गंदगी हमेशा से समस्या रही है घर में गली मोहल्ले में गांव में शहर में कूड़ा कर्कट कचरा की गंदगी जीना दुर्लभ बना रही है।
गंदगी बाहर हो तो दिखती है अंदर हो तो नहीं दिखती पर अंदर से बाहर निकलती जरूर है और जब निकलती है अपने निशान छोड़ जाती है।
शरीर की गंदगी समय पर न निकली तो हर कर्मेंद्रिय से निकलती है और कभी दुर्गंध कभी घाव व बीमारी अपने निशान अवश्य दे जाती है।
मन की गंदगी किसी को भी नहीं दिखती स्वयं को जरूर दिखती है और उसे निकालने हेतु सावधान रहना चाहिए वरना लोभ मोह का परदा ऐसे ढंक लेता है कि मन गंदगी का स्वरूप ही धारण कर लेता है।
आत्मा की गंदगी होती नहीं डाली जाती है पद की मद की अहंकार की धन की ताकत की मिथ्या अहम् की जो भगवान ही बनना चाहता है सब पर शासन करना चाहता है चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े और वह गंदगी राक्षस बन जाती है। आइए गंदगी हटाना शुरू करें पहले घर गली मोहल्ले की गांव शहर धरती की शरीर की मन की और फिर आत्मा की। गंदगी रहित जीवन जीना ही स्वर्ग है।