23/06/2025

भारी ट्रैफिक के दौरान कैसे हो सकता है विनयभंग : मुंबई उच्च न्यायालय !

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Bombay High Court1

भारी ट्रैफिक के दौरान कैसे हो सकता है विनयभंग : मुंबई उच्च न्यायालय !

पुणे, अक्टूबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
पुणे के चतुश्रृंगी पुलिस स्टेशन में एक महिला की पिटाई और विनयभंग के मामले में दिनांक 20/07/2024 को मामला दर्ज किया गया था। उस अपराध में 1) स्वप्निल अशोक केकरे उम्र-58 और श्रीमती श्रीया स्वप्निल केकरे उम्र-52, दोनों निवासी औंध पुणे को आरोपी बनाया गया है।

स्वप्निल केकरे की गिरफ्तारी पूर्व जमानत जिला न्यायालय पुणे ने खारिज कर दी तो श्रीया केकरे को जिला न्यायालय पुणे द्वारा गिरफ्तारी पूर्व जमानत दी गई थी। स्वप्निल केकरे ने जिला न्यायालय के फैसले के खिलाफ वकील सत्यम हर्षद निंबालकर और वकील हर्षवर्धन मिलिंद पवार की ओर से मुंबई उच्च न्यायालय में गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए आवेदन किया। मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री मनीष पितले ने स्वप्निल केकरे को गिरफ्तारी से पहले जमानत दे दी।

दिनांक 20/07/2024 को वादी महिला दो छोटे बच्चों को दोपहिया वाहन पर लेकर जा रही थी। इसी दौरान केकरे पति-पत्नी अपनी होंडा सिटी कार से घर जा रहे थे। भारी मात्रा में ट्रैफिक था। इसी बीच वादी महिला और केकरे दंपत्ति के बीच सड़क पर आगे बढ़ने को लेकर विवाद हो गया। उनके बीच बहस के बाद स्वप्निल केकरे हिंसक हो गए और उन्होंने वादी महिला की नाक पर मुक्का मार दिया। नाक की हड्डी टूट गयी थी और काफी खून बह रहा था। इसी बीच उसने वादी महिला के सीने को बुरी नियत से छूकर छेड़छाड़ की। संबंधित वादी महिला एक फाइव स्टार होटल में मैनेजर के पद पर काम करती है, इसलिए उन्होंने तुरंत घटनास्थल से सोशल मीडिया पर लाइव शूट किया और पिटाई के दृश्य को सोशल नेटवर्किंग पर प्रचारित किया, वहां तुरंत पुलिस आ गई। भारी भीड़ जमा हो गई। वादी महिला ने केकरे दंपत्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।

मुंबई उच्च न्यायालय में वकील सत्यम हर्षद निंबालकर और वकील हर्षवर्धन मिलिंद पवार ने दलील दी कि यह घटना सड़क पर ट्रैफिक के दौरान हुई थी। मारपीट या छेड़छाड़ का इरादा नहीं था। स्वप्निल केकरे ने भी शिकायत दर्ज कराई है कि संबंधित महिला ने उनके साथ मारपीट की है, इसीलिए संबंधित महिला ने झूठे आरोप लगाते हुए झूठी शिकायत दर्ज कराई है।

गिरफ्तारी से पहले जमानत देते हुए उच्च न्यायालय ने आदेश में कहा कि वादी और आरोपी दोनों अपने-अपने चार पहिया और दोपहिया वाहन चला रहे थे। यह घटना इसी दौरान हुई प्रतीत होती है, इसलिए मारपीट या छेड़छाड़ करने का कोई उद्देश्य या योजना बनाकर व षड़यंत्र रचकर अपराध किया गया है, ऐसा प्रतीत नहीं होता है। वादी द्वारा लगाए गए आरोप यातायात के दौरान व रहदारी के दौरान कैसे हो सकते हैं, इसलिए ऐसे अपराध में आरोपियों की गिरफ्तारी और जांच की जरूरत नहीं है। ऐसा निरीक्षण दर्ज करते हुए जिला न्यायालय के फैसले को पलटते हुए स्वप्निल केकरे को सशर्त गिरफ्तारी पूर्व जमानत दे दी गई।
यह जानकारी एडवोकेट मिलिंद पवार द्वारा दी गई है।

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