‘मेडिएशन’ से न्यायपालिका का बोझ घटेगा और लंबित मुकदमों के निपटारे में मिलेगी गति : डॉ. रेणु राज

सूर्यदत्त इंटरनेशनल मेडिएशन सेंटर (SIMC) और रैडैंक्स लिमिटेड की ओर से पहले अंतरराष्ट्रीय मेडिएशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन

पुणे, सितंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
“दिन-प्रतिदिन ‘मेडिएशन’ का दायरा बढ़ रहा है और कुशल व प्रमाणित मेडिएटर्स की जरूरत भी बढ़ती जा रही है। यदि मेडिएटर्स की संख्या बढ़ेगी, तो न्यायपालिका पर अनावश्यक बोझ कम होगा, पक्षकारों का समय और पैसा बचेगा और लंबित मुकदमों का निपटारा तेजी से हो सकेगा। इस वजह से आने वाले समय में ‘मेडिएशन’ के क्षेत्र में करियर की बड़ी संभावनाएं बनेंगी।” यह विचार लंदन स्थित रैडैंक्स लिमिटेड की संस्थापक, अंतरराष्ट्रीय मेडिएटर और विधि विशेषज्ञ डॉ. रेणु राज ने व्यक्त किए।
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वे सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन संचालित सूर्यदत्त इंटरनेशनल मेडिएशन सेंटर (SIMC) और लंदन की रैडैंक्स लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय मेडिएशन प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर बोल रही थीं। यह कार्यक्रम बावधन स्थित सूर्यदत्त ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स के बंसीरत्न सभागृह में हुआ। इस मौके पर सर्वोच्च न्यायालय मध्यस्थ संघटन के अध्यक्ष आर. संथानकृष्णन, संसद के पूर्व संयुक्त सचिव प्रदीप चतुर्वेदी, रैडैंक्स लिमिटेड से जुड़े मेडिएटर आर.पी. मिश्रा, अजय कुमार लाल, विश्वशांति दूत डॉ. सुधीर तारे, कार्यक्रम के आयोजक और सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया, उपाध्यक्षा सुषमा चोरडिया, सहयोगी उपाध्यक्ष सिद्धांत चोरडिया, विधि महाविद्यालय की प्रभारी प्राचार्या केतकी बापट, डॉ. मोनिका सेहरावत, डॉ. सदानंद राउत समेत अनेक गणमान्य उपस्थित थे।

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सूर्यदत्त के मल्टी डिसिप्लिनरी कैम्पस की विभिन्न शाखाओं — लॉ, फार्मेसी, नर्सिंग, कला-वाणिज्य-विज्ञान, मैनेजमेंट, साइबर सिक्योरिटी, एनीमेशन, होटल मैनेजमेंट और फिजियो आदि के हजारों छात्रों व शिक्षकों ने इस कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भाग लिया और ‘मेडिएशन’ कोर्स की जानकारी ली।

डॉ. रेणु राज ने कहा, “न्यायालय की चक्करें काटकर और वकीलों को फीस देकर लाखों लोग परेशान हैं। वर्षों से लंबित पड़े मुकदमों के निपटारे में ‘मेडिएशन’ अहम भूमिका निभाएगा। भारत समेत पूरी दुनिया में ‘मेडिएशन’ अनिवार्य किया जा रहा है। न्यायालय में जाने से पहले मेडिएटर्स के पास जाना अनिवार्य करने वाले कानून बन रहे हैं। ऐसे में ‘मेडिएटर’ के रूप में करियर बनाने की बड़ी संभावना है। कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र से मेडिएशन कर सकता है। इसके लिए सूर्यदत्त के सहयोग से प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है। 45 घंटे का यह प्रशिक्षण पूरा करने के बाद रैडैंक्स की ओर से अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र दिया जाएगा, जिसके आधार पर दुनिया के किसी भी देश में मेडिएटर के रूप में काम किया जा सकता है।”

उन्होंने आगे कहा कि भारतीय मेडिएशन कानून 2023 के तहत भारतीय मेडिएटर्स परिषद के गठन के बाद भारत में भी मेडिएटर के रूप में काम करने की बड़ी संभावना है। इसके लिए ‘ऐक्रिडिटेशन कोर्स’ करना अनिवार्य होगा। सूर्यदत्त विधि महाविद्यालय के बीएएलएलबी और बीबीएएलएलबी के तृतीय व चतुर्थ वर्ष तथा एलएलबी प्रथम व द्वितीय वर्ष के छात्रों को यह फाउंडेशन कोर्स अत्यंत मामूली शुल्क पर उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें पात्र छात्रों का चयन 45 घंटे के आगे के प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा।

प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने कहा, “सूर्यदत्त में मेडिएशन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के लिए अगस्त 2025 में सूर्यदत्त ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स और रैडैंक्स लिमिटेड (लंदन) के बीच एमओयू हुआ था। इसी सहयोग का अगला कदम है कि ‘सूर्यदत्त इंटरनेशनल मेडिएशन सेंटर (SIMC)’ में यह प्रशिक्षण कार्यक्रम हो रहा है। भारतीय युवाओं को वैश्विक स्तर पर मान्यताप्राप्त मेडिएटर बनने का अवसर देने में यह पहल महत्वपूर्ण है। भारत का पहला ऐसा कोर्स सूर्यदत्त में आयोजित हुआ, इसके लिए मैं रैडैंक्स का आभार मानता हूँ। इस अभिनव क्षेत्र में छात्रों, नौकरीपेशा और विशेषज्ञों को प्रमाणित व कुशल मेडिएटर बनाने की दिशा में हम काम करेंगे।”

आर. संथानकृष्णन ने कहा कि मेडिएशन आज की जरूरत है, जिससे पक्षकारों का समय और धन बचता है और उन्हें समय पर न्याय मिल सकता है। न्यायालयों पर बढ़ते मुकदमों का बोझ कम करने के लिए यह एक प्रभावी वैकल्पिक तंत्र है। प्रक्रिया की गोपनीयता और विश्वासार्हता के कारण पक्षकारों का परस्पर विश्वास मजबूत होता है। पारिवारिक और व्यावसायिक विवादों में तनाव बढ़ाए बिना समाधान खोजने और संबंधों को बनाए रखने में यह प्रणाली बेहद उपयोगी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘मेडिएशन’ को प्राथमिकता मिल चुकी है और भारत में भी इसे तेजी से अपनाया जा रहा है।

प्रदीप चतुर्वेदी ने कहा, “देश में छोटे-बड़े लाखों विवाद अदालतों, उपभोक्ता मंचों और ग्रीन ट्रिब्यूनल जैसे विभिन्न मंचों पर लंबित हैं। कानूनी पेचों में फंसे इन मुकदमों का शीघ्र निपटारा हो, पक्षकारों को राहत मिले और उनका समय व धन बचे, इसके लिए मेडिएशन की राह अपनाना जरूरी है। दुनिया भर में मेडिएटर्स की बड़ी मांग है। भारत में भी मेडिएशन कानून लागू हो चुका है। इसलिए सर्टिफाइड मेडिएटर्स की संख्या बढ़ाना समय की मांग है। सूर्यदत्त और रैडैंक्स की पहल से देश में प्रमाणित और सक्षम मेडिएटर्स की मजबूत टीम तैयार होगी।”

प्रा. केतकी बापट ने बताया की, सूर्यदत्त हमेशा से अभिनव उपक्रमों में अग्रणी रहा है। उभरते क्षेत्रों में ट्रेंडसेटर के रूप में सूर्यदत्त की पहचान है। संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया की दूरदृष्टि से शैक्षणिक क्षेत्र में अनेक नए प्रयोग स्थापित हुए हैं। विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों को कैंपस में आमंत्रित कर विद्यार्थियों को बहुआयामी ज्ञान प्रदान करने की अनूठी पहल सूर्यदत्त करता आया है।”

डॉ. मोनिका सेहरावत ने कहा, “सूर्यदत्त ने बीएससी साइबर सिक्योरिटी कोर्स सबसे पहले शुरू किया। इसके साथ ही क्षेत्रवार विशेष कोर्स, सूर्यदत्त ग्लोबल आर्मी, समर्पण कार्यक्रम श्रृंखला, अन्नबैंक, प्रोडक्ट बैंक, ज्ञानबैंक, ध्यान शिविर, चिंतन-मनन पहल, मोबाइल-लैपटॉप हॉलिडे, मूकवाचन और रीडाथॉन जैसे अभिनव उपक्रम भी शुरू किए गए।”

इस अवसर पर डॉ. सुधीर तारे, आर.पी. मिश्रा और अजय कुमार लाल ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन ग्रीष्म सुराणा, चिन्मय सूळ और अल्फिया मुलानी ने किया।

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