भारत और जापान सामुद्रिक संबंधों को और भी अधिक मजबूत करने पर सहमत

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज ओस्लो में जापान के अंतरराष्ट्रीय मामले तथा भूमि, इन्फ्रास्ट्रक्चर, परिवहन और पर्यटन मंत्रालय (एमएलआईटीटी) के उप मंत्री श्री टेराडा योशिमीची के साथ द्विपक्षीय बैठक की। दोनों देशों के बीच सामुद्रिक संबंधों को और भी अधिकर मजबूत करने के उद्देश्य से इस बैठक में जापानी शिपयार्ड द्वारा निवेश, बंदरगाहों का डिजिटलीकरण और हरित बंदरगाह पहल पर सहयोग, अनुसंधान और विकास को लेकर सहयोग बढ़ाने, मानव संसाधनों का कौशल विकास, जापान में भारतीय नाविकों के रोजगार सहित कई क्षेत्रों पर चर्चा हुई।

दोनों देशों के मंत्रियों ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप द्वीप समूह को स्मार्ट द्वीप समूह में बदलने के लिए टिकाऊ प्रौद्योगिकियों, आपदा-रोधी इन्फ्रास्ट्रक्चर और बेहतर कनेक्टिविटी के इस्तेमाल पर भी चर्चा की। द्वीप क्षेत्रों के विकास में जापान की समृद्ध विशेषज्ञता को महत्व देते हुए, श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “इस क्षेत्र में जापान की विशेषज्ञता अत्यधिक मूल्यवान है। हम अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप द्वीप समूह में विशेष रूप से अक्षय ऊर्जा, स्मार्ट मोबिलिटी सिस्टम और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में संयुक्त कार्य की गुंजाइश देखते हैं। ये पहल पारिस्थितिकीय संरक्षण और क्षेत्रीय सामुद्रिक सुरक्षा के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाएगी।”

बैठक में भारतीय और जापानी शिपयार्ड के बीच ग्रीनफील्ड निवेश जैसे कि आंध्र प्रदेश में इमाबारी शिपबिल्डिंग और अन्य के बीच साझेदारी बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। स्वच्छ ऊर्जा केंद्रों के रूप में बंदरगाहों और समुद्री औद्योगिक समूहों के एक साथ विकास के अवसरों का भी आपसी सहयोग के लिए आकलन किया गया। श्री सोनोवाल ने भारतीय यार्डों के साथ संयुक्त उद्यम और सहयोगी व्यवस्था की संभावना तलाशने के लिए इमाबारी शिपबिल्डिंग, जेएमयूसी, कनागावा डॉकयार्ड और मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज जैसी प्रमुख जापानी शिपबिल्डिंग कंपनियों में भारत की रुचि व्यक्त की।

भारत के केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत में जापान की विशेषज्ञता सर्वविदित हैऔर मुझे इस क्षेत्र में सहयोग की बहुत संभावनाएं दिखाई देती हैं। हम जापान की तीन बड़ी सामुद्रिक कंपनियों- एनवाईके लाइनएमओएल और के लाइन को भारत के बढ़ते समुद्री क्षेत्र में संयुक्त उद्यम और निवेश के अवसर तलाशने के लिए आमंत्रित करते हैं। हमारे मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के साथभारत का बढ़ता सामुद्रिक उद्योग जापानी शिपयार्डों के लिए भारत में जहाज निर्माण में निवेश करने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है। बंदरगाहों के डिजिटलीकरण और हरित बंदरगाह पहलों पर सहयोग हमारे समुद्री रसद नेटवर्क और स्थिरता को और मजबूत करेगा।”

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, भारत और जापान के बीच आध्यात्मिक आत्मीयता और मजबूत सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों में निहित एक लंबा इतिहास है। क्वाड फ्रेमवर्क और भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया आपूर्ति श्रृंखला संबंधी सशक्तता की पहल (एससीआरआई) के तहत हमारा सहयोग क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा और आर्थिक एकीकरण को मजबूत करने के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए)आपदा रोधी इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए गठबंधन (सीडीआरआई)और उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह (लीडआईटी) जैसी प्रमुख पहलों में जापान के नेतृत्व की सराहना करता है। भारत माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में अपने समुद्री क्षेत्र को बदलने के लिए आगे बढ़ रहा है। भारत मैरीटाइम इंडिया विजन 2030‘ और मैरीटाइम अमृत काल विजन 2047‘ के तहत बंदरगाह संबंधी इन्फ्रास्ट्रक्चर, हरित शिपिंगजहाज निर्माण और डिजिटलीकरण को भी आगे बढ़ा रहा है। भारत इन परिवर्तनकारी पहलों में जापान की भागीदारी चाहता है।

जापान के परिवहन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, परिवहन और पर्यटन (एमएलआईटी) के उप मंत्री श्री टेराडा योशिमीची ने कहा कि भारत और जापान के बीच बहुत घनिष्ठ संबंध हैं। जापान भारत के साथ रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में लगा हुआ है, लेकिन अब यह ‘समुद्री क्षेत्र में बहुत रुचि रखता है’। जहाज निर्माण और नाविकों के प्रशिक्षण में आपसी सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की गई और सकारात्मक रूप से विचार किया गया। उन्होंने बैठक पर संतोष व्यक्त किया।

सामुद्रिक प्रशिक्षण और विकास के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को और भी अधिक मजबूत करने की आवश्यकता पर बल देने के साथ ही अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में सहयोग पर जोर देते हुए, दोनों पक्षों ने समुद्री क्षेत्र में विशेष रूप से टिकाऊ समुद्री प्रौद्योगिकियों और अगली पीढ़ी के जहाज डिजाइन पर सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। श्री सोनोवाल ने कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल), भारतीय विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक एजेंसियों के साथ सहयोग के लिए आशाजनक अवसरों का लाभ उठाने के लिए एक कार्यक्रम को लेकर समझौता ज्ञापन के प्रति भारत की रुचि दिखाई।

भारत की मानव पूंजी के कौशल विकास और रोजगार पर, श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, भारत में वर्तमान में 154,000 से अधिक प्रशिक्षित नाविक हैं जो जापान के समुद्री कार्यबल का समर्थन और पूरक करने में सक्षम हैं। जापानी समुद्री क्षेत्र के समृद्ध सामुद्रिक ज्ञान के साथ क्षमता निर्माण के लिएहम जापान के सामुद्रिक क्षेत्र की हस्तियों के लिए भारतीय नाविकों को प्रशिक्षित करनेकौशल विकास करने और रोजगार देने में एक बड़ा अवसर देखते हैंजो हमारे सामुद्रिक सहयोग की आधारशिला को मजबूत करता है। भारत सुव्यवस्थित कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय इंजीनियरों और श्रमिकों को प्रशिक्षित करने में जापान के सामुद्रिक क्षेत्र के दिग्गजों की रुचि को सुविधाजनक बनाने के लिए तैयार और उत्सुक है।”

भारत की ओर से गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय (एनएमएचसी) विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भारत के समृद्ध सामुद्रिक इतिहास और विरासत को दर्शाना है। यह समुद्री क्षेत्र में विरासत पर्यटन, शिक्षा और अनुसंधान के लिए एक विश्व स्तरीय केंद्र के रूप में भी कार्य करता है। श्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस परियोजना के लिए जापान को भागीदार बनाने में भारत की रुचि को साझा किया। श्री सोनोवाल ने इस संबंध में जल्द ही समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देने की उम्मीद जताई। उन्होंने इस वर्ष 27 से 31 अक्टूबर के बीच मुंबई में आयोजित होने वाले भारत समुद्री सप्ताह, 2025 में भाग लेने के लिए उप मंत्री श्री टेराडा योशिमीची को भी आमंत्रित किया। यह प्रमुख आयोजन वैश्विक समुद्री समुदाय के प्रमुख हितधारकों को समुद्री क्षेत्र में निवेश, सहयोग, नवाचार और विकास के अवसरों की खोज पर चर्चा करने और सुविधा प्रदान करने के लिए एक साथ लाएगा।

बैठक के बाद, श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, मजबूत और सशक्त भारत-जापान संबंध आपसी विश्वास और साझा मूल्यों – लोकतंत्रस्वतंत्रता और सभ्यतागत संबंध पर आधारित हैं। उप मंत्री श्री टेराडा योशिमीची के साथ आज की चर्चा ने हमारे सामुद्रिक सहयोग को और आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया है। जापान भारत के सबसे भरोसेमंद निवेशकों में से एक है। हम इस रिश्ते को बहुत महत्व देते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत का लक्ष्य 2027 तक जापान के साथ पांच ट्रिलियन येन (3.2 लाख करोड़ रुपये) के निवेश के लक्ष्य के साथ नई ऊंचाइयों को छूना है। भारत एक स्थायी भविष्य की दिशा में जापान के साथ मिलकर काम करेगाजो उन्नत समुद्री सहयोग के हमारे साझा दृष्टिकोण द्वारा निर्देशित होगा, जो वैश्विक प्रगति और दोनों देशों के लिए पारस्परिक लाभ में सार्थक योगदान देता है।

बैठक में श्री टेराडा योशिमीची के साथ ओनिशी यासुशी, मैरीटाइम ब्यूरो, एमएलआईटी, हियोकी मिकी, मैरीटाइम ब्यूरो, एमएलआईटी, नॉर्वे में जापान के दूतावास के फर्स्ट सेक्रेटरी इहारा ताकुमार और किमुरा हिरोको भी शामिल हुए। केंद्रीय मंत्री के साथ नॉर्वे में भारत के राजदूत डॉ. एक्विनो विमल, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव (शिपिंग) श्री वेंकटेशपति एस; निदेशक (एमए एंड एमटी), मनदीप सिंह रंधावा, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अपर सचिव और वित्तीय सलाहकार श्री पुनीत अग्रवाल, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के सीएमडी श्री मधु एस नायर, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के निजी सचिव श्री अमित कुमार आईएएस और अन्य अधिकारी शामिल हुए।

 

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