24/06/2025

आधार प्रमाणीकरण 150 बिलियन लेनदेन को पार कर गया, जिससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और कल्याणकारी सेवाओं को बल मिला

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Ministry of Electronics and IT

आधार प्रमाणीकरण 150 बिलियन लेनदेन को पार कर गया, जिससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और कल्याणकारी सेवाओं को बल मिला

अप्रैल 2025 में ई-केवाईसी लेनदेन में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे सभी क्षेत्रों में ग्राहक अनुभव और व्यवसाय करने में आसानी देखी गई

यूआईडीएआई के एआई-संचालित चेहरा सत्‍यापन (फेस ऑथेंटिकेशन) से 14 करोड़ लेनदेन होने से निर्बाध सेवा वितरण संभव हो रहा है

आधार प्रमाणीकरण लेनदेन की कुल संख्या 150 बिलियन (15,011.82 करोड़के आंकड़े को पार कर गई है, जो भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) और व्यापक आधार प्रक्रिया में एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है।

यह उपलब्धि आधार के व्यापक उपयोग और उपयोगिता तथा देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास को दर्शाती है। यह कुल संख्या इसकी शुरूआत से अप्रैल 2025 के अंत तक के आंकड़ों को मिलकार प्राप्त की गई है।

आधार आधारित प्रमाणीकरण जीवन को आसान बनाने, प्रभावी कल्याणकारी वितरण और सेवा प्रदाताओं द्वारा दी जाने वाली विभिन्न सेवाओं का स्वैच्छिक रूप से लाभ उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अप्रैल माह में लगभग 210 करोड़ आधार प्रमाणीकरण  लेनदेन किए गए, जो 2024 में इसी महीने की तुलना में लगभग 8 प्रतिशत अधिक है।

केवाईसी से ग्राहक अनुभव बेहतर हुआ

आधार ई-केवाईसी सेवा बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं सहित अन्य क्षेत्रों में ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने और व्यापार को आसान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

अप्रैल 2025 के दौरान किए गए ईकेवाईसी लेनदेन (37.3 करोड़) की कुल संख्या पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 39.7 प्रतिशत अधिक है। 30 अप्रैल 2025 तक ईकेवाईसी लेनदेन की कुल संख्या 2393 करोड़ को पार कर गई है।

यूआईडीएआई आधारित चेहरा सत्यापन बढ़ रहा है

यूआईडीएआई द्वारा विकसित एआई/एमएल आधारित आधार चेहरा सत्‍यापन (फेस ऑथेंटिकेशन) समाधान लगातार लोकप्रिय हो रहे हैं। अप्रैल में लगभग 14 करोड़ ऐसे लेनदेन हुएजो इस प्रमाणीकरण पद्धति को अपनाने और आधार संख्या धारकों को इससे सहज लाभ मिलने का संकेत है। सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों में 100 से अधिक संस्थाएँ लाभ और सेवाओं के सुचारू वितरण के लिए चेहरा सत्‍यापन तकनीक का उपयोग कर रही हैं।

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