सशस्त्र सेना चिकित्सा महाविद्यालय में विश्व अल्जाइमर दिवस 2024 के अवसर पर आयोजित किया गया ‘स्वास्थ्य जागरूकता’ कार्यक्रम
सशस्त्र सेना चिकित्सा महाविद्यालय में विश्व अल्जाइमर दिवस 2024 के अवसर पर आयोजित किया गया ‘स्वास्थ्य जागरूकता’ कार्यक्रम
पुणे, सितंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
पुणे के सशस्त्र सेना चिकित्सा महाविद्यालय (एएफएमसी) के जराचिकित्सा विभाग, आंतरिक चिकित्सा विभाग, मनोचिकित्सा विभाग और नर्सिंग कॉलेज ने 26 सितंबर, 2024 को एक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम की सह-मेजबानी की। यह कार्यक्रम विश्व अल्जाइमर दिवस (21 सितंबर) और अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (1 अक्टूबर) के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम का उद्घाटन एएफएमसी के निदेशक और कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल संदीप थरेजा, एसएम, वीएसएम ने किया। अपने संबोधन में लेफ्टिनेंट जनरल थरेजा ने बुजुर्गों के सामने आने वाली स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों और इन मुद्दों को हल करने के लिए व्यापक सेवाओं की बढ़ती आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस महत्वपूर्ण विभाग की स्थापना में उनके प्रयासों के लिए कर्नल विवेक अग्रवाल, प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष और कर्नल प्रदीप बहल, प्रोफेसर, जराचिकित्सा विभाग की सराहना की, जो सशस्त्र बलों के भीतर वृद्धों की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विभाग एक स्नातकोत्तर एमडी (जेरिएट्रिक मेडिसिन) कार्यक्रम भी प्रदान करता है, जो फरवरी 2022 में शुरू हुआ और हर साल दो स्नातकोत्तर छात्रों को स्वीकार करता है।
एएफएमसी के डीन एवं डिप्टी कमांडेंट मेजर जनरल गिरिराज सिंह ने बढ़ती वृद्ध आबादी और समाज पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव, विशेष रूप से संज्ञानात्मक गिरावट, स्मृति हानि और विकलांगता पर जोर दिया।
इस कार्यक्रम में डिमेंशिया पर व्यावहारिक स्वास्थ्य वार्ताएं शामिल थीं, जिसमें डिमेंशिया -मिथक और वास्तविकता और डिमेंशिया की रोकथाम और प्रारंभिक पहचान पर चर्चाएं शामिल थीं, जिसका नेतृत्व एएफएमसी में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर सर्जन कैप्टन पी.वी. विल्सन और जेरियाट्रिक्स के प्रोफेसर कर्नल प्रदीप बेहल ने किया। एएफएमसी के नर्सिंग कॉलेज के नर्सिंग कैडेटों द्वारा कर्तव्य, सम्मान, देश-एक भूला हुआ जीवन शीर्षक से एक मार्मिक भूमिका-नाटक प्रदर्शन प्रस्तुत किया गया, जो डिमेंशिया से पीड़ित एक सम्मानित वयोवृद्ध के इर्द-गिर्द केंद्रित था। प्रदर्शन ने डिमेंशिया से पीड़ित लोगों के लिए सहानुभूतिपूर्ण देखभाल की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और दर्शकों द्वारा इसकी खूब सराहना की।
इसके अतिरिक्त, मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष ब्रिगेडियर वी.एस. चौहान ने सर्जन कैप्टन विल्सन और कर्नल अग्रवाल के साथ मिलकर एक संवादात्मक सत्र का आयोजन किया, जिसमें देखभालकर्ताओं ने डिमेंशिया से पीड़ित बुजुर्ग मरीजों की देखभाल के अपने अनुभव साझा किए तथा दीर्घकालिक देखभाल की चुनौतियों और समाधानों पर जोर दिया।
इस कार्यक्रम में लगभग 200 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें पुणे के बुजुर्ग व्यक्ति, देखभाल करने वाले और छात्र शामिल थे। दर्शकों को वृद्धों में स्मृति हानि के महत्वपूर्ण मुद्दे के प्रति संवेदनशील बनाया गया, जिसका उद्देश्य सफल बुढ़ापे और मनोभ्रंश की रोकथाम को बढ़ावा देना था।
कार्यक्रम की टैगलाइन, सक्रिय स्वस्थ मस्तिष्क के लिए कार्य करने और स्मृति हानि को रोकने का समय, कार्यक्रम के सार को दर्शाती है, जिसका उद्देश्य स्वस्थ उम्र बढ़ने और संज्ञानात्मक कल्याण की दिशा में निरंतर प्रयासों को प्रेरित करना है।
यह जानकारी पुणे रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी श्री महेश अय्यंगार द्वारा दी गई है।
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