हड़पसर, मार्च (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
शहर की नहीं बल्कि प्रदेश की शान बढ़ानेवाली ऐतिहासिक मस्तानी झील का रखरखाव ठप है। पिछले साल बारिश कमी के कारण अब झील सूखी हो गयी है। संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग पर दिवे घाट में मस्तानी झील आज भी इतिहास की गवाही देती है। तेज धूप के कारण जहां पशु-पक्षी पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं प्रकृति प्रेमियों ने पिछले महीने से बोतल मेें पानी ले जाकर चौड़े बर्तनों में रखकर वन्यजीव की प्यास बुझाने की पहल शुरू की है। पुरातत्व विभाग को मस्तानी झील के रखरखाव एवं मरम्मत पर ध्यान देना चाहिए। यह मांग पर्यटनप्रेमी डॉ. अनिल पाटिल और अशोक जाधव द्वारा की गई है।

ऐतिहासिक मस्तानी झील पुणेवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। सुंदर कानिफनाथ गढ़, दिवेघाट और मस्तानी झील क्षेत्र पर्यटकों के लिए मिलीं एक अद्भुत विरासत हैं। चूंकि झील में पानी नहीं है, गर्मी झुलसा रही है और जिसके कारण वन्यजीव पानी के लिए जूझ रहे हैं। पर्यटक उनकी प्यास बुझाने के लिए प्रतिदिन बोतलबंद पानी लेकर जाते हैं। प्रशासन को झील के रखरखाव व मरम्मत कर जल भंडारण बढ़ाने की दिशा में पहल करने की जरूरत है। मस्तानी झील के प्रति पुरातत्व व प्रशासनिक उदासीनता के कारण रख-रखाव और मरम्मत के अभाव में बड़ी क्षति हुई है। पहाड़ों से बारिश के पानी के साथ पत्थर, मिट्टी सीधे झील में बहकर आ रहे हैं, जिससे झील का तल उथला होने लगा है। प्रशासन को मस्तानी झील से गाद निकालकर जल भंडारण बढ़ाने की जरूरत है।

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