छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों की धरोहर महाराष्ट्र के शौर्य का प्रतीक

छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों की धरोहर महाराष्ट्र के शौर्य का प्रतीक
मुंबई, जुलाई (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
महाराष्ट्र के रायगड, राजगड, प्रतापगड, पन्हाला, शिवनेरी, लोहगड, साल्हेर, सिंधुदुर्ग, स्वर्णदुर्ग, विजयदुर्ग, खान्देरी ये 11 किले और तमिलनाडु का जिंजी – इस तरह से कुल 12 किलों को विश्व धरोहर घोषित किया गया है। छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित यह किलों की संपदा महाराष्ट्र के शौर्य और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इन ऐतिहासिक किलों का यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होना महाराष्ट्र और पूरे देश के लिए अत्यंत गर्व की बात है, उक्त गौरवोद्गार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में निवेदन के माध्यम से व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री श्री फडणवीस ने कहा कि भौगोलिक परिस्थितियों का बेहतरीन इस्तेमाल कर किलों का निर्माण, गनिमी काव्याला अनुकूल (गुरिल्ला युद्धनीति को सहायक) भूसंरचना का इस्तेमाल, विशिष्ट द्वार, सैन्य रणनीति और गनिमी काव्याला (गुरिल्ला युद्ध तकनीक) के लिए उपयुक्त पर्वतीय किलों का निर्माण किया गया। पहले के राजाओं ने किले राजस्व नियंत्रण के लिए बनाए थे, लेकिन शिवाजी महाराज ने इनका इस्तेमाल लोक कल्याण के लिए स्वराज्य निर्माण में किया। इस सोच को यूनेस्को ने अद्वितीय वैश्विक मूल्य के रूप में स्वीकार किया है।
किलों को विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया गया। प्रधानमंत्री के समक्ष देश के अलग-अलग हिस्सों से 7 प्रस्ताव यूनेस्को में नामांकन हेतु गए थे। इनमें से प्रधानमंत्री ने निर्णय लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों को ही विश्व धरोहर के रूप में नामांकित किया। इस पूरी प्रक्रिया में सहयोग करने वाले सभी लोगों का मुख्यमंत्री श्री फडणवीस ने आभार माना है।
सांस्कृतिक कार्य विभाग के तहत पुरातत्व संग्रहालय और संचालनालय के निदेशक ने यह प्रस्ताव तैयार किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पूरे भारत से आठ प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिनमें महाराष्ट्र के दो प्रस्ताव शामिल थे। इनमें से भारत के मराठा सैन्य भूप्रदेश नामक प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चुना गया। नामांकन प्रक्रिया के तहत तकनीकी जांच के लिए दक्षिण कोरिया के श्री कोगली ने महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्यों के किलों का दौरा किया। इस बाबत जुलाई 2024 में नई दिल्ली में आयोजित यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 46वें अधिवेशन में महाराष्ट्र के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। पेरिस स्थित यूनेस्को मुख्यालय में इस प्रस्ताव का टेक्निकल प्रेजेंटेशन (तकनीकी प्रस्तुतीकरण) किया गया।सभी सदस्य देशों के बीच मतदान के माध्यम से इस प्रस्ताव पर उनकी राय जानने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैठकों का आयोजन किया गया। विदेश मंत्रालय, यूनेस्को, भारत के राजदूत और कई अन्य देशों के राजदूतों से सीधे संपर्क स्थापित कर नामांकित किलों का महत्व भी बताया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 11 जुलाई 2025 को यूनेस्को की सांस्कृतिक समिति की अंतरराष्ट्रीय बैठक में भारत ने यह ऐतिहासिक विजय सर्वसम्मति से प्राप्त की। लगभग सभी समितियों में से 20 देशों को मतदान का अधिकार था। इन 20 देशों ने सर्वसम्मति से छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों को विश्व धरोहर स्थल घोषित करने के पक्ष में मतदान किया। इसके परिणामस्वरूप, यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित इन अद्वितीय किलों की विरासत को संवर्धन करने के लिए हर कोई योगदान दे।
इस ऐतिहासिक क्षण पर विधानसभा के माध्यम से महाराष्ट्र शासन के सांस्कृतिक विभाग, सांस्कृतिक कार्य विभाग, पुरातत्व एवं वस्तुसंग्रहालय संचालनालय, इस कार्य में योगदान देने वाले सभी गणमान्य व्यक्तियों और महाराष्ट्र की जनता का मुख्यमंत्री ने अभिनंदन किया।