मुंबई की नई सुबह : भारत-ब्रिटेन संबंधों में ‘ब्रिस्क‘ (BRISK) एक नए युग का उदय
भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई आज एक विशेष उत्साह और नई ऊर्जा से स्पंदित है। यूनाइटेड किंगडम (UK) के प्रधानमंत्री केअर स्टारमर की दो दिवसीय यात्रा ने विश्व का ध्यान इस महानगर पर केंद्रित कर दिया है। इस यात्रा का मुख्य आकर्षण ‘ग्लोबल फिनटेक फेस्ट‘ का भव्य आयोजन है, जो भारत और ब्रिटेन के बीच प्रगाढ़ होते मैत्रीपूर्ण संबंधों का एक जीवंत प्रतीक है। आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री स्टारमर इस वैश्विक मंच से एक साथ मुख्य भाषण देंगे, तो यह केवल एक औपचारिक राजनयिक संवाद नहीं होगा। यह सदियों पुराने ऐतिहासिक संबंधों के एक नए शिखर पर पहुँचने और दोनों देशों के बीच सहयोग के एक सुनहरे अध्याय, जिसे ‘ब्रिस्क‘ (BRISK – Britain-India Strategic Keystone) का नाम दिया गया है, की शुरुआत का प्रतीक होगा। यह नाम इस साझेदारी की गतिशीलता, मजबूती और रणनीतिक महत्व को रेखांकित करता है।
एक ऐतिहासिक मोड़ : ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी‘ का सशक्तिकरण
वर्ष 2025 भारत और ब्रिटेन के संबंधों के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है। सदियों के उतार-चढ़ाव भरे इतिहास वाले इस रिश्ते को अब एक औपचारिक और सुदृढ़ ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी‘ (Comprehensive Strategic Partnership) का स्वरूप दिया गया है। इस साझेदारी का मार्गदर्शक ‘भारत-यूके विजन 2035‘ है, जो एक ऐसा महत्वाकांक्षी रोडमैप है जिसमें दोनों देशों के लिए साझा विकास, सुरक्षा और समृद्धि की एक विस्तृत योजना तैयार की गई है। इस रिश्ते की सबसे बड़ी ताकत दोनों राष्ट्रों के नेतृत्व में मौजूद मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति है। इसी वर्ष जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी की सफल ब्रिटेन यात्रा के बाद, प्रधानमंत्री स्टारमर की यह भारत यात्रा इस साझेदारी को एक नई गति और ठोस आकार प्रदान कर रही है। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के आम नागरिकों के जीवन में महत्वपूर्ण और मूर्त लाभ पहुँचाना है। आज का मुख्य भाषण, जिसमें 100 से अधिक देशों के एक लाख से अधिक वैश्विक प्रतिनिधि भाग लेंगे, इस साझेदारी की असीम क्षमता को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित करने वाला एक निर्णायक क्षण होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए, जिनके राजनयिक प्रयासों का केंद्रबिंदु दुनिया भर के रणनीतिक भागीदारों के साथ संबंधों को गहरा करना रहा है, यह क्षण एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में भारत के उदय का प्रतीक है। घरेलू स्तर पर साहसिक आर्थिक सुधारों को बढ़ावा देने से लेकर वैश्विक मंच पर समान विचारधारा वाले लोकतांत्रिक भागीदारों के साथ जुड़ने तक, प्रधानमंत्री मोदी के अथक प्रयासों ने ब्रिटेन के साथ इस नवीनीकृत अध्याय की नींव रखी है। वहीं, ब्रिटेन, जिसका भारत के साथ एक जटिल और बहुआयामी ऐतिहासिक संबंध रहा है, अब औपनिवेशिक अतीत की छाया से बाहर निकलकर एक समान और सम्मानित भागीदार के रूप में उभरा है।
आर्थिक विकास और अवसरों का नया इंजन : CETA
मुंबई में हो रही इन बहुप्रतीक्षित घोषणाओं का आधार इसी वर्ष 24 जुलाई, 2025 को हस्ताक्षरित ‘व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता‘ (CETA – Comprehensive Economic and Trade Agreement) है। कई वर्षों की गहन वार्ताओं के बाद संपन्न हुआ यह ऐतिहासिक समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल देने की क्षमता रखता है। यह भारतीय उपभोक्ताओं, उत्पादकों और निर्यातकों के लिए अवसरों के नए द्वार खोलेगा, जिससे अनगिनत उद्योगों और करोड़ों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है।
इस समझौते का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसके लागू होने के बाद ब्रिटेन के बाजार में प्रवेश करने वाले 99% भारतीय उत्पादों पर सीमा शुल्क (Tariffs) समाप्त हो जाएगा। इससे वस्त्र, चमड़ा, कृषि उत्पाद और ऑटोमोटिव घटक जैसे पारंपरिक भारतीय निर्यातकों को सीधा लाभ मिलेगा, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और भारतीय उत्पादों को एक नया, प्रतिष्ठित बाजार मिलेगा। आंकड़ों से परे, इस समझौते का मूल उद्देश्य रोजगार के नए अवसर पैदा करना, नवाचार (Innovation) को बढ़ावा देना और जमीनी स्तर पर समृद्धि का विस्तार करना है।
यह समझौता प्रभावशाली आंकड़े भी प्रस्तुत करता है। अनुमान है कि द्विपक्षीय व्यापार, जो वर्तमान में लगभग 43 बिलियन पाउंड है, में प्रति वर्ष 25.5 बिलियन पाउंड की वृद्धि होगी। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस समझौते से समय के साथ भारत की वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 5.1 बिलियन पाउंड (लगभग 53,000 करोड़ रुपये) की वृद्धि हो सकती है। ये आंकड़े केवल संख्याएँ नहीं हैं; इनके पीछे भारत के उन करोड़ों कारीगरों, उद्यमियों और पेशेवरों के सपने छिपे हैं, जो वैश्विक बाजारों तक अपनी पहुँच बनाना चाहते हैं।
यह समझौता प्रधानमंत्री मोदी के ‘ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस‘ के मंत्र को साकार करता है, जिसका उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले छोटे और मझोले उद्यमों (SMEs) को सशक्त बनाना है। समझौते में यह वादा किया गया है कि सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा ताकि 48 घंटों के भीतर माल की निकासी सुनिश्चित हो सके। यह कदम छोटे व्यवसायों को लालफीताशाही (Red Tape) की बाधाओं से मुक्त करेगा। इस समझौते को ब्रिटेन में द्विदलीय समर्थन प्राप्त है, जो इसकी राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करता है और यह दर्शाता है कि ब्रेक्सिट के बाद की वैश्विक व्यवस्था में ब्रिटेन भारत को एक अनिवार्य रणनीतिक भागीदार के रूप में कितना महत्व देता है।
हिंद-प्रशांत में सुरक्षा बंधन को मजबूती
यह साझेदारी केवल अर्थव्यवस्था और व्यापार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका विस्तार रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में भी हो रहा है, जो ‘विजन 2035‘ रोडमैप की एक प्रमुख आधारशिला है। हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) क्षेत्र आज वैश्विक भू-राजनीति का केंद्र बनता जा रहा है, और भारत तथा ब्रिटेन दोनों ने इस क्षेत्र को एक मुक्त, खुले, नियम-आधारित और स्थिर क्षेत्र के रूप में बनाए रखने के लिए एक साझा दृष्टिकोण अपनाया है।
यह सहयोग हाल ही में संपन्न हुए नौसैनिक अभ्यास ‘कोंकण 2025‘ में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया, जहाँ भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और ब्रिटेन के एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स ने एक साथ मिलकर जटिल युद्धाभ्यास किए। यह दो आधुनिक नौसेनाओं के बीच बढ़ती अंतर-संचालनीयता (Interoperability) और क्षेत्रीय शांति के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक था। इसी तरह, भारतीय वायु सेना के साथ किए गए हवाई रक्षा अभ्यासों ने इस सहयोग को और भी गहरा किया है। यह त्रि-सेवा समन्वय इस साझेदारी की गहराई और परिपक्वता का एक दुर्लभ उदाहरण है।
इसके अतिरिक्त, जुलाई 2025 में हस्ताक्षरित ‘रक्षा औद्योगिक रोडमैप‘ एक मौलिक बदलाव का संकेत है। यह पारंपरिक क्रेता-विक्रेता संबंध से आगे बढ़कर सह-विकास (Co-development) और संयुक्त उत्पादन (Joint Production) के एक नए युग की शुरुआत करता है। प्रधानमंत्री मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत‘ की अवधारणा के अनुरूप, यह रोडमैप प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, संयुक्त अनुसंधान और भारत की घरेलू रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर केंद्रित है। इसका लक्ष्य भारत को वैश्विक रक्षा नवाचार का एक प्रमुख केंद्र बनाना है, जिससे भारत की रणनीतिक स्वायत्तता मजबूत होगी और साथ ही बड़ी संख्या में उच्च-कुशल रोजगार भी पैदा होंगे।
‘लिविंग ब्रिज‘: लोगों के बीच चिरस्थायी संबंध
रणनीतिक समझौतों और आर्थिक आंकड़ों से परे, इस साझेदारी का हृदय ‘लोगों से लोगों का जीवंत सेतु‘ (Living Bridge) है। ब्रिटेन में रहने वाला 18 लाख से अधिक का भारतीय प्रवासी समुदाय (Diaspora) इस रिश्ते की सबसे मजबूत कड़ी है। यह समुदाय, जो ब्रिटेन की आबादी का लगभग 2.6% है और 65,000 से अधिक व्यवसायों का संचालन करता है, दोनों देशों के बीच एक अमूल्य सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बंधन का निर्माण करता है।
वर्ष 2025 में उच्च शिक्षा योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता की पुनः पुष्टि एक और महत्वपूर्ण कदम है। यह भारतीय छात्रों और पेशेवरों के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करता है, जिससे प्रतिभा की गतिशीलता (Talent Mobility) और शैक्षणिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता है। ‘विजन 2035‘ के तहत शैक्षणिक विस्तार का एक उत्कृष्ट उदाहरण गुरुग्राम में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथम्प्टन के कैंपस का जून 2025 में हुआ उद्घाटन है। यह पहल दूरदर्शी शैक्षणिक सहयोग का एक प्रतीक है। इसके पूरक के रूप में, भारत-यूके ‘ग्रीन स्किल्स‘ साझेदारी युवाओं को नवीकरणीय ऊर्जा और सतत कृषि जैसे भविष्य के क्षेत्रों में कौशल प्रदान कर रही है, ताकि वे आने वाली वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो सकें।
प्रौद्योगिकी, नवाचार और साझा भविष्य
इस साझेदारी का भविष्यवादी दृष्टिकोण प्रौद्योगिकी और नवाचार पर केंद्रित है, जो मुंबई के ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है। 100 से अधिक देशों के 800 से अधिक वक्ताओं की भागीदारी वाला यह उत्सव प्रधानमंत्री मोदी और स्टारमर के साझा दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने के लिए एक आदर्श मंच है। डिजिटल भुगतान (जैसे UPI) और वित्तीय समावेशन में भारत की अभूतपूर्व सफलता, ब्रिटेन के परिपक्व वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के साथ मिलकर गहन तकनीकी सहयोग का मार्ग प्रशस्त करती है।
‘प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल‘ (Technology Security Initiative) के माध्यम से, दोनों देश दूरसंचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में संयुक्त उद्यमों को बढ़ावा देने और सेमीकंडक्टर तथा महत्वपूर्ण खनिजों के लिए एक सुरक्षित एवं लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाने पर जोर दे रहे हैं। जलवायु कार्रवाई (Climate Action) इस साझेदारी का एक और प्रमुख स्तंभ है। दोनों देश स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने में तेजी लाने और ग्रीन फाइनेंस बाजारों को अधिक कुशल बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। बीपी (BP) और शेल (Shell) जैसी प्रमुख ब्रिटिश कंपनियों द्वारा भारत में स्वच्छ ईंधन और इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग के बुनियादी ढांचे में किया जा रहा निवेश इन लक्ष्यों की दिशा में उठाए गए व्यावहारिक कदमों का प्रमाण है।
एक नए युग का सूत्रपात
आज जब प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री स्टारमर मंच पर अपना मुख्य भाषण देने के लिए तैयार हैं, तो उनका संयुक्त संदेश साझा मूल्यों, पारस्परिक सम्मान और आपसी लाभ पर आधारित एक परिपक्व और भविष्योन्मुखी साझेदारी का प्रतीक होगा। यह गठबंधन उनकी संयुक्त आर्थिक ताकत, रणनीतिक सुरक्षा सहयोग, गहरे सांस्कृतिक संबंधों और नवाचार की अदम्य भावना का लाभ उठाने के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अटूट रणनीतिक दृष्टिकोण के मार्गदर्शन में, यह साझेदारी न केवल पुनर्जीवित हुई है, बल्कि इसे एक नए युग के लिए फिर से परिभाषित किया गया है। एक साथ मिलकर, भारत और यूनाइटेड किंगडम न केवल अपने लोगों के लिए समृद्धि लाने, सुरक्षा बढ़ाने और एक स्थिर, नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए तैयार हैं, बल्कि उनकी यह नवीनीकृत साझेदारी आने वाले दशकों में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की दिशा को भी आकार देने की क्षमता रखती है।

ब्रिजेश सिंह (भा.पो.से.),
प्रधान सचिव तथा महासंचालक (माहिती व जनसंपर्क).
