इंदापुर तालुका के म्हसोबाचीवाड़ी में रेशम की खेती शुरू

पुणे, नवंबर (जिमाका)
इंदापुर तालुका के म्हसोबाचीवाडी गाँव पिछले कुछ वर्षों में पारंपरिक कृषि से रेशम उत्पादन की ओर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। इस उन्नत परिवर्तन को और गति देने तथा किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए म्हसोबाचीवाडी में ही रेशम उत्पादन पर एक दिवसीय चर्चासत्र का आयोजन किया गया।

चर्चासत्र की अध्यक्षता रेशम निदेशालय के उप निदेशक डॉ. महेंद्र ढवले ने की। इस अवसर पर क्षेत्रीय रेशम कार्यालय की सहायक निदेशक डॉ. कविता देशपांडे और जिला रेशम अधिकारी संजय फुले भी उपस्थित थे।

चर्चासत्र में म्हसोबाचीवाड़ी और परिसर के 46 किसानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। रेशम किसान मनोज चांदगुडे ने बताया कि यह उद्योग दो-तीन किसानों से शुरू हुआ था और आज 150 से ज़्यादा किसान रेशम व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। अजिंक्य चौकी केंद्र के मालिक अजिंक्य कांबले ने चौकी केंद्र के महत्व और कीट पालन के तकनीकी पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी।

रेशम उत्पादक आबासाहेब सांगले ने कहा कि शहतूत के पेड़ उगाने के लिए गोमूत्र और जैविक उर्वरकों का उपयोग फायदेमंद है जबकि बारामती तालुका के अतुल घाडगे ने कहा कि कीट प्रजनन गृहों में तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित करने के लिए एच.ओ. तकनीक उपयोगी है।

इस अवसर पर डॉ. महेंद्र ढवले ने शहतूत उद्यान प्रबंधन, उर्वरक नियोजन, दरांती एवं वयस्क कीट पालन, रोग एवं कीट नियंत्रण तथा कोश बाजार पर गहन मार्गदर्शन प्रदान किया तथा किसानों के प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर दिए।

इसके बाद डॉ. ढवले ने म्हसोबावाड़ी स्थित रेशम उत्पादक स्वप्निल चांदगुडे के शहतूत बगीचा व कीट पालन गृह का निरीक्षण किया तथा उजी मक्खी नियंत्रण का प्रदर्शन किया। किसानों ने अपनी राय व्यक्त की कि रेशम उद्योग की प्रगति के लिए समूह खेती और फसल बीमा योजनाएँ आवश्यक हैं।
कार्यक्रम का सूत्र-संचालन मनोज चांदगुडे और आभार प्रदर्शन अण्णासाहेब चांदगुडे ने किया।

 

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