राज्य पाठ्यक्रम योजना शिक्षा परिषद की वेबसाइट पर प्रकाशित : मसौदा के बारे में 3 जून तक प्रतिक्रिया दर्ज करने की अपील
पुणे, मई (जिमाका)
कक्षा तीन से कक्षा 12 वीं तक का पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए स्कूल शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यक्रम का मसौदा तैयार किया गया है और इसे राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की http://www.maa.ac.in वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है। इस मसौदे के संबंध में सभी सामाजिक तत्व, शिक्षक, अभिभावक, शिक्षा विशेषज्ञ, शैक्षिक प्रशासन 3 जून 2024 तक अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करें। यह अपील परिषद द्वारा की गई है।
2024 के लिए योजना तैयार करते समय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (एनसीएफ-एसई) 2023 के प्रावधानों को ध्यान में रखा गया है और महाराष्ट्र राज्य के अनुरूप आंशिक रूप से संशोधित किया गया है। पहली से 10 वीं तक मराठी और अंग्रेजी भाषा अनिवार्य, 6 वीं से हिंदी, संस्कृत और अन्य भारतीय, विदेशी भाषाएं सीखने का विकल्प, 11 वीं और 12 वीं के लिए दोहरी भाषा की शिक्षा होगी।
तीसरी से व्यावसायिक शिक्षा की सुविधा, तीसरी से आठवीं तक पूर्व व्यावसायिक कौशल और नौवीं से विशेष व्यावसायिक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध होगी, इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, डेटा विज्ञान, कृषि आदि अभिनव पाठ्यक्रम उपलब्ध होने जा रहे हैं।
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा के अनुसार गणित और विज्ञान विषयों में दो स्तर के पाठ्यक्रम पर विचार किया जा रहा है। कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं में छात्र किसी भी शाखा का विषय चुन सकते हैं। अंतःविषय शिक्षा के अंतर्गत पर्यावरण शिक्षा प्रस्तावित है।
साथ ही स्कूली शिक्षा में मूल भारतीय प्राचीन ज्ञान छात्रों तक पहुंचाना, संवैधानिक, मानवीय एवं नैतिक मूल्यों की शिक्षा, स्कूलों में शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में साथ ही शैक्षिक एवं व्यावसायिक मार्गदर्शन, शैक्षिक प्रौद्योगिकी, समावेशी शिक्षा, अंतःविषय शिक्षा, कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और सेहत-स्वास्थ्य अन्य विषयों को शामिल किया गया है।
बदलते विश्व की चुनौतियों का सामना करने के लिए मानवीय मूल्यों, जीवन कौशल और नैतिकता पर आधारित तार्किक सोच की शिक्षा दी जाएगी। इन मुख्यधारा विषयों के साथ स्वास्थ्य, कला, व्यावसायिक शिक्षा को महत्व दिया जाएगा। चिकित्सक दृष्टिकोण, वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित चिकित्सक सोच का एक दृष्टिकोण विकसित होगा। रूपरेखा इस बात पर जोर देती है कि सामग्री के बोझ को कम करते हुए निम्नलिखित अवधारणाओं और प्रमुख योग्यता मूल्यों को विकसित किया जाएगा। स्वयं कृति से ज्ञान निर्मिती करेंगे और स्कूलों में परीक्षा घोकमपट्टी और स्मृति पर आधारित परीक्षा रूप बदल कर प्राप्त कौशल का मूल्यांकन करने के लिए योजनाएं इसमें होंगी।
विद्यालय संस्कृति, प्रक्रिया और सहायक पारिस्थितिकी तंत्र इसमें स्कूल की प्रक्रियाएँ कैसी होनी चाहिए इस संबंध में आदर्श दिशानिर्देश, स्कूलों के मूल्यांकन के लिए प्रावधान, अध्ययन अनुपूरक के माहौल के निर्माण के लिए दिशानिर्देश, शिक्षकों के सशक्तिकरण और सशक्तीकरण के उपाय और समाज और परिवार की भागीदारी बढ़ाने के लिए गतिविधियों के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनुरूप पाठ्यक्रम राज्य में आवश्यकताओं एवं पाठ्यक्रम क्रियान्वयन आदि को योजना में सम्मिलित किया गया है।
इस योजना के अनुरूप सभी से प्राप्त सुझावों को शामिल करते हुए राज्य के पाठ्यक्रम को संशोधित किया जाएगा। ऐसा भी राज्य शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, पुणे ने सूचित किया है।
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