30/07/2025

पुणे के औंध में भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास डस्टलिक विदेशी प्रशिक्षण नोड पुणे के औंध में शुरू हुआ

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पुणे के औंध में भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास डस्टलिक विदेशी प्रशिक्षण नोड पुणे के औंध में शुरू हुआ

भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास डस्टलिक का छठा संस्करण आज विदेशी प्रशिक्षण नोड, पुणे के औंध में शुरू हुआ। यह अभ्यास 16 से 28 अप्रैल 2025 तक आयोजित किया जा  रहा है।

60 सैन्यकर्मियों की भारतीय टुकड़ी का प्रतिनिधित्व जाट रेजिमेंट और भारतीय वायुसेना की एक बटालियन कर रही है। उज्बेकिस्तान की टुकड़ी का प्रतिनिधित्व उज्बेकिस्तान सैन्य कर्मियों द्वारा किया जा रहा है। भारत और उज्बेकिस्तान बारी-बारी संयुक्त अभ्यास डस्टलिक वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं। पिछला संस्करण अप्रैल 2024 में उज्बेकिस्तान के टर्मेज़ जिले में आयोजित किया गया था। इस वर्ष अभ्यास का विषय अर्ध-शहरी परिदृश्य में संयुक्त बहु डोमेन उप-पारंपरिक संचालन की थीम पर आधारित है।

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यह एक निर्धारित क्षेत्र पर कब्जा करने वाली आतंकवादी कार्रवाई का जवाब देने पर केंद्रित रहेगा। इसमें निरंतर संयुक्त अभियानों के लिए बटालियन स्तर पर एक संयुक्त संचालन केंद्र की स्थापना, जनसंख्या नियंत्रण उपायों, छापे, खोज-और-नष्ट करने वाले अभियानों जैसे आतंकवाद विरोधी मिशन को पूरा किया जाना और आतंकवादियों से निपटने के लिए हवाई सेना सहित गोलाबारी का उपयोग भी शामिल होगा। अभ्यास के दौरान सेना और वायु सेना के विशेष बल आगे के संचालन के लिए माउंटिंग बेस के रूप में उपयोग के लिए एक हेलीपैड का प्रबंध करेंगे। अभ्यास में ड्रोन की तैनाती, मानव रहित विमान से निपटने के उपाय और वायु सेना द्वारा अशांत क्षेत्रों में सैन्य बलों को बनाए रखने के लिए रसद सहायता भी शामिल होगी। इसके अतिरिक्त, हेलीकॉप्टरों का उपयोग टोही और निगरानी, विशेष हेलीबोर्न ऑपरेशन (एसएचबीओ), छोटी टीम प्रविष्टि और निष्कर्षण (एसटीआईई) और अन्य सम्बंधित मिशनों के लिए किया जाएगा।

संयुक्त अभ्यास डस्टलिक छठा संस्करण दोनों पक्षों को संयुक्त उप-पारंपरिक संचालन करने की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने में सक्षम बनाएगा। यह दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन सौजन्यता और सौहार्द विकसित करने में सहायता करेगा। संयुक्त अभ्यास रक्षा सहयोग को भी बढ़ावा देगा और इससे दोनों मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय सम्बंधों को और बल मिलेगा।

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