01/07/2025

तबादला बस पुलिस कर्मचारी का नहीं बल्कि पूरे परिवार का होता है! – तबादला करना ही है तो 6 साल बाद किया जाए

Maharashtra-police-3 (1)

हड़पसर, मार्च (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
पुलिस महानिदेशक कार्यालय के गलत तबादले के कारण पुलिस विभाग में हड़कंप की स्थिति है। कभी नहीं तब इतने सारे अधिकारी मैट में खिलाफ गए हैं। दरअसल पुणे शहर और पिंपरी चिंचवड़ के महत्वपूर्ण वरिष्ठ पुलिस निरीक्षकों को बचाने के लिए पुलिस महानिदेशक कार्यालय में गलत जानकारी सौंपी गई थी और पूरे महाराष्ट्र में गलत मानदंडों पर तबादले किए गए। इससे अधिकारी भ्रमित हो गए और वे आपस में उलझ जाने से मैट में गए। बड़ी दुविधा की स्थिति में पुलिस कर्मचारी फंसे हुए हैं। ना कुछ बोल सकते हैं ना ही कुछ इसके खिलाफ आवाज उठा सकते हैं, करें तो क्या करें बस इसकी चिंता में हैं!

कुछ अधिकारी 10-20 साल तक एक ही जिले में काम करके इतने महत्वपूर्ण हो गए हैं कि डीजी ऑफिस भी उनका ट्रांसफर करने से डरता है। इसके बाद, इसी तरह के गलत मानदंडों पर पुलिस उप-निरीक्षकों/सहायक पुलिस निरीक्षकों के गलत स्थानांतरण किए गए। इनमें कुछ अफसरों को तो 3 साल भी पूरे नहीं हुए थे। इसके अलावा कुछ अधिकारी 5-8-10 साल पूरे कर चुके हैं, लेकिन उनका तबादला नहीं हुआ है। पिछले 1 वर्ष में जिन अधिकारियों का स्थानांतरण हुआ है, वे मूल जिले के हैं, इसलिए इसका असर चुनाव पर पड़ता है, लेकिन जिन अधिकारियों का कुल कार्यकाल 5 से 10 वर्ष है उनका चुनाव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है! इससे चुनाव पारदर्शी होगा या नहीं इस पर सवालिया निशान लग गया है? वास्तविक पुलिस विभाग में गैर-कार्यकारी शाखाएँ जैसे विशेष सुरक्षा दस्ता, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, सीआईडी, एटीएस, प्रशिक्षण केंद्र आदि ऐसी ही शाखाओं को निष्क्रिय कहा जाता है।

लेकिन पुलिस महानिदेशक कार्यालय और आयुक्त कार्यालय ने परिवहन शाखा, अपराध शाखा, विशेष शाखा साइबर क्राइम में साइड पोस्टिंग दिखाकर अपने चहेते अफसरों, जो 8-10 साल पूरे कर चुके हैं, को वहां रखा और दूसरे अफसरों का तबादला कर दिया। इसमें कुछ जूनियर अधिकारी प्रभावित हो गए। उनके परिवार और बच्चों की शिक्षा के बारे में सोचे बिना 3 महीने के चुनाव के लिए फिर से 6 से 8 साल की अवधि के लिए उनके तबादले कर दिए गए, इसलिए 3 महीने के लिए 8 साल की अवधि के लिए किया गया तबादला एक प्रकार का अन्याय सहने योग्य है। कुछ पुलिस कांस्टेबल से लेकर पुलिस सब-इंस्पेक्टर बन गए वरिष्ठ अधिकारी हैं, कुछ तो 6 महीने से लेकर 2 साल की अपनी सेवानिवृत्त को बचे हुए हैं, उनका भी तबादला कर दिया गया है। पुलिस आयुक्त कार्यालय और महानिदेशक कार्यालय ने केवल और केवल कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिए गलत तबादले कर पुलिस विभाग को भ्रमित कर दिया है।
जब मूल जिलेवालों का तबादला किया जा रहा है तो सभी मूल जिलेवालों का तबादला क्यों नहीं किया गया? तो फिर 8-10 साल से एक ही जगह डेरा जमाए अधिकारियों के तबादले क्यों नहीं हो रहे हैं? जिन अधिकारियों का जिले से तबादला किया गया है उनमें से कुछ अधिकारियों को 1 साल के अंदर ही वापस उसी जिले में स्थानांतरित कर दिया गया है। चुनाव आयोग ने मूल जिले के एक मानदंड को पूरा करने के लिए 3 साल के मानदंड को तोड़ दिया है। जबकि चुनाव नियम महाराष्ट्र के सभी जिलों पर लागू है, केवल मुंबई के अलावा अन्य जिलों के अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया है। मुंबई जिले के अभी तक तबादले नहीं किए गए है।
वास्तविक चुनाव प्रक्रिया में भाग लेनेवाले अधिकारियों को राजस्व विभाग में स्थानांतरित नहीं किया गया है, इसलिए चुनाव आयोग के नियम नगर निगम, पंचायत समिति, जिला परिषद, कृषि विभाग, वन विभाग और इसमें शामिल अन्य सभी विभागों पर लागू नहीं होते हैं। चुनाव प्रक्रिया इसको लेकर सवालिया निशान लगा हुआ है। ऐसे में पुलिस विभाग तबादले पर क्यों अड़ा हुआ है, अभी तक यह बात समझ में नहीं आ रही है कि पुलिस विभाग की हमेशा बलि क्यों ली जाती है? पुलिस महानिदेशक का कार्यालय और महाराष्ट्र का गृह मंत्रालय इस पर कोई निर्णय लेने जा रहे हैं या नहीं? क्या ऐसा ही अन्याय होगा या होता रहेगा?
कनिष्ठ अधिकारियों के लिए तबादला यानी एक पेड़ को एक जगह से उखाड़कर दूसरी जगह लगाने जैसा है। जब पेड़ उस नई मिट्टी में जड़ें जमाने लगता है तो उसे फिर से वापस उखाड़कर उसे कहीं दूसरी ओर लगाना, ऐसा हमेशा से होता आया है…!
इसके विपरीत आईएएस / आईपीएस जैसे वरिष्ठ अधिकारियों को इतना तनाव नहीं होता है क्योंकि नई जगह जाने पर उन्हें घर ढूंढ़ना नहीं पड़ता है, हर नई जगह पर उनका घर, बंगला, गाड़ी, नौकर-चाकर सब कुछ उनकी सेवा के लिए पहले से ही तैयार रहता है।

जब कनिष्ठ अधिकारियों का तबादला होते ही उन्हें सबसे पहले उस स्थान पर एक घर ढूंढना होता है। सामान ले जाने के लिए किराये की गाड़ी, वहां जाने के बाद वॉटर फिल्टर, टीवी, पंखे, गैस सिस्टम फिटिंगवाला, दूध की व्यवस्था, बच्चों के लिए नए स्कूल, मां- पिता के लिए अस्पताल, ऐसी कई चीजों को नए सिरे से समायोजित करना पड़ता है, इसलिए ऐसा असामयिक स्थानांतरण सभी के लिए तनावपूर्ण है। ऐसे असमय तबादले से हर किसी को टेंशन होती है। इसके लिए सरकार को तबादले के विषय को बहुत संवेदनशीलता से देखना चाहिए। हर 3 साल के बजाय कम से कम 6 साल के बाद तबादल किया जाना चाहिए।

नई जगह पर तबादल होना यह सभी के लिए मुश्किलभरा होता है, लेकिन उसमें स्थानांतरणवाली जगह पर उपस्थित होना एक पुरुष अधिकारी के लिए उतना मुश्किल नहीं होता जितना एक महिला अधिकारी के लिए होता है। क्योंकि पुरुष अधिकारी जाकर उपस्थित होता है और सारी व्यवस्था करने के बाद फिर परिवार को शिफ्ट करता है, लेकिन महिला अधिकारी पेशी के दिन से अपने छोटे बच्चों को भी अपने साथ ले जाना पड़ता है। उसमें भी रेंज में आने के बाद दूसरा जिला मिलने तक कवायद अलग होती है।

About The Author

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *