मध्य रेल – गौरवशाली 172 वर्षों की शानदार यात्रा

मध्य रेल – गौरवशाली 172 वर्षों की शानदार यात्रा
मुंबई, अप्रैल (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
भारतीय रेल ने गौरवशाली 172 वर्ष पूर्ण कर लिए है । एशियाई उपमहाद्वीप (और भारत) में पहली ट्रेन जो 16 अप्रैल, 1853 को मुंबई और ठाणे के बीच चली थी, को बोरीबंदर (वह स्थान जहां सीएसएमटी वर्तमान में खड़ा है) से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था।
जैसे-जैसे साल बीतते गए, ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे, जिसने प्रथम ट्रेन का परिचालन किया था का सं 1900 में इंडियन मिडलैंड रेलवे कंपनी में विलय हो गई और इसकी सीमाएं उत्तर में दिल्ली, उत्तर-पूर्व में कानपुर और इलाहाबाद और पूर्व में नागपुर से लेकर दक्षिण-पूर्व में रायचूर तक विस्तार दिया ।

5 नवंबर 1951 को निज़ाम स्टेट, सिंधिया स्टेट और धौलपुर रेलवे को एकीकृत करके मध्य रेल का गठन किया गया था। वर्तमान में मध्य रेल अपने 5 मंडलों यानी मुंबई, भुसावल, नागपुर, सोलापुर और पुणे के साथ महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में 4322.55 रूट किमी से अधिक का विस्तृत नेटवर्क में फैला है। मध्य रेल 492 स्टेशनों के माध्यम से इन राज्यों को सेवा प्रदान कर रहा है।
अप्रैल 1853 में पहली ट्रेन से लेकर भारत की अत्याधुनिक ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस तक, रेलवे ने गत 172 वर्षों में अपने रेल नेटवर्क का सफलतापूर्वक विस्तार किया है। वर्तमान में मध्य रेल 10 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलाता है, अर्थात सीएसएमटी-साईनगर शिरडी, सीएसएमटी-सोलापुर, सीएसएमटी-मडगांव, सीएसएमटी-जालना, नागपुर-बिलासपुर, नागपुर-इंदौर, नागपुर – सिकंदराबाद, कलबुर्गी – बेंगलुरु, पुणे – हुबली और पुणे – कोल्हापुर वंदे भारत एक्सप्रेस।

इस प्रकार मध्य रेल अनेक बेहतरीन उपलब्धियों के साथ निरंतर शीर्ष स्थान पर बना हुआ सफलता की ओर अग्रसर है। इनमें से कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं : पहली शताब्दी एक्सप्रेस, पहली जन शताब्दी एक्सप्रेस, पहली तेजस एक्सप्रेस आदि। पंजाब मेल जैसी कुछ सबसे पुरानी ट्रेनों के 100 साल बाद भी चलने और अपने यात्रियों के बीच लोकप्रिय होने से इसने निश्चित रूप से एक लंबा सफर तय किया है।
3 फरवरी 1925 को बॉम्बे वीटी और कुर्ला हार्बर के बीच भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन सेवा चलाने से रेलवे के विद्युतीकरण की नींव रखी गई।
आज मध्य रेलवे ने 100% विद्युतीकरण हासिल कर लिया है और उपनगरीय नेटवर्क में भी लगातार वृद्धि हुई है। वर्तमान में मध्य रेलवे में पाँच उपनगरीय गलियारे हैं। 3 कोच से शुरू हुई उपनगरीय सेवाएँ धीरे-धीरे बढ़कर 9 कोच, 12 कोच और यहाँ तक कि 15 कोच वाली सेवाएँ हो गई हैं। यात्रा को और अधिक सुविधाजनक और आरामदायक बनाने के लिए एसी उपनगरीय सेवाएँ भी शुरू की गई हैं। आज से 14 और एसी सेवाएँ शुरू की गई हैं, जिससे मुंबई उपनगर पर कुल एसी सेवाओं की संख्या 80 हो गई है।
निर्माण के समय जो आरंभिक लोडिंग 16.58 मिलियन टन थी, वह अब वर्ष 2024-25 में बढ़कर 82.52 मिलियन टन हो गई है। इसके अलावा, नई रेलवे लाइनों का निर्माण, दोहरीकरण, पुलों का निर्माण और अमृत भारत स्टेशन योजना (एबीएसएस) के तहत 80 स्टेशनों का उन्नयन जैसे बुनियादी ढांचे के काम किए जा रहे हैं।

नेरल-माथेरान लाइट रेलवे ने भी अपने गौरवशाली 118 वर्ष पूरे कर लिए हैं। नेरल-माथेरान रेलवे का निर्माण 1904 में शुरू हुआ था और दो फीट गेज लाइन आखिरकार 1907 में यातायात के लिए खोली गई थी। एहतियात के तौर पर, मानसून के दौरान लाइन बंद कर दी जाती थी, हालांकि, मानसून में भी चलने के लिए 29.9.2012 से अमन लॉज और माथेरान के बीच शटल सेवाएं शुरू की गई थीं। मध्य रेलवे ने अपने यात्रियों के लिए सुरक्षित और आरामदायक यात्रा और नेरल-माथेरान एनजी लाइन पर सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए इस खंड पर कई बुनियादी ढांचे के काम किए हैं।
1853 से लेकर वर्तमान समय तक, मध्य रेल सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान करने में सदैव अग्रणी रहा है और भविष्य में भी करता रहेगा तथा अपने सम्मानित यात्रियों को सुरक्षित, आरामदायक और सुविधाजनक यात्रा प्रदान करने के लिए सदैव प्रतिबद्ध है।
यह प्रेस विज्ञप्ति जनसंपर्क विभाग, मध्य रेल छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस मुंबई द्वारा जारी की गई है।