छोटे-छोटे लम्हे

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छोटे-छोटे लम्हे
बीते लम्हों की जब यादें आती हैं,
मन की गलियों में खामोशी छा जाती है!
हर एक पल में छुपा है कोई अफसाना,
जैसे दिल का टुकड़ा, जैसे कोई तराना!
बचपन की हँसी, वो खिलखिलाहटें,
सपनों की उड़ान, मीठी सी सरगम बन जाती है!
हर धड़कन में बसी है उनकी मिठास,
वो छोटे लम्हे हैं, जीवन की सबसे बड़ी आस!
सुबह की पहली किरण में जो उम्मीद झलकती,
शाम की ढलती धूप में जो राहत सी लगती!
हर मोड़ पर सिखाते हैं कुछ न कुछ नया,
रिश्तों की डोर में पिरोते हैं जीवन का साया!
हर लम्हा है जैसे सितारों की बारात,
हर पल में छुपा है कोई अनकहा जज़्बात!
प्रेम की बातों में जो मिठास है घुली,
वो लम्हे ही तो हैं, जो रूह से हैं जुड़ी!
जीवन का संगीत बनते हैं ये लम्हे,
धड़कनों में घुलते अनमोल से लम्हे!
तो मुस्कुरा लो हर एक पल के साथ,
क्योंकि यही हैं ज़िंदगी की सबसे प्यारी बात!
श्री जयवंत ज्ञा. भुजबल
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