्व करते हुए अन्य भारतीय भाषाओं का भी समान रूप से सम्मान करना चाहिए। यह विचार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने व्यक्त किए।
मुख्यमंत्री श्री फडणवीस ने दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कन्वेंशन सेंटर में ‘श्री छत्रपति शिवाजी महाराज सामरिक और रक्षा विशेष अध्ययन केंद्र’ एवं ‘कुसुमाग्रज मराठी भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन केंद्र’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उनके साथ महाराष्ट्र के मराठी भाषा मंत्री डॉ. उदय सामंत, जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, तंजावर घराने के छत्रपति बाबाजीराजे भोसले और कुलसचिव प्रो. रविकेश मंच पर उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री फडणवीस ने कहा, छत्रपति शिवाजी महाराज की सामरिक दृष्टि और युद्धनीति का अध्ययन जेएनयू जैसी प्रतिष्ठित संस्था में शुरू होना गर्व की बात है। यूनेस्को द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों को ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप’ के रूप में विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया है। उन्होंने सह्याद्री, पश्चिमी घाट और समुद्र तटों पर अभेद्य किले बनाए, विदेशियों से भारत की रक्षा की और मराठाओं को पूरे देश में विजयी पताका फहराने की प्रेरणा दी। उनकी युद्धनीति की आज भी वैश्विक प्रशंसा होती है।
मुख्यमंत्री श्री फडणवीस ने कहा, छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठी समाज में विजयी मानसिकता (विजिगीषु वृत्ति) विकसित की और स्वराज्य की नींव रखी। उनका हर युद्ध सामरिक शक्ति का प्रतीक है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा मिलना ऐतिहासिक क्षण है। यह मराठी भाषा की समृद्ध परंपरा, साहित्य और संस्कृति को मान्यता देने वाला कदम है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, मराठी बहुत प्राचीन भाषा है। भारतीय नौसेना के ध्वज पर छत्रपति शिवाजी महाराज की राजमुद्रा दर्शायी गई है और अब मराठी की यह राजमुद्रा दिल्ली में भी स्थापित हुई है। मराठी साहित्य और रंगमंच आज भी श्रेष्ठ हैं। मराठी रंगभूमि ने नाट्य संस्कृति को जीवित बनाए रखा है। प्रत्येक विश्वविद्यालय में मराठी भाषा पर शोध होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि जेएनयू परिसर में छत्रपति शिवाजी महाराज की घुड़सवार प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उन्होंने विश्वास जताया कि यह प्रतिमा राष्ट्र सेवा और बलिदान की प्रेरणा बनेगी।
मराठी भाषा केंद्र ‘सांस्कृतिक गौरव’ : उदय सामंत
मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत ने जेएनयू में मराठी अध्ययन केंद्र की स्थापना को एक ऐतिहासिक पहल बताया। उन्होंने कहा कि कश्मीर में मराठी पुस्तक गांव और विदेशों में मराठी बृहन् मंडल स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने नासिक में आयोजित होने वाले विश्व मराठी सम्मेलन का निमंत्रण भी दिया और महाराष्ट्र के विद्यार्थियों को जेएनयू में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित करने की बात कही।
मराठी साहित्य और संस्कृति की प्रशंसा : कुलपति प्रो. शांति श्री पंडित
जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री पंडित ने मराठी साहित्य, नाटक और कविता के योगदान को सराहा और ‘सिंधुदुर्ग संवाद’ नामक राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम की घोषणा की। उन्होंने कहा कि जेएनयू समानता, गुणवत्ता और नवाचार पर आधारित एक अग्रणी विश्वविद्यालय है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत 50 भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की पहल का उल्लेख किया और मराठी विद्यार्थियों से जेएनयू में प्रवेश लेने का आग्रह किया। इस कार्यक्रम में सांसद स्मिता वाघ, धनंजय महाडिक, मेधा कुलकर्णी, हेमंत सावरा, अनिल बोंडे, अजीत गोपछडे, पूर्व सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे, केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारी, जेएनयू के प्राध्यापक और मराठी भाषा प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।