कोंढवा, जनवरी (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
सावित्रीबाई फुले ने महिला शिक्षा के लिए की गई उनकी मेहनत, त्याग और समर्पण तथा उनकी संपूर्ण जीवन यात्रा पर प्रकाश डालते हुए प्राचार्य डॉ. शरद कांदे ने कहा कि लड़कियों को लड़कों के समान शिक्षा दी जानी चाहिए और वर्तमान 21वीं सदी में सभी क्षेत्रों में लड़कियों की बढ़ती भागीदारी, साथ ही लड़कियों के लिए न्याय और अधिकारों की प्राप्ति और महिला सशक्तिकरण इन सभी चीजों के पीछे भी सावित्रीबाई फुले का काम है। आज के दिन को बालिका दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, इसीलिए सावित्रीबाई फुले को नारी शिक्षा की गंगोत्री कहा जाता है। वह भारत की पहली महिला प्रधानाध्यापिका थीं।

ट्रिनिटी पॉलिटेक्निक में महिला शिक्षा की प्रणेता भारत की प्रथम महिला शिक्षिका क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले की जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई तब उपस्थितों को संबोधित करते हुए यह विचार कॉलेज के प्राचार्य डॉ. शरद कांदे ने व्यक्त किए। इस अवसर पर यहां विभाग प्रमुख प्रा.स्मिता जगताप, प्रा. भैरवनाथ जाधव, प्रा.संतोष डोईफोडे प्रा. सचिन घुगे, प्रा.अजय जाधव, प्रा. वैभव पोमन व सोमनाथ कोंडे आदि उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रा. सुहास बोंबले ने अपने मनोगत में सावित्रीबाई फुले के संपूर्ण जीवन एवं कार्य के बारे में जानकारी दी साथ ही उनके सामाजिक एवं शैक्षणिक कार्यों के बारे में भी जानकारी दी।
कार्यक्रम का प्रास्ताविक ग्रंथपाल स्वाति मते और आभार प्रदर्शन प्रा. सारिका कोरडे ने किया।

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