मराठी भाषा का ज्ञान होना जरूरी : प्राचार्य डॉ. नितिन घोरपडे

मराठी भाषा का ज्ञान होना जरूरी : प्राचार्य डॉ. नितिन घोरपडे
मांजरी, फरवरी (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
मातृभाषा के माध्यम से ही हम ज्ञान को सरलता एवं आसान तरीके से समझकर प्राप्त कर सकते हैं। आज नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को महत्व मिला है। हालाँकि मराठी भाषा ने विशिष्ट दर्जा प्राप्त कर लिया है, लेकिन मराठी को ज्ञान की भाषा बनाना आवश्यक है। इसके लिए मराठी मीडियम स्कूलों के अच्छे दिन आने चाहिए।
यह विचार अण्णासाहेब मगर महाविद्यालय के प्राचार्य एवं सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के प्रबंधन परिषद के सदस्य डॉ. नितिन घोरपड़े ने व्यक्त किये।
पुणे जिला शिक्षण मंडल के अण्णासाहेब मगर महाविद्यालय में बहि:शाल शिक्षण मंडल, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, पुणे द्वारा संयुक्त रूप से मराठी भाषा गौरव दिन के अवसर पर ‘काव्यास्वाद’ एक दिवसीय बहि:शाल शिविर का आयोजन किया गया था। इस कवि सम्मेलन में कवि भालचंद्र कोलपकर, म. भा. चव्हाण व दशरथ यादव ने सुंदर रचना प्रस्तुत कर श्रोताओं का दिल जीत लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नितिन घोरपडे बोल रहे थे। यहां महाविद्यालय की उपप्राचार्य डॉ. शुभांगी औटी, मराठी विभाग प्रमुख डॉ. प्रवीण ससाणे , केंद्र कार्यवाह डॉ. नाना झगडे, डॉ. दत्तात्रय टिलेकर, डॉ. दत्तात्रय संकपाल, डॉ. वंदना सोनवले, प्रा. अर्चना जाधव, प्रा. सूरज काले, प्रा. गणपत आवटी आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर वरिष्ठ कवि म. भा. चव्हाण, साहित्यिक दशरथ यादव, कवि भालचंद्र कोलपकर ने अपने विचार व्यक्त किए। इसके अलावा उन्होंने मराठी भाषा के उपरोध, उपहास और विडम्बना के स्वरूप को विस्तृत रूप से विवरण किया।
कार्यक्रम का प्रास्ताविक मराठी विभाग प्रमुख प्रा. डॉ. प्रवीण ससाणे ने किया। प्रा. डॉ. नाना झगडे ने कार्यक्रम का परिचय दिया। सूत्र-संचालन डॉ. वंदना सोनवले और आभार प्रदर्शन प्रा. सूरज काले ने किया।