हिंदी विश्‍वविद्यालय में ‘पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय की वैचारिक विकास यात्रा’ पर हुआ विशिष्ट व्‍याख्‍यान

राष्ट्र का बोध जगाने में पं. दीनदयाल उपाध्याय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है : प्रो. प्रकाश सिंह

वर्धा, सितंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर हिंदी साहित्‍य विभाग द्वारा गुरुवार, 25 सितंबर को महादेवी वर्मा सभागार में ‘पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय की वैचारिक विकास यात्रा’ विषय पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में मुख्‍य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए
हेमवती नंदन बहुगुणा विश्‍वविद्यालय, गढ़वाल, श्रीनगर के कुलपति प्रो. श्री प्रकाश सिंह ने कहा कि राष्ट्र का बोध जगाने और संगठन को आगे बढ़ाने में पं. दीनदयाल उपाध्याय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार की विकास की राजनीति से जातिवादी राजनीति को क्रमश: खत्म किया किया जा रहा है।‌ दीनदयाल जी के एकात्म मानववाद की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सबका सर्वांगीण विकास एकात्म मानववाद का मूल आधार है। यह परिकल्पना मानवता के प्रसार का मूल बिंदु है। यह दर्शन पूंजीवाद, उदारवाद और मार्क्सवाद से नितान्त भिन्न है। प्रो. सिंह ने मानवीय जीवन का संतुलन एवं विकास, व्‍यष्टि से सृष्टि और सृष्टि से परमश्रेष्‍ठी के प्रवास को लेकर विचार रखे।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय के राजनीतिक और चिंतक व्यक्तित्व से सब परिचित हैं। पत्रकार और साहित्यकार के रुप में भी उन्होंने भारतीय जनमानस को वैचारिक दृष्टि से समृद्ध किया है। उन्‍होंने पाठकों में वैचारिक सम्पन्नता लाकर देश की सोई हुई एकात्म शक्ति को जागृत कर राष्ट्र के कल्याण की कामना से दो उपन्यासों की भी रचना की। दोनों उपन्यासों में उन्होंने चंद्रगुप्त और शंकराचार्य की सुविदित कथा को उठाया है। अपने एकात्म मानवता के दर्शन के प्रकाश में उसे अपनी ही तरह का एक रचनात्मक कलेवर दे दिया जो पठनीय बन गया। उनका एकात्म मानव दर्शन समाज, परिवार और व्यक्ति के रूप में खंड खंड करके नहीं अपितु समग्रता में प्रदर्शित होता है जिससे व्यष्टि और समष्टि के बीच का भेद समाप्त हो जाता है।
कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्‍ज्‍वलन और कुलगीत से किया गया।
स्‍वागत एवं प्रास्‍ताविक भाषण साहित्‍य विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. अवधेश कुमार ने किया। संचालन साहित्‍य विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. अशोकनाथ त्रिपाठी ने किया तथा अनुवाद अध्‍ययन विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. मीरा निचळे ने आभार माना। इस अवसर पर शिक्षक और बड़ी संख्या में शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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